चमोली की ‘सरकार’ थराली की मुट्ठी में!

सियासत की शतरंज

  • थराली के ‘पंच प्यारों’ ने बिछा दिये कांग्रेस की जीत की राह में कांटे
  • बागी न माने तो कांग्रेस के हाथ से जाती रहेगी सुरक्षित मानी जा रही सीट
  • कांग्रेस की रजनी भंडारी के पास 11 व भाजपा के पास बताये जा रहे हैं 10 सदस्य

देहरादून। चमोली में कांग्रेस का पिंडर घाटी एकता का नारा फ्लॉप होने के बाद थराली विधानसभा क्षेत्र के पांच जिला पंचायत सदस्यों ने बगावती तेवर दिखाने शुरू कर दिये हैं। इन पांचों सदस्यों का कहना है कि जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद पर उनमें से ही दो सदस्य पर्चा भरेंगे।
जिला पंचायत की जिस सीट को कांग्रेस सबसे सुरक्षित मान रही थी, उसी ने कांग्रेस नेतृत्व का पसीना छुड़ा दिया। चमोली की थराली विधानसभा के पांच सदस्यों के बगावती तेवर ने यह स्थिति पैदा कर दी है। इसी उधेड़बुन में कांग्रेस किसी भी जिला पंचायत के लिए प्रत्याशी के नाम पर मुहर नहीं लगा सकी। बगावती तेवर अपनाने वाले इन ‘पंच प्यारों’ ने कांग्रेस नेतृत्व के सामने धर्मसंकट खड़ा कर दिया है।
सवाड़ वार्ड की आशा धपोला, सूना से देवी जोशी, कोटली के लक्ष्मण सिंह रावत, चौंडा की महेश बबीता त्रिकोटी व विनायक की भागीरथी रावत ने पार्टी के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। इन लोगों ने पिंडर की एकता के उसी फार्मूले के आधार पर मांग की है कि कांग्रेस थराली सीट से ही जिला पंचायत अध्यक्ष का उम्मीदवार तय करे। ऐसा न होने की स्थिति में पांचों सदस्यों ने बगावत करके किसी को भी समर्थन देने का ऐलान किया है। चमोली जिले की सरकार बनाने की चाबी थराली के पांच सदस्यों के हाथ में होने से कांग्रेस के लिए निर्णय लेना कठिन हो सकता है।
बृहस्पतिवार शाम  इन पांचों सदस्यों ने मीडिया से सम्पर्क साधा। उन्होंने साफ कर दिया कि वर्तमान में सदस्यों की जो स्थिति सामने आयी है, उसके अनुसार भाजपा के पास 10 सदस्यों का समर्थन दिख रहा है, जबकि कांग्रेस से दावेदारी कर रहे पूर्व मंत्री राजेन्द्र सिंह भंडारी ने 11 सदस्यों का समर्थन दिखाया है।
बागियों का कहना है कि इस स्थिति को देखते हुए सरकार की चाबी उनके हाथ में है और वे जिसकी चाहें उसकी सरकार बना सकते हैं। हालांकि बगावत को दबाव की राजनीति भी माना जा रहा है। ताकि अध्यक्ष की दावेदारी न मिलने पर कम से कम उपाध्यक्ष थराली को मिल सके। थराली विधानसभा के कांग्रेस नेताओं ने जिला पंचायत अध्यक्ष की दावेदारी के पीछे एक और भी तर्क किया है। उनका कहना है कि यह क्षेत्र राज्य गठन के बाद आरक्षित विधानसभा में आ गया। पहले पिंडर और उसके बाद थराली आरक्षित हो गयी।
उनका कहना है कि ऐसे में इस क्षेत्र के सामान्य श्रेणी के राजनीतिक कार्यकर्ताओं को कम से कम पंचायतों में जगह दी जानी चाहिए। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस अपने पांच नाराज सदस्यों को कैसे मनाने के लिये उन्हें कौन सा ‘झुनझुना’ पकड़ाती है। मना पाती है या फिर ये सदस्य भाजपा की सरकार बनाने में मदद कर सकते हैं, ऐसे कई सवाल यकायक खड़े हो गये हैं, जिनका जवाब आज शुक्रवार शाम तक मिल सकता है।
इससे पहले जिला पंचायत अध्यक्ष चमोली की कांग्रेस की प्रबल दावेदार और पूर्व मंत्री राजेन्द्र सिंह भंडारी की पत्नी रजनी भंडारी ने बीते गुरुवार को कांग्रेस के आला नेताओं को अपने समर्थन में खड़े 10 सदस्यों से मिलवाया। शहर के एक होटल में ही इन सदस्यों से मुलाकात होने की खबर है। सूत्रों का कहना है कि रजनी भंडारी के पति बीते बुधवार की बैठक में नहीं आ पाये थे। बताया जा रहा है कि वह सदस्यों को अपने पक्ष में एकजुट करने में लगे थे। भंडारी ने बीते गुरुवार को प्रीतम सिंह और इंदिरा हृदयेश से समर्थन दे रहे सदस्यों को मिलवाया।
उसके बाद ही कांग्रेस में चमोली में रजनी भंडारी को अध्यक्ष का उम्मीदवार बनाने की खबर उड़ी तो पिंडर एकता के नाम पर जिपं अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की दावेदारी कर रहे जिला पंचायत सदस्यों को अपने सपने धूल में मिलते दिखाई दिये तो उन्होंने आनन-फानन में दबाव बनाने के लिए मीडिया को बुला लिया। बगावती तेवर अपनाने वाले इन ‘पंच प्यारों’ की ‘उड़ान’ ने कांग्रेस नेतृत्व को उलझन में डाल दिया है। अब देखना यह है कि कांग्रेस सियासत के इस भंवर से कैसे पार पाती है।

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