सुप्रीम कोर्ट के अपने फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर की सुनवाई
नई दिल्लींं। राफेल सौदे पर सुप्रीम कोर्ट ने गत वर्ष 14 दिसंबर को दिए अपने फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर आज शुक्रवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। हालांकि 14 दिसंबर को अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने फ्रेंच कंपनी दसॉ से 36 राफेल जेट्स खरीदने के मामले में एनडीए सरकार को क्लीन चिट दे दी थी।
आज शुक्रवार को अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट से कहा कि राफेल सौदे की प्राइसिंग इंटर-गवर्नमेंट एग्रीमेंट के आर्टिकल 10 के तहत की गई है और इसकी चर्चा सार्वजनिक मंच पर नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल है और दुनिया की कोई भी अदालत इस तरह के तर्कों पर रक्षा सौंदे की जांच नहीं कर सकती है।
गौरतलब है कि राफेल मामले में पिछले दिनों केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा था कि राफेल सौदे के लिए जो प्रक्रिया चल रही थी, उसे प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा मॉनिटर करना समानांतर बातचीत या दखल नहीं कहा जा सकता है। केंद्र सरकार ने कहा कि अधूरे अंतरिम नोट्स और मीडिया रिपोर्ट के आधार पर राफेल सौदे के मामले को दोबारा ओपन नहीं किया जा सकता। साथ ही कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 14 दिसंबर को जो आदेश पारित किया था, उसका नतीजा सही था।
इसी वर्ष दो जनवरी को राफेल सौदे मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और एडवोकेट प्रशांत भूषण की ओर से 14 दिसंबर के फैसले के रिव्यू के लिए पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई। अर्जी में मीडिया में डिफेंस मिनिस्ट्री से जुड़े कुछ नोटिंग की खबरों को भी रिव्यू पिटीशन का आधार बनाया गया।
गौरतलब है कि राफेल खरीद प्रक्रिया और इंडियन ऑफसेट पार्टनर के चुनाव में सरकार द्वारा भारतीय कंपनी को फेवर किए जाने के आरोपों की जांच की गुहार लगाने वाली तमाम याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर 2018 को खारिज कर दिया था। बाद में इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की गईं और अब इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली है। हालांकि फैसला बाद में आएगा।