उत्तराखंड: कम मतदान के बाद अब गुणा भाग में उलझे सियासी दिग्गज, जानिए क्या कह रहे हैं आंकड़े

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देहरादून। उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर वोटिंग के बाद अब सियासी दल अपने अपने स्तर से जीत और हार के गुणा भाग में जुट गए हैं। कम मतदान के बावजूद भाजपा और कांग्रेस अपनी-अपनी जीत की संभावना जता रहे हैं। चुनाव आयोग ने राज्य में 75 प्रतिशत मतदान का लक्ष्य हासिल करने को तमाम कवायद की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। इसके विपरीत मतदान का प्रतिशत घटकर राज्य में 15 साल पहले के परिणाम पर जा पहुंचा। इससे निर्वाचन आयोग की अधिक मतदान कराने की मुहिम को तो झटका लगा है, वहीं सियासी दलों की भी नींद उड़ गई है।

उत्तराखंड में निर्वाचन आयोग के साथ ही राजनीतिक दलों की कोशिशों के बावजूद मतदान गिर गया। उत्तराखंड मत प्रतिशत के मामले में फिर से 2009 वाली स्थिति में आ गया है। 2004 में मतदान 49.25 प्रतिशत, 2009 में 53.96 प्रतिशत हुआ था। इसके बाद 2014 में मतदान प्रतिशत बढ़कर 62.15 प्रतिशत पर पहुंच गया। फिर 2019 में यह आंकड़ा गिरकर 61.50 प्रतिशत पर आया। इस बार यह आंकड़ा 2009 के आसपास यानी 55.89 प्रतिशत तक आ गया है। मतदान प्रतिशत बढ़ाने को चुनाव आयोग ने प्रदेश भर में स्वीप की मदद से 60 लाख लोगों को मतदान की शपथ भी दिलाई थी।

उत्तराखंड में पांचों सीटों पर 55.89 प्रतिशत मतदान हुआ। सबसे हैरान करने वाले आंकड़े पहाड़ की संसदीय सीटों पर रहे। पहाड़ की 21 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत 50 फीसदी से भी कम रहा है। अल्मोड़ा की सल्ट सीट पर प्रदेश में सबसे कम 32 फीसदी मतदान रहा, जबकि हरिद्वार ग्रामीण में सबसे अधिक 73.21 प्रतिशत मतदान रहा। बता दें कि सल्ट सीट पर भाजपा तो हरिद्वार ग्रामीण सीट पर कांग्रेस का कब्जा है।

हरिद्वार लोकसभा सीट पर 62.36 प्रतिशत मतदान हुआ है। आंकड़ों की बात करें तो कांग्रेस कब्जे वाली सीटों पर भाजपा कब्जे वाली सीटों से ज्यादा मतदान हुआ है। भाजपा कब्जे वाली धर्मपुर, ऋषिकेश, डोईवाला, हरिद्वार, रुड़की में 60 फीसदी से कम मतदान हुआ। केवल भेल रानीपुर सीट पर 60 फीसदी मतदान हुआ। कांग्रेस कब्जे वाली सीटों भगवानपुर, हरिद्वार ग्रामीण, झबरेड़ा, ज्वालापुर, पिरान कलियर सीट पर मतदान 60 फीसदी से लेकर 73.21 फीसदी तक रहा। इन सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी अच्छी-खासी तादाद में है। इसके अलावा मंगलौर, लक्सर व खानपुर सीट पर भी मतदान 60 फीसदी से अधिक रहा है। जो कि कांग्रेस के लिए अच्छे संकेत माने जा रहे हैं।

टिहरी लोकसभा में 2019 के मुकाबले मतदान प्रतिशत में 5.73 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। टिहरी लोकसभा की 14 में से 11 विधानसभा सीटों पर भाजपा, दो पर कांग्रेस और एक पर निर्दलीय विधायक हैं। नैनीताल-ऊधम सिंह नगर लोकसभा सीट पर इस बार 7.57 प्रतिशत तक मतदान घटा है। पांचों लोस सीटों में सबसे कम मतदान अल्मोड़ा लोकसभा सीट पर हुआ है। पिछले चुनाव की तुलना में इस सीट पर 4.88 प्रतिशत मतदान कम हुआ।

गढ़वाल लोकसभा सीट पर इस बार मतदान प्रतिशत में करीब 3.63 प्रतिशत गिरकर 50.84 पर पहुंच गया है। श्रीनगर सीट को छोड़कर सभी विधानसभा में मत प्रतिशत गिरा है।

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