मनीष हत्याकांड : झूठ पर झूठ क्यों बोल रहे एसएसपी साहब!

यूपी पुलिस का गुंडाराज

  • होटल में कमरे के फर्श पर लगे खून के धब्बे साफ करवा दिए
  • घटना का वीडियो जारी नहीं किया, 24 घंटे में दिये 3 अलग-अलग बयान

गोरखपुर। कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की मौत मामले में रामगढ़ताल थाने के सिर्फ तीन पुलिसकर्मियों को जिम्मेदार माना गया है, जबकि पीड़ित परिवार ने पुलिस को दी तहरीर में 6 पुलिसकर्मियों के नाम लिखे थे। पुलिस शुरू से ही इस मामले में लीपापोती में लगी है। पुलिस के पास होटल चेकिंग का वीडियो है, लेकिन वह इसे जारी नहीं कर रही है।
इस मामले में बवाल मचने के बाद भी सीनियर पुलिस अधिकारी कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं हैं। अगर इस पूरे घटनाक्रम पर गौर करें तो ऐसे तमाम सवाल उठ रहे हैं, जो सिर्फ रामगढ़ताल पुलिस को ही नहीं, बल्कि अफसरों को भी कठघरे में खड़े कर रहे हैं। गोरखपुर के एसएसपी डॉ. विपिन टाडा भी बार-बार बयान बदल रहे हैं। इससे उनकी विश्वसनीयता पर भी सवाल उठ रहे हैं।

पहले दिन एसएसपी बोले- हड़बड़ाहट में गिरे मनीष

सोमवार रात यानी घटना वाले दिन एसएसपी डॉ. विपिन टाडा ने वीडियो बयान जारी कर कहा कि होटल में कुछ संदिग्धों के होने की सूचना मिली थी, जिनकी तलाश में पुलिस पहुंची। पुलिस को देखकर हड़बड़ाहट में मनीष होटल के कमरे में गिर गया। गिरने के दौरान चोट लगने से उसकी मौत हो गई।

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कप्तान के बयान भी संदिग्धता के घेरे में…

1. पुलिस की ओर से होटल की चेकिंग करने के दौरान वीडियो बनाया गया था। इस वीडियो को क्यों जारी नहीं किया गया?
2. होटल के 512 नंबर कमरे में ही संदिग्धों के होने की सटीक सूचना पुलिस को कैसे मिल गई? यह सूचना किसने दी? यह भी नहीं बताया जा रहा।
3. आधी रात 12.30 बजे चेकिंग पर उठे सवाल पर एसएसपी ने कहा- संदिग्धों की सूचना पर, यानी विशेष परिस्थिति में चेकिंग की गई। फिर पुलिस कप्तान को यह भी पता होगा कि चेकिंग के दौरान कितने और कौन-कौन पुलिसकर्मी थे। इसके बाद भी उन्हें नामजद क्यों नहीं किया गया? एसएसपी के बयानों पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

दूसरे दिन एसएसपी का बयान- 6 पुलिसकर्मी सस्पें

मंगलवार की दोपहर एसएसपी ने दूसरा वीडियो बना कर बयान जारी किया कि युवक की मौत मामले में 6 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया गया है। एसपी नॉर्थ को मामले की जांच सौंपी गई है। जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

यह बयान भी आया सवालों के घेरे में…

1. जब मनीष की मौत महज एक हादसा ही थी तो फिर एक साथ 6 पुलिसकर्मियों को किस आधार पर और क्यों सस्पेंड कर दिया?
2. परिवार कार्रवाई की मांग कर रहा था तो पुलिस ने हादसे का सबूत, यानी होटल के सीसीटीवी के फुटेज क्यों नहीं दिए?
3. घटना के तत्काल बाद होटल के कमरे से मनीष का मोबाइल, पर्स गायब हो गया। फर्श पर लगे खून के धब्बे को क्यों आनन-फानन में साफ कराया गया। बिना किसी फॉरेंसिक जांच के होटल के कमरे से छेड़छाड़ क्यों की गई?
4. हत्या का केस दर्ज करने के लिए मुख्यमंत्री को क्यों हस्तक्षेप करना पड़ा?

एसएसपी का तीसरा बयान- 3 पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर
एसएसपी ने मंगलवार की देर रात तीसरा बयान जारी किया। इसमें कहा कि मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर तीन पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है। पीड़ित परिवार को मुख्यमंत्री की ओर से 10 लाख रुपए अनुकंपा राशि की मदद दी जाएगी।

तीसरे बयान पर भी उठे सवाल…

1. छोटी-छोटी वारदात में मौके पर पहुंचने वाले अधिकारी इतने हाई प्रोफाइल मामले के बाद भी मौके पर क्यों नहीं पहुंचे?
2. आखिर ऐसी क्या वजह है कि जिसके लिए जिला प्रशासन से लेकर सरकार तक की भद्द पिटने के बाद भी विभाग आरोपी पुलिसकर्मियों को बचाने में लगा है? उनकी गिरफ्तारी नहीं हो रही है?
मनीष कानपुर के रहने वाले थे। वे नोएडा में रहने वाले अपने दो दोस्तों के साथ बिजनेस के सिलसिले में गोरखपुर गए थे। वहां रामगढ़ताल इलाके के होटल कृष्णा पैलेस में ठहरे थे। आरोप है कि सोमवार की रात 12 बजे पुलिस की टीम होटल में चेकिंग करने पहुंच गई। चेकिंग के दौरान मनीष के दो दोस्त जग रहे थे उन्होंने पुलिस को ID कार्ड दिखा दिया, जबकि मनीष सो रहे थे। दोस्तों ने उनको उठाया तो मनीष ने पुलिस से कहा कि यह चेकिंग का क्या तरीका है? क्या हम लोग आतंकवादी हैं? आरोप है कि इसी बात पर इंस्पेक्टर रामगढ़ताल और उनकी टीम बिफर गई। उन्होंने होटल में मनीष के साथ बुरी तरह मारपीट की। इसमें मौके पर ही मनीष ने दम तोड़ दिया।

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