साजिश का आगाज
- राजपुर गांव में उत्तर दिशा से शुरू झड़ीपानी—मसूरी ट्रैकिंग रूट पर रातोंरात खड़े किये पिलर और डाल दिया लिंटर
- दिन की बजाय रात में ही दिया जा रहा अवैध निर्माण को अंजाम, महकमे के जिम्मेदार अधिकारी इससे अनजान
- स्थानीय लोगों ने कहा, कई जगह धार्मिक स्थलों के नाम पर इस रूट पर चल रहीं असामाजिक गतिविधियां
देहरादून। राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में अभी तक अवैध कब्जों और अतिक्रमण की घटनायें बदस्तूर जारी हैं। रिस्पना और बिंदाल नदियां तो अतिक्रमण के बोझ के चलते दम तोड़ ही रही हैं, वहीं अब अतिक्रमण माफिया दून घाटी के संरक्षित वन क्षेत्र पर भी नजर गढ़ाने लगे हैं। जबकि इन संरक्षित वन क्षेत्रों की रखवाली के लिये वन महकमे में अफसरों और कर्मचारियों की बड़ी फौज तैनात है। इसके बावजूद अतिक्रमण माफिया अपने काम को बखूबी अंजाम देने में लगे हैं। जिससे जिम्मेदार अफसरों की कार्यशैली पर सवालिया निशान लग रहे हैं।
ताजा मामला राजपुर गांव के उत्तरी छोर से शुरू झड़ीपानी मसूरी ट्रैकिंग रूट या यूं कहिये इस पैदल रास्ते का है। जिसे उस क्षेत्र के स्थानीय ग्रामीण और रोमांच के शौकीन छात्र—छात्रायें, एथलीट और अन्य लोग खूब इस्तेमाल करते रहे हैं। इस समय इस रूट की हालात पैदल चलने योग्य भी नहीं रह गई है। यह जगह—जगह से खतरनाक स्तर तक टूट फूट चुका है और इस पर पैदल चलना भी खतरे से खाली नहीं है। राजपुर गांव से करीब चार पांच किमी आगे इसी रूट पर एक मोड़ पर संरक्षित वनभूमि पर बड़े स्तर पर एक मजार का निर्माण कर दिया गया है।
खास बात यह है कि पहले तो कंक्रीट के पिलर खड़े किये गये, मजार का निर्माण किया गया और बाद में लिंटर भी डाल दिया गया है। यह सब काम रातोंरात किया गया है। महीनो से चल रहे निर्माण कार्य के लिये पानी से लेकर रेत, सीमेंट, सरिया आदि सामान भी रातोंरात ढोया जाता रहा है। अन्य कई जगह तो मात्र रस्सी बांधकर या झंडे टांगकर ही अवैध कब्जे किये गये हैं, लेकिन इस मजार को बनाने के लिये सुनियोजित तरीके से पक्का निर्माण कर लिया गया है। जिससे वहां संदिग्ध लोगों की आवाजाही भी बढ़ गई है।
राजपुर गांव से शुरू झड़ीपानी—मसूरी ट्रैकिंग रूट पर जिस तरह से रातोंरात पिलर खड़े किये गये और लिंटर डाला गया, उससे स्थानीय लोगों में दहशत पैदा हो गई है। उनके कहे अनुसार इस अवैध निर्माण को
दिन की बजाय रात में ही अंजाम दिया जा रहा है और महकमे के जिम्मेदार अधिकारी इससे अनजान बने हुए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस रूट पर कई जगह धार्मिक स्थलों के नाम पर असामाजिक गतिविधियां चल रही हैं। जिन पर वन विभाग और पुलिस महकमे को खास ध्यान देने के साथ यदा कदा इस मार्ग का निरीक्षण भी करना चाहिये ताकि यहां असामाजिक लोगों की आवाजाही और उनकी गतिविधियों पर रोक लग सके।
इसके साथ ही इस बदहाल पड़े रूट का पुनर्निर्माण भी किये जाने की जरूरत है। गौरतलब है कि इस ट्रैकिंग रूट की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इंदुकुमार पांडेय मुख्य सचिव के कार्यकाल के दौरान तमाम आला अफसर और नौकरशाह इस रूट पर ट्रैकिंग कर चुके हैं।