गजब की समानता
- मोदी की तरह खुद को ‘मिस्टर सिक्यॉरिटी’ बता रहे पीएम
- आम चुनाव के दौरान भारत के स्टाइल में हुआ प्रचार,
इजरायल में आम चुनाव के लिए आज मतदान हो रहा है। दिलचस्प बात यह है कि प्रधानमंत्री और दक्षिणपंथी लिकुड पार्टी के नेता बेंजामिन नेतन्याहू पांचवीं बार प्रधानमंत्री बनने की कतार में हैं और खुद को खुद को ‘मिस्टर सिक्यॉरिटी’ कहते हैं। उन्हें रिटायर जनरल बेनी गैंट्ज से कड़ी टक्कर मिल रही है। ब्ल्यू एंड व्हाइट गठबंधन के प्रमुख गैंट्ज नेतन्याहू को सुरक्षा के प्रमुख मुद्दे पर चुनौती दे रहे हैं।
इजरायल में आम चुनाव के लिए हो रहे मतदान में भारतीय आम चुनाव की भी झलक है। वहां के मौजूदा पीएम खुद को मोदी की तरह ‘चौकीदार’ बताते हैं।
दोनों देशों के इन चुनावों में गजब की समानता दिख रही है। भारत में चुनाव नरेंद्र मोदी के इर्द-गिर्द लड़ा जा रहा है, वहीं इजरायल में ऐसी ही इमेज वाले बेंजामिन नेतन्याहू हैं। जहां भारत में मोदी खुद को चौकीदार बता रहे हैं, वहीं इजरायल में नेतन्याहू अपने आप को ‘मिस्टर सिक्यॉरिटी’ कहते हैं। मोदी की तरह नेतन्याहू के लिए भी यह मुकाबला आसान नहीं है, लेकिन दोनों को ही फिर से सरकार बनाने का भरोसा है। भारत और इजरायल में आम चुनावों के लिए वोटिंग भी लगभग आसपास हो रही है। जहां इजरायल में आज मतदान हुआ वहीं भारत में 11 अप्रैल को पहले चरण का मतदान होगा। इजरायल का चुनाव प्रचार भी कुछ-कुछ भारत के स्टाइल में हो रहा है।
इजरायल की जनता कई सालों बाद इतने कड़े मुकाबले में मतदान कर रही है। प्रधानमंत्री और दक्षिणपंथी लिकुड पार्टी के नेता बेंजामिन नेतन्याहू पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं और उन्हें रिटायर जनरल बेनी गैंट्ज से कड़ी टक्कर मिल रही है। गैंट्ज नेतन्याहू को सुरक्षा के प्रमुख मुद्दे पर चुनौती दे रहे हैं और साफ-सुथरी राजनीति का वादा कर रहे हैं।
गौरतलब है कि इजरायल की संसद में कुल 120 सीटें हैं। सरकार बनाने के लिए पार्टी को कम से कम 3.25 प्रतिशत वोट मिले होने चाहिए। फिर चुनाव के बाद वहां के राष्ट्रपति उस उम्मीदवार को सरकार बनाने के लिए बुलाते हैं जो गठबंधन करके सरकार बनाने में सक्षम है। यह सारी प्रक्रिया 28 दिनों के अंदर कर लिया जाता है। बता दें कि इजरायल के इतिहास में कोई पार्टी पूर्ण रूप से बहुमत में नहीं आई है। दोनों ही देशों में चुनाव जीतने के लिए जमकर बयानबाजी हो रही है। दोनों ही देशों में आतंक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई को बड़ा मुद्दा बनाया गया है। जैसे मोदी के लिए पाकिस्तान उनकी हर रैली के भाषण का हिस्सा होता है वैसे ही नेतन्याहू फलीस्तीन का जिक्र करते हैं।