उत्तराखंड : अभी से मिशन 2022 की ‘बंसी’ बजाने लगे बंशीधर!

प्रदेश परिक्रम को निकला भगत का ‘रथ’

  • तजुर्बेकार भगत को अब भाजपा संगठन में जोशीली टीम की दरकार
  • मिल सकती है कम अनुभवी और युवा नेताओं को जिम्मेदारी

देहरादून। मिशन 2022 को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत अभी से जुट गये हैं। आगामी विधानसभा चुनाव के ‘कुरुक्षेत्र’ में उतरने के लिए भाजपा के तजुर्बेकार प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत को जोशीली और युवा टीम की दरकार है।
सूत्रों के अनुसार वह अपनी टीम के लिए कम अनुभवी किंतु उत्साह और जोशी से लबरेज युवा चेहरों की खोज में हैं। संगठन की कमान संभालने के साथ ही भगत का ‘रथ’ प्रदेश के दौरे पर निकल गया है। संगठन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अपने इस भ्रमण के दौरान भगत न सिर्फ संगठन की नब्ज टटोलने का काम करेंगे बल्कि उनकी निगाहें युवा और जनाधार वाले चेहरों पर भी होगी। पसंद आए तो उन्हें वह अपनी टीम का हिस्सा बना सकते हैं।
बकौल भगत, ‘पहले मैं पूरे प्रदेश में जाकर संगठन के लोगों से सीधा संवाद कर लेता हूं। मार्च तक नई टीम का ऐलान करूंगा।’ सूत्रों के अनुसार, प्रदेश के दौरे से लौटकर भगत नई कार्यकारिणी के गठन की तैयारी में जुट जाएंगे। फरवरी के अंतिम सप्ताह या मार्च के पहले हफ्ते तक नई टीम में शामिल होने वाले उनकी पसंद के चेहरों की तलाश पूरी हो सकती है।
गौरतलब है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भगत का कार्यकाल इस लिहाज से काफी अहम है क्योंकि उन्हें 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी का नेतृत्व करना है। चुनाव में पार्टी के जनाधार को मजबूती देने के लिए उन्हें टीम में ऐसे नेताओं की दरकार होगी जो दौड़ धूप कर सकें और जमकर पसीना बहा सकें। पार्टी के भीतर ये चर्चा आम है कि टीम में सदस्यों की औसत आयु 30 से लेकर 50 वर्ष तक हो सकती है। अपवादस्वरूप इससे ऊपर के एक-दो चेहरे टीम का हिस्सा बन सकते हैं। अन्यथा संगठन और उसके फ्रंटल इकाइयों की कमान अनुभवी और युवा चेहरों के हाथों में देने की ही रणनीति है।
इस बाद प्रदेश भाजपा की कार्यकारिणी में एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत लागू होगा। इसलिए सरकार में जो पदाधिकारी दर्जाधारी हैं, उनकी संगठन में एंट्री को लेकर संदेह है। संदेह पार्टी के विधायकों को लेकर भी है। वर्तमान में विधायक खजानदास और पुष्कर सिंह धामी प्रदेश महामंत्री हैं, जबकि विधायक मुन्ना सिंह चौहान प्रदेश प्रवक्ता हैं।
हालांकि संगठन के अंदर यह चर्चा काफी तेज है कि पुरानी कार्यकारिणी से कुछ ही चेहरों की वापसी होगी। अनुभव और योग्यता के साथ जातीय और क्षेत्रीय संतुलन को प्राथमिकता दी जाएगी। इस लिहाज से कुमाऊं के उन नेताओं को कार्यकारिणी में जगह मिल सकती है जिन्हें अभी तक उन्हें न संगठन में और न सरकार में दायित्व मिला है।
फिलहाल प्रदेश कार्यकारिणी में स्थान बनाने के लिए दावेदार जोड़तोड़ में जुट गए हैं। केंद्रीय व वरिष्ठ नेताओं की परिक्रमा भी शुरू हो गई है। चूंकि चुनाव में कार्यकारिणी का अहम रोल है, इसलिए पार्टी का हर खेमा जगह बनाने के लिए जोर लगा रहा है। हालांकि अंतिम फैसला मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष का ही होगा।

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