भगत सिंह कोश्यारी बने महाराष्ट्र के राज्यपाल

  • कलराज को राजस्थान और आरिफ खान को केरल का कार्यभार, बंडारू दत्तात्रेय को हिमाचल के राज्यपाल का पदभार मिला

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कुछ राज्यपालों का तबादला किया है और कई को नया राज्यपाल नियुक्त किया गया है। भगत सिंह कोश्यारी को महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया गया है। कलराज मिश्र को राजस्थान का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। वह इससे पहले हिमाचल के राज्यपाल के तौर पर कार्य कर रहे थे। बंडारू दत्तात्रेय को हिमाचल का नया राज्यपाल बनाया गया है। 
आरिफ मोहम्मद खान को केरल का राज्यपाल बनाया गया है और तमिलसाईं सौदरराजन को तेलंगाना के राज्यपाल की जिम्मेदारी दी गई है। सौंदरराजन इससे पहले तमिलनाडु भाजपा की प्रदेश अध्यक्ष थीं।
गौरतलब है कि भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। कोश्यारी उत्तराखंड के एक बड़े नेता हैं। वह आरएसएस के स्वयंसेवक हैं और आपातकाल के दौरान जेल जा चुके हैं। उत्तर प्रदेश से अलग होकर जब उत्तराखंड बना तो उन्हें उसका पहला प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया। वर्ष 2001 से 2002 तक वह राज्य के मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद 2002 से 2007 के बीच उन्होंने विपक्ष के नेता की जिम्मेदारी निभाई। उन्होंने अंग्रेजी साहित्य से स्नातकोत्तर की पढ़ाई की है। वह पेशे से शिक्षक और पत्रकार भी रहे हैं। वर्ष 2008 से 2014 के बीच वह राज्यसभा सांसद रह चुके हैं। 
उधर कलराज मिश्र कुछ समय पहले ही हिमाचल के राज्यपाल नियुक्त किए गए थे। राज्यपाल बनने वाले कलराज मिश्र का लंबा सियासी अनुभव रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्णकालिक प्रचारक रह चुके मिश्र राज्यपाल बनने से पहले पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान हरियाणा भाजपा के प्रभारी थे। उससे पहले वह 2010 से 2012 तक प्रदेश भाजपा के भी प्रभारी रह चुके हैं। केद्र व यूपी सरकार में वह कैबिनेट मंत्री भी रहे। यूपी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहने के अलावा वह तीन बार राज्यसभा सांसद और एक बार देवरिया से लोकसभा सदस्य भी रहे। लखनऊ पूर्वी विधानसभा क्षेत्र से वह विधायक भी रह चुके हैं। मिश्र भाजयुमो के पहले निर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे।
वहीं कांग्रेस से दो बार, जनता दल और बसपा से एक-एक बार लोकसभा का सदस्य रह चुके आरिफ मोहम्मद खान ने वर्ष 2004 भाजपा में शामिल हुए थे। हालांकि वर्ष 2007 में भाजपा छोडने के साथ ही उन्होंने संसदीय राजनीति से दूरी बना ली थी। उन्होंने महज 26 वर्ष की उम्र में बतौर विधायक संसदीय राजनीति की शुरुआत साल 1977 से की। बाद में वह कांग्रेस में शामिल हुए और 1980 में कानपुर और 1984 में बहराइच से सांसद चुने गए। इसी दौरान शाहबानो केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटने से नाराज खान ने कांग्रेस और राजीव मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। वर्ष 1989 में जनता दल से तो वर्ष 1998 में बसपा से सांसद बने। वर्ष 2004 में भाजपा में शामिल हुए मगर कैसरगंज से लोकसभा चुनाव हारने के बाद वर्ष 2007 में भाजपा छोड़ दी थी।
बंडारू दत्तात्रेय भाजपा की संयुक्त आंध्र प्रदेश इकाई के अध्यक्ष रह चुके हैं। वह मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में श्रम और रोजगार मंत्री थे। उन्हें सिकंदराबाद लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से 10वीं, 12वीं, 13वीं लोकसभा (1991-2004) और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के केंद्रीय मंत्री के लिए संसद के सदस्य के रूप में निर्वाचित किया गया था। उनका जन्म 26 फरवरी, 1947 को हैदराबाद में हुआ था और आमतौर पर दत्तन्ना कहा जाता था। वह 1965 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हो गए थे। उन्होंने 1968 से 1989 तक आरएसएस प्रचारक के रूप में काम किया। वह लोक संघ समिति (जयप्रकाश नारायण आंदोलन) के संयुक्त सचिव थे। आपातकाल के दौरान उन्हें जेल भेजा गया था। वह 1980 में बीजेपी में शामिल हो गए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here