चमोली आपदा से लिया सबक : अब संवेदनशील ग्लेशियरों का होगा अध्ययन

  • इसके लिये योजना बना रहे वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिक

देहरादून। चमोली आपदा से सबक लेते हुए वैज्ञानिक अब गंगोत्री, पिंडर, मिलम, केदारनाथ समेत बड़े और आपदा के लिहाज से संवेदनशील ग्लेशियरों का अध्ययन करने की तैयारी में हैं। चमोली आपदा के बाद संस्थान की ओर से ग्लेशियरों के अध्ययन को लेकर योजना बनायी जा रही है।
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी का कहना है कि फिलहाल उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मौसम के लिहाज से स्थितियां बेहद प्रतिकूल हैं। ऐसे में संस्थान के वैज्ञानिक अप्रैल के पहले हफ्ते में उन तमाम ग्लेशियरों का अध्ययन करने के लिए जाएंगे, जो आपदा के लिहाज से काफी संवेदनशील हैं। निदेशक डॉ. कलाचंद साईं का कहना है कि जिस तरीके से चमोली की नीती घाटी में भारी-भरकम चट्टानों के दरकने और ग्लेशियर के टूटने से भयावह तबाही हुई, ऐसे में जरूरत है कि उन तमाम ग्लेशियरों का अध्ययन किया जाए जो आपदा के लिहाज से संवेदनशील हैं और भविष्य में भयावह तबाही का सबब बन सकते हैं।
डॉ. साईं का मानना है कि बेहद संवेदनशील ग्लेशियरों के पास मॉनीटरिंग स्टेशन की स्थापना कर उनकी चौबीसों घंटे निगरानी की जाए। डॉ. साईं ने कहा कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बारिश और ठंड में स्थितियां बेहद प्रतिकूल रहती हैं। वहां वैज्ञानिकों का रहना किसी भी सूरत में संभव नहीं है। ऐसे में ग्लेशियरों के पास मॉनीटरिंग स्टेशन लगाए जाने चाहिये। कहा कि इस संबंध में जल्द ही डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी समय केंद्र और राज्य सरकार को पत्र लिखा जाएगा।
गौरतलब है कि उत्तराखंड में 1400 के करीब छोटे-बड़े ग्लेशियर हैं। इसमें यमुनोत्री, गंगोत्री, डोकरियानी, बंदरपूंछ, दूणागिरी, हिपरावमक, बदरीनाथ, सतोपंथ, भागीरथी, चौराबाड़ी, खतलिंग, केदारनाथ, मिलम, हीरामणि, सोना, पोंटिंग, मेओला सुंदरढुंगा, सुखराम, पिंडारी, कपनानी जैसे प्रमुख ग्लेशियर शामिल हैं। ये ग्लेशियर लंबाई-चौड़ाई के लिहाज से काफी बड़े माने जाते हैं। इन सभी ग्लेशियरों में से सिर्फ पांच गंगोत्री ग्लेशियर डोकरियानी, केदारनाथ, चौराबाड़ी, दूनागिरी और पिंडारी ग्लेशियर की निगरानी ही की जा रही है

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here