हम सब चोर हैं
- नियम विरुद्ध दिया एसीपी का लाभ, ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर वित्त नियंत्रक ने जारी किए आदेश
- एक हजार से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी रिकवरी की जद में, इनका वेतनमान होगा संशोधित
- घाटे में चल रह परिवहन निगम का हर महीने करीब ढाई करोड़ कम होगा वेतन पर खर्च
देहरादून। उत्तराखंड परिवहन निगम में अफसरों की मिलीभगत से करीब छह साल से चल रहा 90 करोड़ का एसीपी घोटाला पकड़ में आया है। शासन के आदेश पर गठित विशेष ऑडिट टीम ने यह गड़बड़ी पकड़ी है। इसके बाद अब एक हजार से अधिक कर्मचारियों व अधिकारियों से 90 करोड़ रुपये की रिकवरी करने के साथ ही उनका वेतनमान भी संशोधित किया जाएगा, जिससे उनकी तनख्वाह कम हो जाएगी।
परिवहन निगम में एसीपी घोटाले का यह मामला यूं तो करीब छह साल से चल रहा है लेकिन हर बार अधिकारियों की मिलीभगत के चलते मामला फाइलों में गुम हो जाता है। इस बार शासन के आदेश पर जब ऑडिट हुआ तो पूरी पोल खुलकर सामने आ गई। शासनादेशों की धज्जियां उड़ाते हुए जिन अधिकारियों काे लाभ पहुंचाया गया है, उसमें रिकवरी की जिम्मेदारी संभालने वाले भी शामिल हैं। अब इन सबसे भी रिकवरी की जाएगी।
लगातार शिकायतें आने के बाद शासन ने इसकी जांच के लिए विशेष ऑडिट टीम गठित की थी। ऑडिट टीम ने परिवहन मुख्यालय को 16 बिंदुओं पर जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। इस रिपोर्ट के आधार पर वित्त नियंत्रक विक्रम सिंह जंतवाल ने बिंदुवार कार्रवाई के आदेश सभी मंडलों को जारी कर दिए हैं। यह कार्रवाई 30 दिसंबर तक करने के बाद 31 दिसंबर तक इसकी पूरी रिपोर्ट परिवहन मुख्यालय को भेजनी होगी।
ऑडिट में सामने आई आपत्तियों के बाद परिवहन निगम के एक हजार से अधिक अधिकारी व कर्मचारी रिकवरी की जद में आ गए हैं।
इनमें रोडवेज के डीजीएम से लेकर कार्यालयों में काम करने वाले कर्मचारी, अधिकारी, समूह-घ कर्मचारी, वर्कशॉप में काम करने वाले फीटर, मैकेनिक, फोरमैन, सीनियर फोरमैन आदि शामिल हैं। इन सभी को जो भी वेतन भुगतान नियम विरुद्ध किया गया है, उसकी रिकवरी की जाएगी।
ऑडिट रिपोर्ट के बाद जो आदेश जारी किए गए हैं, उसके तहत एक ओर जहां रिकवरी होने से रोडवेज को राहत मिलेगी तो दूसरी ओर हर महीने के वेतन खर्च में भी कमी आ जाएगी। अनुमानित तौर पर रिकवरी की राशि करीब 90 करोड़ रुपये होगी। रोडवेज हर महीने वेतन पर करीब 20.5 करोड़ खर्च करता है। वेतन संशोधन के बाद यह राशि भी करीब ढाई करोड़ घटकर 18 करोड़ पर आ जाएगी। लिहाजा, घाटे में चल रहे परिवहन निगम को राहत मिलेगी। ऑडिट में यह तथ्य सामने आया है कि तमाम कर्मचारी और अधिकारी हर महीने नियम विरुद्ध दो हजार से 15 हजार रुपये अतिरिक्त वेतन ले रहे हैं। इससे निगम को अच्छा खासा नुकसान हर महीने उठाना पड़ रहा है।