- श्रम मंत्री ने सुनाया फरमान, कर्मचारियों को जिस दिन हटाया, उसी दिन से होंगे बहाल
देहरादून। उत्तराखंड भवन सन्निर्माण एवं कर्मकार कल्याण बोर्ड से सचिव दीप्ति सिंह को हटाने के बाद अब श्रम मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने एक और आदेश जारी किया है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि जो कर्मचारी पूर्ववर्ती सरकार में कर्मकार बोर्ड से हटाए गए थे, उन्हें उसी तिथि से बहाल किया जाएगा।
गौरतलब है कि त्रिवेंद्र सरकार में कर्मकार बोर्ड को भंग करते हुए पहले सचिव दमयंती रावत को हटाया गया था। इसके बाद हरक को अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था। सरकार ने शमशेर सिंह सत्याल को नया अध्यक्ष बनाया था और सचिव पद पर पीसीएस अफसर दीप्ति सिंह को जिम्मेदारी सौंपी थी। नए बोर्ड ने सबसे पहले हरक सिंह रावत के कार्यकाल में रखे गए 38 कर्मचारियों को हटाने का आदेश जारी किया था। इसके बाद सरकार ने कर्मकार बोर्ड का एजी ऑडिट शुरू किया था। तमाम विवादों के बीच बोर्ड के कार्यकाल की जांच भी कराई जा रही थी।
इस बीच प्रदेश में निजाम बदल गया। इसके बाद श्रम मंत्री हरक सिंह रावत ने फॉर्म में आते हुए सबसे पहले बोर्ड की सचिव दीप्ति सिंह को उनके पद से हटाते हुए मधु नेगी चौहान को सचिव पद की जिम्मेदारी सौंपी थी। अब मंत्री ने नई सचिव को आदेश दिया है कि जो 38 कर्मचारी जिस तिथि को हटाए गए थे, उन्हें उसी तिथि से बहाल किया जाए। मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि सरकार की पहली जिम्मेदारी लोगों को रोजगार देना है।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड भवन सन्निर्माण एवं कर्मकार कल्याण बोर्ड की पूर्व सचिव दमयंती रावत अकाउंटेंट जनरल (एजी) ऑडिट टीम के निशाने पर आ गई थीं। जांच के दौरान सामने आने वाली वित्तीय गड़बड़ियों पर ऑडिट टीम ने बोर्ड से जवाब मांगा। बोर्ड की सचिव दीप्ति सिंह ने एक पत्र के साथ सभी सवाल दमयंती रावत को प्रेषित कर दिए थे। इसके बाद दमयंती को कर्मकार बोर्ड के सचिव पद से हटा दिया गया था। त्रिवेंद्र सरकार ने बोर्ड भंग करते हुए वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत को भी अध्यक्ष पद से हटा दिया था। फिर बोर्ड में हुए वित्तीय लेन-देन का एजी ऑडिट शुरू हो गया था। ऑडिट टीम ने सभी दस्तावेज खंगालने के बाद काफी आपत्तियां जताई थीं। इसमें ईएसआई अस्पताल के लिए 50 करोड़ का लोन स्वीकृत करने से लेकर कई और वित्तीय मामलों से संबंधित सवाल शामिल थे। इन सभी आपत्तियों पर एजी टीम ने जवाब मांगा था।