…तो टूटने जा रहा नेहरू और शेख अब्दुल्ला का रचा ‘चक्रव्यूह’!

मची खलबली

  • जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 35ए व 370 को हटाए जाने को लेकर अटकलें हुईं तेज 
  • तैनात की जा रहीं सुरक्षाबलों की 100 कंपनियों पर कश्मीरी नेताओं ने उठाये सवाल
  • पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा, 35ए की तरफ उठने वाले हाथ राख हो जाएंगे
  • पीपुल्स कांफ्रेंस के सज्जाद गनी लोन ने कहा, विशेष दर्जा से हो रही छेड़छाड़ की साजिश 
  • अवामी नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष मुजफ्फर शाह ने कहा, 370 और 35-ए का हटाने का प्रयास गुंडागर्दी

नई दिल्ली/जम्मू/श्रीनगर। एनएसए अजित डोभाल के सीक्रेट मिशन पर घाटी में आने की चर्चा आम हुई तो अनुच्छेद 35ए व 370 को हटाए जाने को लेकर अटकलें तेज हो गईं। चर्चा की जा रही है कि इसे हटाने से पहले वे सुरक्षा व्यवस्था की स्थितियों का जायजा लेने के लिए पहुंचे थे। जबकि अब इस बारे में कहा जा रहा है कि जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकी बड़ा हमला करने की फिराक में हैं। जिसके कारण घाटी की सुरक्षा को चाक-चौबंद बनाने के लिए अर्धसैनिक बलों की 100 अतिरिक्त कंपनियों को तैनात किया गया है। इनमें सीआरपीएफ की 50, बीएसएफ की 10, एसएसबी की 30, आईटीबीपी की 10 कंपनियां तैनात की जा रही हैं।
सुरक्षा बलों की कंपनियों की तैनाती के आदेश की सूचना फैलने के बाद राजनीति गरमा गई है। क्षेत्रीय राजनीतिक दल केंद्र सरकार के कदम को गलत ठहरा रहे है। वहीं भाजपा का कहना था कि क्षेत्रीय दलों के नेता अफवाह फैला कर लोगों में खौफ पैदा कर रहे हैं।
सबसे ज्यादा तीखा हमला करते हुए पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने एक भाषण के दौरान यहां तक कह दिया कि 35ए की तरफ उठने वाले हाथ राख हो जाएंगे। दरअसल केंद्र सरकार द्वारा कश्मीर में अर्द्धसैनिक बलों की 100 अतिरिक्त कंपनियां तैनात करने के फैसले से पीडीपी और नैशनल कॉन्फ्रेंस बेहद नाराज हैं। जबकि केंद्र सरकार के सूत्रों का कहना है कि कश्मीर में पाक आतंकियों द्वारा हमले की साजिश के इपपुट के बाद अतिरिक्त बल तैनात करन का फैसला लिया गया है। 
महबूबा मुफ्ती ने कहा, ’35ए के साथ छेड़छाड़ करना बारूद को हाथ लगाने के बराबर होगा। जो हाथ 35ए के साथ छेड़छाड़ करने के लिए उठेंगे, वो हाथ ही नहीं बल्कि पूरा जिस्म जलकर राख हो जाएगा।’ 
इससे पहले शनिवार को भी मुफ्ती ने अतिरिक्त 100 कंपनियों को तैनात करने के केंद्र के फैसले की आलोचना करते हुए कहा था कि यह एक राजनीतिक समस्या है, जिसे सैन्य तरीके से हल नहीं किया जा सकता है। अतिरिक्त 10 हजार सैनिकों की तैनाती के फैसले ने घाटी के लोगों में भय का माहौल पैदा कर दिया है। कश्मीर में सुरक्षा बलों की कोई कमी नहीं है। जम्मू-कश्मीर एक राजनीतिक समस्या है, जो सैन्य साधनों से हल नहीं होगी। भारत सरकार को अपनी नीति पर पुनर्विचार और सुधार करने की आवश्यकता है।’
