हरदा और हरक : अपने अपने आसमां…!

दोनों सियासत के खिलाड़ी

  • मुकदमा दर्ज होने के बाद कांग्रेस नेता हरीश की निगाह न्याय के देवता पर, लेकिन वन मंत्री की सीबीआई पर
  • सियासतदानों की निगाहें इस बात पर भी लगी हैं कि ‘काजल की कोठरी’ से कौन बेदाग बाहर निकलेगा

देहरादून। उत्तराखंड की सियासत के धुरंधर खिलाड़ी हरीश रावत और भाजपा में शामिल कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत एक बार फिर से आमने-सामने हैं। सीबीआई की ओर से दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने से यह रोचक स्थिति बनी है।
हालांकि मुकदमा दर्ज होने के बाद राजनीति के दोनों दिग्गज खिलाड़ियों का नजरिया जुदा जुदा दिख रहा है। इस प्रकरण में हरीश की निगाह तो हाईकोर्ट पर है और हरक सीबीआई के अगले कदम का इंतजार कर रहे हैं। कांग्रेस नेता हरीश रावत ने अपने फेसबुक पेज पर समर्थकों को यह संकेत देने की कोशिश भी की है।
हरीश ने लिखा कि उन्हें ईश्वर और न्याय के देवता पर पूरा भरोसा है। इससे पहले भी हरीश न्याय के देवता पर आस्था जता चुके हैं। हाईकोर्ट में उनके मामले में सीबीआई को गिरफ्तारी की अनुमति भी नहीं दी थी।
दूसरी ओर हरक सिंह रावत की निगाह अब सीबीआई जांच पर है। हरक का भी दावा है कि सीबीआई की जांच में साबित हो जाएगा कि वह पूरी तरह से बेदाग हैं। वह सीबीआई जांच में पूरा सहयोग करने को तैयार हैं।
इस मामले में पूछे जाने पर हरक ने कहा कि उनके लिए मंत्री पद मायने नहीं रखता। हरक का इशारा उस आरोप की ओर है जिसमें कहा गया था कि उन्होंने विधायकों की खरीद फरोख्त में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत से अपने लिए उपमुख्यमंत्री पद मांगा था। सीबीआई ने हरक के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया है। इससे हरक समर्थक भी दबाव महसूस कर रहे हैं। हरक के साथ चिरपरिचित एक परेशानी यह भी है वह भाजपा में ‘कांग्रेसी’ भाजपाई हैं। इतना होने पर भी हरक के पुराने सुर बरकरार हैं। इस वाकये ने हरक और हरदा को जिस तरह ‘रिंग’ में उतार दिया है, उससे मुकाबला तो दिलचस्प होने के आसार बन ही गये हैं, साथ ही सियासतदानों की निगाहें इस बात पर भी लगी है कि ‘काजल की कोठरी’ से कौन बेदाग बाहर निकलेगा।

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