कांग्रेस : ‘मांझी’ पर फैसला न होने से ‘सुलग’ रहे नेता!

बहुत कठिन है डगर पनघट की

  • अब पार्टी के भीतर भी दिखने लगा है कांग्रेस में नेतृत्व संकट और उससे निकलने में हो रही देरी का असर 
  • इस पूरे घटनाक्रम पर भले ही पार्टी के नेता खामोश नजर आ रहे हों, लेकिन उठने लगे नाराजगी के सुर
  • कार्यकारी अध्यक्ष बनने के दावेदार नेताओं का कहना है कि जितनी देरी होगी उससे और बिगड़ेंगे हालात

नई दिल्ली। कांग्रेस में जारी नेतृत्व संकट और उससे बाहर निकलने में हो रही देरी का असर अब पार्टी के भीतर भी दिखने लगा है। इस पूरे घटनाक्रम पर भले ही पार्टी के नेता खामोश नजर आ रेह हों, लेकिन अंदर ही अंदर नाराजगी के सुर भी फूटने लगे हैं। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष बनने की कतार में लगे कई वरिष्ठ नेताओं ने पूरे मामले पर अपनी चिंता और निराशा जाहिर की है।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने मौजूदा संकट पर कहा कि केसी वेणुगोपाल ने कर्नाटक में जारी सियासी संकट को देखते हुए नए अध्यक्ष को टालने की बात कही थी, लेकिन अब वहां भी हम सरकार गंवा चुके हैं। पता नहीं किसका इंतजार किया जा रहा है। इस बारे में क्या हो रहा है, कुछ भी पता नहीं चल रहा है। पार्टी के एक अन्य सीनियर नेता से पूछा गया कि कब तक इस मामले पर तस्वीर साफ होगी तो उन्होंने कहा कि कुछ पता नहीं है। हर नेता की अपनी अलग राय है। इससे मामला सुलझने के बजाय उलझता जा रहा है। उनका कहना है कि अब जितनी देरी होगी उससे स्थिति और बिगड़ेगी। 
पार्टी एक और वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व संकट का असर यह हुआ है कि तमाम नेता अपने क्षेत्र नहीं जा रहे हैं। जब लोग इस बारे में बात करेंगे तो हमारे पास कहने को कुछ भी नहीं है। पार्टी का आगे स्वरूप क्या होगा, इस पर भी कुछ स्पष्ट नहीं है। इसी बीच पार्टी के अंदर सीनियर बनाम जूनियर की खाई भी तेजी से बढ़ने लगी है और पार्टी कार्यकर्ताओं में भी निराशा बढ़ती जा रही है।
हालांकि उत्तराखंड कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने अब संकेत दिया है कि संसद सत्र के समाप्त होने के बाद कांग्रेस वर्किंग कमिटी की मीटिंग बुलाई जाएगी। जिसमें अंतरिम अध्यक्ष चुना जाएगा। इसके बाद पूर्णकालिक अध्यक्ष बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। सूत्रों के अनुसार साल के अंत में महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव अंतरिम अध्यक्ष के नेतृत्व में ही लड़े जाएंगे। हालांकि अंतरिम अध्यक्ष को चुनना भी पार्टी के लिए बहुत कठिन सवाल होने वाला है। 
पार्टी के सूत्रों का कहना है कि अंतरिम अध्यक्ष को लेकर भी दो राय सामने आ रही है। एक वर्ग अंतरिम अध्यक्ष के रूप में चार नेताओं की एक टीम बनाने का सुझाव दे रहा है, जबकि दूसरे वर्ग का मानना है कि इससे स्थिति और बिगड़ेगी। इस उलझन के बीच पार्टी को सोनिया गांधी से उम्मीद है कि वह हस्तक्षेप कर कुछ दिशा देने में सफल होंगी। इस बारे में कुछ सीनियर नेताओं ने उनसे संपर्क भी किया, लेकिन राहुल की तरह वह भी पूरी प्रक्रिया से खुद को अलग रखने पर अड़ी हैं। 
इस बीच में पार्टी के कई नेताओं ने राहुल गांधी की जगह प्रियंका गांधी को नया अध्यक्ष बनाने की भी आवाज उठाई है, लेकिन राहुल पहले ही साफ कर चुके हैं कि उनकी जगह गांधी परिवार का कोई सदस्य अध्यक्ष नहीं बनेगा। सूत्रों के अनुसार नेतृत्व मसले पर जारी संकट को सुलझाने के लिए राहुल से भी हस्तक्षेप करने की मांग की गई, लेकिन वह इस बात पर अड़े हैं कि न वह इस्तीफा वापस लेंगे और न ही नया नेता चुनने की प्रक्रिया का हिस्सा बनेंगे। इससे पार्टी के वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता खुद को भंवर में फंसा महसूस कर रहे हैं और अंततोगत्वा इसका खमियाजा पार्टी को ही उठाना पड़ सकता है। इसलिये कांग्रेस के भीतर अब लावा सुलगने लगा है। जिसकी आहट से कई नेता छटपटा रहे हैं।

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