आखिर छलक ही पड़ा हरदा के ‘दर्दे दिल‘ का पैमाना!

वक्त की हर शै गुलाम

  • एक एक कर गिनाये प्रदेश कांग्रेस के स्तर पर अपनी उपेक्षा के सारे मामले
  • हरीश रावत ने कहा, पार्टी ने मुझे सामूहिकता के लायक भी नहीं समझा 

देहरादून। प्रदेश में सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने को लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत की इनकार के बाद बुधवार को कांग्रेस में विवाद और बढ़ गया। रावत ने प्रदेश कांग्रेस के स्तर पर अपनी उपेक्षा के सारे मामले गिनाए और कहा कि पार्टी ने मुझे सामूहिकता के लायक नहीं समझा। 
बुधवार को भी उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सामूहिक नेतृत्व में प्रदेश में चुनाव लड़ने के प्रति विरोध के रुख को जारी रखा। कुमाऊं दौरे पर पहुंचे हरीश रावत ने बुधवार को भी दो अलग-अलग ट्वीट किए और फेसबुक पर पोस्ट साझा की। दूसरे ट्वीट में रावत ने अपनी नाराजगी को भी खुलकर सामने रखा।
पूर्व मुख्यमंत्री ने लिखा, ‘कांग्रेस ने मुझे सामूहिकता के लायक नहीं समझा’। रावत के मुताबिक यह उसी दिन साफ हो गया था जिस दिन पार्टी के मंच से संगठन महामंत्री ने पार्टी के नेताओं की जय बुलवाई और नए बने राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत को मंच से जिंदाबाद बुलवाने लायक नहीं समझा गया। 
हरदा ने अपनी इस पोस्ट में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश का फिर जिक्र किया। रावत ने लिखा कि प्रदेश में जगह-जगह जन आंदोलन हो रहे हैं। कांग्रेस को उन जनसंघर्षों के साथ जोड़ने के लिए जरूरी है कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश वहां पहुंचें और शामिल लोगों का मनोबल बढ़ाएं। इस विवाद को हवा देते हुए रावत ने लिखा कि हमें युवा हाथों में बागडोर देने के लिए उत्सुक होना चाहिए। पार्टी के भविष्य के लिए जेनरेशन चेंज को प्रोत्साहित करना पार्टी की सेवा है। प्रदेश स्तर पर कांग्रेस में अपनी उपेक्षा को गिनाते हुए हरीश ने कहा कि उनके लिए तो कई बार मंच पर भी स्थान नहीं रहता। उन्हें अपना मोड़ा साथ लेकर चलना पड़ता है। रावत ने लिखा कि पार्टी के आधिकारिक पोस्टरों में मेरा नाम और चेहरा स्थान नहीं पा पाया, लेकिन उन्होंने इस पर बात नहीं की। 
हरीश ने संगठन को लेकर भी सवाल उठाया और कहा कि संगठन में कुछ नामों की संस्तुति को लेकर भी एआइसीसी का दरवाजा खटखटाना पड़ा। उस समय सामूहिकता की बात क्यों नहीं की गई। उन्होंने किसानों के आंदोलन के समर्थन में कांग्रेस के 15 जनवरी को प्रस्तावित राजभवन कूच में शामिल होने से इनकार किया है।

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