सीएम के प्राइम प्रोजेक्ट को पलीता लगा रहा आयोग!

लापरवाही की इंतहा

  • उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की अपर निजी सचिव भर्ती परीक्षा- 2017 का मामला
  • 18 महीने बाद 1634 आवेदनों में से छंटनी करके 1530 को किया रिजेक्ट
  • लंबे समय से इस परीक्षा की तैयारी में जुटे युवाओं का भविष्य चौपट होने की कगार पर
  • कंप्यूटर सर्टिफिकेट की वजह से सबसे ज्यादा  रिजेक्ट किये गये आवेदन
  • आयोग ने दिया चार नवंबर तक प्रत्यावेदन का मौका, अभ्यर्थियों में रोष

देहरादून। प्रदेश में बेरोजगारी दूर करने और पलायन रोकने के लिये मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के प्राइम प्रोजेक्ट को किस तरह पलीता लगाया जा रहा है, इसकी बानगी उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की इस कार्यशैली से देखी जा सकती है। आयोग की अपर निजी सचिव भर्ती परीक्षा-2017 में मुख्य परीक्षा के लिए आए 1634 आवेदनों में से 1530 रिजेक्ट कर दिए गए हैं। आयोग ने इनमें से ज्यादातर आवेदन कंप्यूटर सर्टिफिकेट की वजह से रिजेक्ट किए हैं। इससे अभ्यर्थियों में रोष है।
उनका कहना है कि उनके पास मान्य सर्टिफिकेट होने के बावजूद उनके आवेदन रिजेक्ट किए गए हैं। उधर, आयोग ने इस मामले में चार नवंबर तक प्रत्यावेदन का मौका दिया है, लेकिन आयोग से यह पूछने वाला कोई नहीं है कि मान्य कम्प्यूटर सर्टीफिकेट होने के बावजूद अभ्यर्थियों के आवेदन को रिजेक्ट क्यों कर दिया गया।
गौरतलब है कि उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने आयोग और सचिवालय में अपर निजी सचिव की भर्ती के लिए 31 जुलाई 2017 को नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके तहत 11 नवंबर 2017 को प्री परीक्षा हुई थी, जिसका परिणाम 11 अप्रैल 2018 में जारी किया गया। आयोग ने इसके बाद 27 अप्रैल 2018 को मुख्य परीक्षा के लिए आवेदन मांगे। अभ्यर्थियों का कहना है कि 18 महीने के बाद 1634 (आरटीआई में मिली सूचना के मुताबिक) आवेदनों में से छंटनी करके 1530 को रिजेक्ट कर दिया गया।
इससे उन युवाओं का भविष्य चौपट होने की कगार पर पहुंच गया है जो इतने लंबे समय से इस परीक्षा की तैयारी में जुटे थे। उन्हें बड़ा धक्का लगा है। वह आयोग के इस फैसले के खिलाफ आगे की कार्रवाई की रणनीति बना रहे हैं। उनका कहना है कि आयोग के इस फैसले की वजह से कई युवाओं का भविष्य चौपट होने की कगार पर पहुंच गया है। परीक्षा विशेषज्ञ आरए खान का कहना है कि आयोग की इस परीक्षा में लगातार हो रही देरी की वजह से युवाओं का नुकसान हो रहा है। उनका भविष्य दांव पर लगा हुआ है।
प्री परीक्षा पास करने वाले संतोष चंद, अजय कुमार शर्मा, मौ. राशिद, निधि, प्रियंका, मौ. सलीम, मयंक वर्मा, विपिन कुमार, विशान सिंह, शोभा, लक्ष्मी, जुबिन सिद्दीकी, अखिलेश मैठाणी, विपिन नौटियाल, कल्पना, माही चौहान और अजय पैन्यूली का कहना है कि आयोग 18 माह के बाद किसी परीक्षा की तिथि घोषित करने के बजाय अब रिजेक्ट लिस्ट जारी कर रहा है। वह इतने समय से तैयारी में जुटे हुए हैं। अब अगर आवेदन रिजेक्ट हो गया तो उसका जिम्मेदार कौन होगा?
इस परीक्षा में कंप्यूटर सर्टिफिकेट को लेकर काफी संख्या में छात्रों के आवेदन रिजेक्ट किए गए हैं। दरअसल, अनिवार्य अर्हता में मान्यता प्राप्त संस्थान से एक वर्ष का कंप्यूटर डिप्लोमा मांगा गया था। तमाम ऐसे अभ्यर्थी हैं, जिनके पास मान्यता प्राप्त संस्थान से डिप्लोमा या डिग्री है लेकिन उनका नाम रिजेक्ट लिस्ट में चला गया है। मौ. सालिम का कहना है कि कंप्यूटर सर्टिफिकेट सरकार या मान्यता प्राप्त संस्था का मांगा गया था। जिन अभ्यर्थियों ने केंद्रीय संस्थान का सर्टिफिकेट दिया है, वह रिजेक्ट कर दिए गए हैं।
आयोग के सचिव राजेंद्र कुमार की ओर से जारी सूचना के मुताबिक चार नवंबर तक ऐसे अभ्यर्थी अपना प्रत्यावेदन कर सकते हैं। इसके बाद उस पर आयोग निर्णय लेगा। उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने सोमवार को 1530 अभ्यर्थियों की रिजेक्ट लिस्ट जारी करते हुए ऐसे सभी अभ्यर्थियों को एक मौका दिया है। सभी अभ्यर्थियों के नाम के सामने उनके प्रमाणपत्रों की कमी दशाई गई है। 

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