श्रीलंका: सीरियल धमाकों में 19 लोग गिरफ्तार

दहल गई दुनिया

  • ईस्टर पर्व के मौके पर हुए आठ सीरियल बम धमाकों में 290 लोगों की मौत 
  • शक के घेरे में मुस्लिम चरमपंथी संगठन तौहीद जमात ग्रुप, तमिलनाडु में भी है सक्रिय
  • आईईडी से श्रीलंका में ही बनाये गये थे बम, इनके पीछे आईएस का भी हाथ होने का शक

नई दिल्ली। गत दिवस रविवार को श्रीलंका में ईस्टर पर्व के मौके पर हुए आठ सीरियल बम धमाकों से पूरी दुनिया दहल उठी। इन धमाकों में 290 लोगों की मौत हुई है, जबकि 500 लोग घायल बताये गये हैं। जिनमें अधिकतर की हालत गंभीर हैै। श्रीलंका में सुरक्षा बलों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए हमले में संदिग्ध रूप से शामिल 19 लोगों को गिरफ्तार किया है। उधर श्रीलंका एयर फोर्स का कहना है कि इन आतंकी हमलों में प्रयुक्त आईईडी से बने बम श्रीलंका में ही बनाये गये थे और इन हमलों में  स्थानीय चरमपंथी मुस्लिम संगठन के साथ ही आईएस का भी हाथ होने का शक है। हालांकि किसी आतंकी संगठन ने अभी तक इन आत्मघाती हमलों की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन विदेशी मीडिया में नेशनल तौहीद जमात (एनटीजे) का नाम लिया जा रहा है, जो एक मुस्लिम चरमपंथी संगठन है। इसका एक धड़ा तमिलनाडु में भी सक्रिय बताया जाता है। इस दुखद घटना के पीछे सुरक्षा बलों की लापरवाही सामने आई है। जिसने देशभर में गिरजाघरों पर आतंकी हमलों की चेतावनी के बावजूद कड़ी सुरक्षा के इंतजाम नहीं किये। 

श्रीलंका पुलिस के मुख्य अधिकारी ने दस दिन पहले अलर्ट किया था कि देशभर के मुख्य चर्चों में ऐसे हमले हो सकते हैं। यह चेतावनी पुलिस चीफ पूजुथ जयसुंद्रा ने 11 अप्रैल को दी थी। उन्होंने अपने चेतावनी पत्र में लिखा था, ‘विदेशी खुफिया विभाग ने जानकारी दी है कि नेशनल तौहीद जमात नाम का संगठन आतंकी हमलों की तैयारी कर रहा है।’
हालांकि इस मामले में खुफिया एजेंसियों का शक कई और संगठनों पर भी है, लेकिन शक के दायरे में पहले नंबर पर तौहीद जमात ही है। श्रीलंका में तौहीद जमात हमेशा से ही वहाबी प्रचार और प्रसार के लिए जाना जाता रहा है। यह संगठन देश के पूर्वी प्रांत में कट्टरपंथी संदेशों के प्रसार के लिए महिलाओं के लिए बुर्का और मस्जिदों के निर्माण के साथ शरिया कानून को आगे बढ़ाने में लगा है।

श्रीलंका में ये सीरियल बम धमाके ठीक उसी तरह किए गए हैं, जैसे वर्ष 2016 में ढाका में होली आर्टिशन बेकरी पर आत्मघाती हमला किया गया था। उस हमले में स्थानीय युवकों की संलिप्तता पाई गई थी, लेकिन उन्हें ट्रेनिंग इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने दी थी। अब तौहीद जमात पर आत्मघाती हमलों में शामिल शक है।
चूंकि इस हमले को अंजाम देने के लिए ईस्टर जैसे पवित्र पर्व को चुना गया और उसमें गिरजाघरों को निशाना बनाया गया, इसलिए साफ है कि इसमें निशाना ईसाई धर्म के लोग ही थे। आतंकवाद विरोधी विशेषज्ञों का कहना है कि जिस स्तर के आत्मघाती हमले किए गए हैं उस स्तर के हमले किसी स्थानीय समूह द्वारा बिना किसी बाहरी फोर्स की मदद के अंजाम दिए जाने मुश्किल हैं।
श्रीलंका का एक मुस्लिम चरमपंथी संगठन नेशनल तौहीद जमात वर्ष 2014 में उस वक्त चर्चा में आया था जब इसके सचिव अब्दुल रैजिक ने बौद्ध धर्म के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिए थे और भगवान बुद्ध की मूर्तियां तोड़ी गई थीं। जिस तरह श्रीलंका में यह आतंकी संगठन श्रीलंका तोहित जमात के नाम से जाना जाता है, उसी तरह तमिलनाडु में यह संगठन तमिलनाडु तौहीद जमात के नाम से सक्रिय है।

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