
नई दिल्ली। तेज धूप के साथ गर्मी कहर बरपा रही है। तापमान में हो रहे उतार चढ़ाव की वजह से वायरल बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है। लोग मौसम में हो रहे बदलाव के अनुसार शरीर को ढाल नहीं पा रहे हैं, जिससे वे संक्रमण की जद में आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान सहित करीब 11 राज्यों में इन दिनों लेप्टोस्पाइरता संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इंसानों में ये संक्रमण जानलेवा हो सकता है। बढ़ते संक्रमण के खतरे को देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्यों को अलर्ट जारी कर बचाव के निरंतर उपाय करते रहने की अपील की है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्र सरकार ने कहा है कि प्रभावित राज्यों में लोगों को विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। इन इलाकों का दौरा करते समय स्वास्थ्य टीमों को भी सावधानी बरतनी चाहिए। लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमण का कारण बनने वाले बैक्टीरिया मुख्यरूप से पानी या फिर मिट्टी में मौजूद हो सकते हैं। सभी राज्य प्रभावी ड्रेनेज की व्यवस्था भी सुनिश्चित करें जिससे कि दूषित जल के माध्यम से होने वाले संक्रमण के जोखिमों को कम किया जा सके।
लेप्टोस्पायरोसिस क्या है:-लेप्टोस्पायरोसिस एक बीमारी है जो लेप्टोस्पाइरा नामक बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होती है। आप अपनी त्वचा पर खरोंच या कट के माध्यम से, या अपनी आँखों, नाक या मुँह के माध्यम से लेप्टोस्पाइरा से संक्रमित हो सकते हैं । लेप्टोस्पायरोसिस एक जूनोटिक बीमारी है, जिसका मतलब है कि यह जानवरों और इंसानों के बीच फैलती है। आप इनसे संक्रमित हो सकते हैं
● संक्रमित पशुओं के पेशाब (मूत्र) या प्रजनन द्रव के साथ सीधा संपर्क।
● दूषित जल या मिट्टी के संपर्क में आना।
● दूषित भोजन या पानी खाना या पीना।
जानलेवा साबित हो सकती है बीमारी:-रिपोर्ट के अनुसार, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की केरल इकाई के डॉ. राजीव जयदेवन बताते हैं, लेप्टोस्पायरोसिस से संक्रमित 10 फीसदी लोगों की मौत हो जाती है। इसलिए जिन लोगों में संक्रमण के लक्षण नजर आ रहे हों उन्हें समय रहते डॉक्टर से मिलकर उपचार प्राप्त करना जरूरी है। समय पर बीमारी की पहचान न हो पाने की स्थिति में रोग के गंभीर रूप लेने और जानलेवा होने का खतरा भी अधिक हो सकता है। गंभीर संक्रमण वाले लोगों में किडनी-लिवर के संक्रमण का भी खतरा अधिक देखा जाता रहा है।
लक्षण और कारण….
मनुष्यों में लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षण क्या हैं?
कुछ लोगों में लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षण फ्लू जैसे होते हैं और कुछ में कोई लक्षण नहीं होते। लेप्टोस्पायरोसिस के गंभीर मामलों में, आपको आंतरिक रक्तस्राव और अंग क्षति के लक्षण होते हैं। तीव्र लेप्टोस्पायरोसिस में लक्षण अचानक प्रकट होते हैं, जिनमें शामिल हैं।
- तेज़ बुखार।
- लाल आंखें (कंजंक्टिवल इंजेक्शन).
- सिरदर्द।
- ठंड लगना।
- मांसपेशियों में दर्द।
- पेट में दर्द।
- समुद्री बीमारी और उल्टी।
- दस्त।
- पीली त्वचा या आंखें (पीलिया)।
- खरोंच।
गंभीर लेप्टोस्पायरोसिस (वेइल सिंड्रोम) के लक्षण तीन से 10 दिन बाद शुरू हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- खून की खांसी (हेमोप्टाइसिस)।
- छाती में दर्द।
- साँस लेने में तकलीफ़।
- आपकी त्वचा या आँखों का गंभीर पीलापन।
- काला, चिपचिपा मल (मल)।
- आपके पेशाब में रक्त (हेमट्यूरिया)।
- आपके द्वारा पेशाब की मात्रा में कमी आना।
- आपकी त्वचा पर चपटे, लाल धब्बे जो दाने ( पेटीकिया ) जैसे दिखते हैं।
कैसे रहें संक्रमण से सुरक्षित:- जिन लोगों में इस संक्रामक रोग का निदान किया जाता है उन्हें इलाज के लिए एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं। गंभीर लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमण की स्थिति में अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत भी हो सकती है। संक्रमण के जोखिमों से बचे रहने के लिए सबसे जरूरी है कि आप दूषित जल के संपर्क में आने से बचें। जानवरों के संपर्क से भी दूरी बनाकर रखें। पीने के लिए साफ पानी का इस्तेमाल करें या फिर पानी को उबालकर उसे ठंडा करके पिएं। अगर आपके शरीर में कहीं घाव है तो उसकी उचित देखभाल करें। केंद्र सरकार ने राज्यों को लिखे पत्र में कहा है कि प्रभावित इलाकों में काम कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों को भी सेहत को लेकर विशेष सावधानी बरतते रहना चाहिए।