त्रिवेंद्र को नकारने के मायने देवभूमि को गर्त में डालना

सिल्वर फिश कागज को धीरे-धीरे चाटकर एक दिन छेद कर किनारे हो जाता है। ऐसे ही उत्तराखंड में कुछ इस तरह के सिल्वर फिशों का कुनबा है। जो प्रदेश के विकास और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की कार्यशैली पर छेद करना चाहते हैं। लेकिन जब भी इस चकड़ेत टीम ने उनके विकास कार्यों पर छेद करने का प्रयास किया हाईकमान ने इन सिल्वर फिशों के मनसूबों पर कीटनाशक दवा का छिड़काव कर राज्य विकास में छेद करने से पहले भगा दिया। यूं तो उत्तराखंड का जन्म होने के साथ ही यहां टांग खींचू प्रतियोगिता की परंपरा रही है। राज्य के पहले मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी से लेकर विकास पुरुष के नाम से जाने गए नारायण तिवारी तक इन दीमकों के चंगुल से नहीं बच पाए। जबकि उन्होंने पार्टी के हरेक व्यक्ति को संतुष्ट करने के लिए लाल बत्तियों की बंदर बांट तक करने में कोई कोर कसर तक नहीं छोड़ी। दलालों के भंवर से देवभूमि को निकालने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने अथक प्रयास किए और काफी तक दलालों की दलाली पर अंकुश भी लग चुका है। यही इन सिल्वर फिशों की फौज को रास नहीं आ रहा है। क्योंकि इन्हें प्रदेश के विकास में छेद करने का मौका नहीं मिल रहा है। मुख्यमंत्री की कार्यशैली को कमजोर करने के लिए ये लोग तरह-तरह के हथकंडे अपनाने पर लगे हुए हैं। अपने गुर्गों से सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री की छवि को डाउन करने के लिए भ्रामक प्रचार में जुटे हुए हैं। इसकी खास वजह यह है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत एक अनुशासित व्यक्ति हैं। जिन्होंने सचिवालय और मुख्यमंत्री आवास पहुंचने वाले चिरकुटों की अधिक आवाजाही पर रोक लगा दी है। यही लोग मुख्यमंत्री की छवि को धूमिल करने का काम कर रहे हैं। अगर त्रिवेंद्र रावत जैसे व्यक्ति को ये लोग नकार रहे हैं तो ताकीत बाद है कि उत्तराखंड का भविष्य गर्त में डालने के लिए मकड़जाल बुन रहे हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की बेदाग छवि को धूमिल करना इनके बस की बात नहीं हैं। यह कदापि दाग नहीं लगा पाएंगे। अपनी औछी हरकतों के लिए इन मुख्यमंत्री के षड्यंत्रकारियों को कई बार मुंह की खानी पड़ गई है लेकिन तब भी वे अपनी हरकतों के लिए बाज नहीं आ रहे हैं।

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