सरकारी कमांडो की आड़ में करोड़ों का गोरखधंधा!

सब गोलमाल है

  • स्टिंगबाज की सुरक्षा में तैनात सीआरपीएफ के एक जवान ने किया उसके कारनामों का खुलासा 
  • पीड़ित जवान ने पत्र लिखकर केंद्रीय गृहमंत्री राज नाथ सिंह को इसके बारे में भेजी शिकायत 
  • कहा, सुरक्षा कर्मियों की आड में जमीनें कब्जाने के साथ-साथ किये जा रहे तमाम गलत काम 

स्टिंगबाज उमेश कुमार शर्मा अपनी सुरक्षा के नाम पर मांगे गए सरकारी एजेंसियों के सुरक्षा कर्मियों का जमकर दुरुपयोग करता था। वह इन सुरक्षा कर्मियों की आड़ में करोड़ों के खेल में लिप्त रहा। उसकी सुरक्षा में तैनात सीआरपीएफ के एक जवान ने उसके कारनामों का खुलासा किया है। इस जवान ने केंद्रीय गृहमंत्री राज नाथ सिंह को इसकी शिकायत भेजी है। वह सुरक्षा कर्मियों की आड में जमीनें कब्जाने के साथ-साथ इन कर्मचारियों से गलत लोगों को संरक्षण भी देता था, ताकि उन लोगों से अपने काम कराये जा सके। 
गौरतलब है कि विवेक कुमार नामक सीआरपीएफ के जवान ने गृहमंत्री को यह शिकायत भेजी है। विवेक एनएसजी का ट्रेंड कमांडो है। उसको 2015 में उमेश के सुरक्षा दस्ते में शामिल किया गया था। उन्होंने गृहमंत्री को भेजे पत्र में लिखा है कि समाचार प्लस चैनल के प्रमोटर डीएस ग्रुप के मालिक राजीव गुप्ता को भी उमेश कुमार शर्मा ने खुद को मिली सीआरपीएफ सुरक्षा कवर का अवांछित तरीके से लाभ दिया। राजीव गुप्ता के खिलाफ उस समय ईडी, दिल्ली पुलिस व इनकम टैक्स की संयुक्त जांच चल रही थी। राजीव गुप्ता इन एजेंसियों के लिए वांछित थे। उमेश ने खुद को मिले सुरक्षा कवर से राजीव गुप्ता को न केवल संरक्षण दिया बल्कि एजेंसियों को उस तक पहुंचने से भी रोका। जिस कारण राजीव गुप्ता के खिलाफ जांच बाधित हुई। 

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विवेक ने अपनी शिकायत में आगे लिखा है कि उसी दौरान उमेश कुमार ने उसे गाजियाबाद के एटीएस टावर में स्थित अपने आवास में बुलाया, जहाँ राजीव गुप्ता अपने परिवार के साथ मौजूद था। उमेश ने उससे कहा कि उन्हें वीआईपी सिक्योरिटी का कोर्स किए हुए तीन एनएसजी कमांडो राजीव गुप्ता व उनके परिवाार की निजी सुरक्षा के लिए चाहिए, लेकिन सरकार द्वारा उन्हें सीआरपीएफ प्रोटेक्शन मिलना मुमकिन नही था। इसके लिये उमेश कुमार ने उसे (विवेक) नौकरी से इस्तीफा देकर डीएस ग्रुप (रजनीगंधा) ज्वाइन करने को कहा और डीएस गु्रप द्वारा मुझे 30 लाख रुपये ज्वाइनिंग फीस दिलवाने की बात कही। साथ ही डीएस ग्रुप मुझे कंपनी पेरोल में बतौर पीएसओ नौकरी दिलवाने का झांसा दिया। इसी तर्ज पर बाकी के दो जवानों को भी कंपनी में रखने की बात कही। 

बकौल विवेक कुमार, उमेश के इस आश्वासन के बाद मैने सीआरपीएफ से इस्तीफा दे दिया। मगर नौकरी छोडने के बाद उमेश ने न तो मेरी ज्वाॅइनिंग फीस दी और न ही मुझे पेरोल पर रखवाया। जब मैंने डीएस ग्रुप जाकर अपने पैसे की बात की तो मालिक राजीव गुप्ता ने ये कहा कि तुम्हारे 30 लाख रुपये मैं उमेश कुमार को दे चुका हूं और हमें तुम्हारी कोई आवश्यकता नहीं है। विवेक ने गृहमंत्री को लिखा, ‘श्रीमान जी, दरअसल यह गोरखधंधा है। जिसमें उमेश जैसे भ्रष्ट पूंजीपति लोग सुरक्षाबलों के जवान को छलकर, सुनियोजित षड्यंत्र कर नौकरी से इस्तीफा दिलवाते हैं और जब वो कहीं के नहीं रहते तो उन्हेे बहुत कम पैसों में अपनी निजी सुरक्षा में रख लेते हैं। उमेश जैसे लोग अपनी सीआरपीएफ सुरक्षा का दुरुपयोग करते हैं। लोगों की जमीनें कब्जा करना, कब्जे खाली कराने का ठेका लेना, लोगों को ब्लैकमेलिंग करने जैसे अपराध करते हैं। सीआरपीएफ कवर होने के कारण न तो कोई पीडित व्यक्ति, प्रशासन या पुलिस में शिकायत कर पाता है और न ही कोई कार्रवाई हो पाती है। दरअसल उमेश कुमार के लिए सीआरपीएफ कवर का एकमात्र मकसद ही यही था कि वह सुरक्षा कवर में सारे गैरकानूनी कामों को अंजाम दे सके। यदि सरकार द्वारा जांच हो जाय तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि कैसे एक आम व्यक्ति इतनी कम अवधि में पांच हजार करोड़ की संपत्ति का मालिक बन गया है।
उल्लेखनीय है कि उमेश कुमार को सीआरपीएफ का यह वीवीआईपी सुरक्षा कवच तब मिला था जब उसने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत का स्टिंग किया था। इस स्टिंग में वह बागी विधायकों को खरीदने का प्रस्ताव रावत के सामने रखते हुए नजर आया था। इसके बाद जब रावत की सरकार बहाल हो गई तो उमेश कुमार ने हरीश रावत सरकार से अपनी जान का खतरा बता कर केंद्र सरकार के मंत्रियों को अपने प्रभाव में लिया और सीआरपीएफ की वीवीआईपी सुरक्षा कवच लेने में कामयाब रहा।

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