इस बीच पीपुल्स कांफ्रेंस के सज्जाद गनी लोन ने कहा कि जब से 100 अतिरिक्त कंपनियों का आदेश वायरल हुआ है, तब से लोगों में खौफ सा पैदा हो गया है। अटकलें लगाई जा रहे हैं कि कहीं जो विशेष दर्जा उन्हें प्राप्त है, कहीं उसके साथ छेड़छाड़ की कोई साजिश तो नहीं है, लेकिन इससे कुछ नहीं होगा। हिंदुस्तान के जो दुश्मन हैं, उनको तो फायदा होगा, लेकिन जिन लोगों ने संविधान के तहत शपथ ली है और जो मुख्यधारा के राजनीतिक दल हैं, उनकी साख को नष्ट करेगा। सज्जाद ने कहा कि ऐसा माहौल बन गया है कि सारे हिंदुस्तान के लोग कश्मीरियों पर हावी होना चाहते हैं, लेकिन जो ग्रेट नेशन होते हैं, वहां ऐसा तरीका नहीं होता है।
उधर अवामी नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष मुजफ्फर अहमद शाह ने कहा कि अतिरिक्त जवानों की तैनाती एक चिंता का विषय जरूर है, लेकिन 1953 से हम तैनाती देखते आए हैं। उनसे कुछ नहीं हुआ। शाह ने कश्मीर घाटी में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती को अनुच्छेद 370 और 35-ए के हटाये जाने की ओर इशारा करते हुए कहा कि ऐसे हटाने का प्रयास गुंडागर्दी होगा। अगर केंद्र इस राज्य की विशेष पहचान को कानूनी तौर पर हटाने की कोशिश करेगी तो वह असफल रहेगी।
इस बारे में जम्मू कश्मीर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र रैना ने कहा कि यह जो अतिरिक्त बलों की तैनाती होने वाली है, वह चुनावों के लिए। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में जम्मू कश्मीर में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। इसके लिए अतिरिक्त बलों को बुलाया जा रहा है। रैना ने उमर अब्दुल्ला और महबूबा पर निशाना साधते हुए कहा कि उमर और महबूबा ट्विट कर अफवाह फैलाकर खौफ  पैदा कर रहे हैं। उन्होंने लोगों से बेफिक्र रहने को कहा।
उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में भी कश्मीर पर कहा, ये साफ है कि जो लोग विकास की राह में नफरत फैलाना चाहते हैं, अवरोध पैदा करना चाहते हैं, वो कभी अपने नापाक इरादों में कामयाब नहीं हो सकते। कश्मीर के लोग विकास की मुख्यधारा से जुड़ने को कितने बेताब हैं, कितने उत्साही हैं यह इस कार्यक्रम से पता चलता है। ये साफ है कि जो लोग विकास की राह में नफरत फैलाना चाहते हैं, अवरोध पैदा करना चाहते हैं, वो कभी अपने नापाक इरादों में कामयाब नहीं हो सकते।
उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने के लिये तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने जम्मू कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला की सलाह पर गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल और अन्य केंद्रीय मंत्रियों के विरोध को दरकिनार करते हुए अनुच्छेद 370 को लागू कर दिया था। इसके साथ ही बाद में 35-ए को जम्मू कश्मीर में लागू कर देश के अन्य हिस्सों में रहने वाले लोगों के लिये वहां स्थायी रूप से बसने, संपत्ति खरीदने और राजकीय नौकरी करने के तमाम रास्ते बंद कर दिये थे। अब इस बात के कयास लगाये जा रहे हैं कि अनुच्छेद 370 और 35-ए को हटाया जा सकता है। जिससे वहां की तमाम सरकारी चल अचल संपत्तियों पर कुंडली मारे बैठे नेताओं और नौकरशाहों में हड़कंप मच गया है और वे अनाप शनाप बयानबाजी में जुट गये हैं कि कहीं उनकी पोल न खुल जाये। 

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