चेन्नई में पानी के लिये मचा हाहाकार!

सरकार के दावों की खुली पोल

  • समय रहते न चेतने पर मद्रास हाई कोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार 
  • बूंद-बूंद पेयजल को तरस रहे स्कूल, कहीं दो दिन का ब्रेक तो कहीं हाफ डे
  • पानी का खर्च कम करने के लिए बंद किए गए कई प्राइवेट स्कूल 
  • आईटी कंपनियों ने भी कर्मचारियों से घर से ही काम करने को कहा
  • कई ग्रामीण इलाकों में लोगों को टोकन देकर बांटा जा रहा है पीने का पानी

चेन्नई। तमिलनाडु की राजधानी भीषण जल संकट से जूझ रही है। हालात यह है कि जहां एक ओर आईटी कंपनियों को अपने कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कहना पड़ा है, वहीं ग्रामीण इलाकों में टोकन देकर पीने के लिये पानी बांटा जा रहा है। पानी की किल्लत से शहर के स्कूल भी जूझ रहे हैं। पानी का खर्च कम करने के लिए कई निजी स्कूलों को बंद करना पड़ा है।
मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को खासकर चेन्नई में जारी जल संकट से निपटने के लिए एहतियाती कदम न उठाने को लेकर फटकार लगाई। मेट्रोवॉटर द्वारा दाखिल की गई आठ पेज की रिपोर्ट से असंतुष्ट हाई कोर्ट ने हैरानी जताते हुए कड़ी टिप्पणी की कि क्या संकट के वक्त राज्य का जल प्रबंधन विभाग सो रहा था।  
ईस्ट तंबरम के क्राइस्ट किंग हायर सेकंडरी स्कूल में 2600 से ज्यादा स्टूडेंट पढ़ते हैं। स्कूल ने छठी क्लास से लेकर आठवीं तक के बच्चों को दो दिन का ब्रेक दिया है। स्कूल परिसर में छह बोरवेल सूख गए हैं। स्कूल की जरूरतों को पूरी करने के लिए रोजाना दो टैंकरों के जरिए 24 हजार लीटर पानी मुहैया कराया जाता है। चिंताजनक बात यह है हक शहर में पानी के चार मुख्य स्रोतों में से एक पुंडी जलाशय लगभग सूख चुका है। इस जलाशय की क्षमता 3,231 मिलियन क्यूबिक फुट है। इसमें अब महज 0.7 फीसद पानी ही बचा है। आसपास के लोग बच्चों के साथ अब इस जलाशय के कीचड़ में मछलियों की तलाश के लिए जुट रहे हैं। परिजनों के काम-धंधे पर चले जाने के बाद बच्चे तपती दुपहरी में इस सूखे जलाशय में बैठे मिलते हैं।
शहर के क्रोमपेट इलाके में स्थित निजी स्कूल आरकेडी फोमरा विवेकानंद विद्यालय की ओर से छात्रों के अभिभावकों को मोबाइल पर मेसेज भेजकर जानकारी दी गई है कि स्कूल में हाफ डे रहेगा। टेक्स्ट मेसेज में लिखा है, ‘पानी की किल्लत की वजह से 24 जून से स्कूल की सभी क्लासेज सुबह 8 बजे से दिन में 12.15 बजे तक चलेंगी।’ स्कूल प्रिंसिपल इंद्रा शंकर ने इस पर प्रतिक्रिया देने से इनकार करते हुए कहा, ‘यह टॉप मैनेजमेंट का फैसला है।’ 
चेन्नै में जल संकट की चुनौती का सामना कर रहे कई स्कूलों ने अस्थायी रूप से किंडरगार्टन सेक्शन (छोटे बच्चों से जुड़े) बंद कर दिए हैं। स्कूलों की दलील है कि बच्चे भीषण गर्मी को सहन नहीं कर पाएंगे। वेस्ट माम्बलम के जयगोपाल स्कूल में भी ऐसा ही कदम उठाया गया है। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब मीडिया ने इस पर सवाल पूछा तो स्कूल शिक्षा मंत्री केए सेंगोट्टयन ने कहा, ‘स्टूडेंटों को पानी मुहैया कराना स्कूल प्रबंधन की जिम्मेदारी है और कुछ स्कूल वॉटर टैंकर का इंतजाम करने के लिए पैसा इकट्ठा कर रहे हैं।’ 
पानी की किल्लत से कुछ उपशहरी इलाकों में लोग पलायन को भी मजबूर हैं। लोग किराये पर शहर के उन इलाकों में शिफ्ट हो रहे हैं जहां बोरवेल अभी भी कुछ पानी दे रहे हैं या जहां टैंकर सर्विस बेहतर है।जिन इलाकों में पानी की स्थिति थोड़ी-बहुत ठीक-ठाक है, वहां के अपार्टमेंटों का किराया भी काफी बढ़ चुका है।

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