भारत ने रचा इतिहास! चंदा मामा के सफर पर निकला चंद्रयान-2

अंतरिक्ष में ऐतिहासिक उड़ान

  • इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने को बेताब दिखे देशवासी, काउंटडाउन के साथ बढ़ती गईं धड़कनें 
  • धरती से ऊपर उठते ही देशभर की उम्मीदों और दुआओं के साथ चांद की 40 दिन यात्रा का शुभारंभ 
  • लॉन्चिंग की तारीख एक हफ्ते आगे बढ़ाने पर भी चंद्रयान-2 तय 7 सितंबर को ही पहुंचेगा चांद पर 
  • भारत के सबसे ताकतवर जीएसएलवी मार्क-III रॉकेट से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया चंद्रयान-2  

श्रीहरिकोटा। भारत के अति महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 की आज सोमवार को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 2.43 मिनट पर सफल लॉन्चिंग हो गई। चंद्रयान-2 ने जैसे ही चांद की यात्रा शुरू की, देशवासी झूम उठे। हर दिल में उमंग और खुशी की लहर। इसरो अंतरिक्ष में एक नया इतिहास रचने जा रहा था और देशवासी इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने को बेताब दिखे। काउंटडाउन के साथ लोगों की धड़कनें भी बढ़ती गईं और जैसे ही चंद्रयान- 2 धरती से ऊपर उठा, देशभर की उम्मीदें और दुआएं उसके साथ चांद की यात्रा पर निकल पड़ीं। 
इससे पहले आज सोमवार सुबह से ही चंद्रयान-2 के लॉन्च होने से जुड़ी पल- पल की जानकारी देशवासियों में रोमांच भरती रही। हर अपडेट के साथ दिलों की धड़कनें तेज हो जाती रहीं। इतिहास बनाने जा रहे स्वदेशी चंद्रयान-2 के इस सफर का हर कोई हिस्सा बन जाने को आतुर दिखा। इतिहास रचने जा रहे इस खुशी के पल के साथ एक संशय दिलों में जरूर था क्योंकि 15 जुलाई को क्रायोजेनिक इंजन में लीकेज के कारण चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग अंतिम क्षणों में टालनी पड़ी थी। लोगों की आंखें चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग पर लगी थीं लेकिन लबों पर दुआ तैर रही थी कि इस बार कुछ गड़बड़ न हो। 
जैसे ही चंद्रयान ने उड़ान भरी….लोग झूम उठे। कइयों की आंखें नम हो आईं। इस महान इतिहास का साक्षी बन रहे लोगों का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। होठों पर विजयी मुस्कान बिखरा और लबों पर वंदेमारम। हर मुस्कराता चेहरा इस बात का साक्षी था कि देश ने बहुत बड़ी फतह हासिल कर ली है। बता दें कि हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्चिंग के बाद मिशन को चांद तक पहुंचने में 48 दिन का समय लगने वाला है। उधर, भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के चेयरमैन के सिवन ने कहा है कि लैंडिंग के अंतिम 15 मिनट बेहद चुनौतीपूर्ण रहेंगे क्योंकि उस दौरान हम ऐसा कुछ करेंगे जिसे हमने अभी तक कभी नहीं किया है। 
सिवन ने कहा, ‘चंद्रमा की सतह से 30 किलोमीटर दूर चंद्रयान-2 की लैंडिंग के लिए इसकी स्पीड कम की जाएगी। विक्रम को चांद की सतह पर उतारने का काम काफी मुश्किल होगा। यह तनाव का क्षण केवल इसरो ही नहीं बल्कि सभी भारतीयों के लिए होगा।’ 
लॉन्चिंग की तारीख एक हफ्ते आगे बढ़ाने के बावजूद चंद्रयान-2 चांद पर तय तिथि सात सितंबर को ही पहुंचेगा। इसे समय पर पहुंचाने का मकसद यही है कि लैंडर और रोवर तय शेड्यूल के हिसाब से काम कर सकें। समय बचाने के लिए चंद्रयान पृथ्वी का एक चक्कर कम लगाएगा। पहले पांच चक्कर लगाने थे, पर अब चार चक्कर लगाएगा। इसकी लैंडिंग ऐसी जगह तय है, जहां सूरज की रोशनी ज्यादा है। रोशनी 21 सितंबर के बाद कम होनी शुरू होगी। लैंडर-रोवर को 15 दिन काम करना है, इसलिए समय पर पहुंचना जरूरी है।
चंद्रयान-2 को भारत के सबसे ताकतवर जीएसएलवी मार्क-III रॉकेट से लॉन्च किया गया। इस रॉकेट में तीन मॉड्यूल ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) लगे हैं। इस मिशन के तहत इसरो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर को उतारेगा। इस बार चंद्रयान-2 का वजन 3,877 किलो है। यह चंद्रयान-1 मिशन (1380 किलो) से करीब तीन गुना ज्यादा है। लैंडर के अंदर मौजूद रोवर की रफ्तार एक सेमी प्रति सेकंड रहेगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here