गोपेश्वर से महिपाल गुसाईं।
केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के अंतर्गत इस बार अन्य वर्षोंं की अपेक्षा उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्वत: उगने वाले ब्रह्मकमल एवं फेनकमल उगने के कारण वन विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी खासे उत्साहित बने हुए हैं।
पिछले माह 25 सितंबर को केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग गोपेश्वर के प्रभागीय वनाधिकारी अमित कंवर के नेतृत्व में ऊखीमठ वन रेंज के 4 अधिकारियों, कर्मियों के साथ ही 6 पोर्टरों का एक दल प्रभाग के ऊच्च हिमालयी क्षेत्रों व बुग्यालों की वनस्पतियों, जड़ी-बूटियों एवं वन्य जीवों के अध्ययन के लिए गया था। जो 6 दिनों के भ्रमण के बाद वापस यहां लौट आया हैं। इस संबंध में एक विशेष भेंट में अपने बुग्यालों के व्यापक भ्रमण के अनुभवों को साझा करते हुए डीएफओ अमित कंवर ने बताया कि दल ने केदारनाथ प्रभाग के अंतर्गत रांसी, गौडार, मदमहेश्वर, बूढ़ा मदमहेश्वर, कासनीताल, पांड़व सेरा, नन्दीकुन्ड़, घी विनायक, वर्मा बुग्याल, मनपाई बुग्याल, मेढ़ाखाल, वंशीनारायण, कलगोढ़, पूर्वी व पश्चिमी बीट में करीब 75 किमी की पैदल यात्रा तय करते हुए कई अनुभव प्राप्त किए।
उन्होंने बताा कि इस दौरान मल्ला कालीफाट के विभिन्न वन क्षेत्रों में काफी संख्या में दुर्लभ पक्षियों के साथ ही वन्यजीव दिखें, इसके साथ ही पांड़व सेरा एवं नन्दीकुन्ड़ में भारी तादाद में ब्रह्मकमल एवं घी विनायक व वैत्ररणी बुग्यालों में बड़ी संख्या में फेनकमल खिले मिले। जिनसे बुग्यालों की अनोखी छटा देखते ही बन रही थी।
उन्होंने बताया कि इस दौरान टीम बुग्यालों में कई जड़ी-बूटियों की पहचान करने के लिए उनके नमूने लेकर आई है। बुग्याली क्षेत्रों में पदचिन्हों, खरोचों, ध्वनि, मल आदि से उस क्षेत्र में निवासरत वन्यजीवों की पहचान करने के साथ ही उनके नमूने भी अपने साथ लाए हैं। इस बार बुग्याली क्षेत्रों में मानव आवागमन लगभग बन्द रहने के कारण पूरे ट्रेक पर पैदल रास्तों में बड़ी-बड़ी घास एवं झाड़ियां उंग आई हैं। जिससे पैदल यात्रा में काफी कठिनाईयां सामने आ रही हैं। इन ट्रेक मार्गों को दुरुस्त करने के लिए जल्द ही एक कार्ययोजना तैयार की जाएगी। ताकि पदयात्रियों को भटकने से बचाया जा सके। उन्होंने बताया कि भ्रमण के दौरान बुग्यालों से टीम अपने साथ ब्रह्मकमल एवं फेनकमल के बीजों को एकत्रित कर लाई है। अब यहां पर इन बीजों को बोकर ब्रहम एवं फेनकमल के पौध उगाने के प्रयास किए जाएंगे।