कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के विरासत की संपत्ति पर टैक्स लगाने के बयान पर मचा बवाल, जानिए क्या है मामला

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के बीच संपत्ति के बंटवारे पर मचे घमासान के बीच इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने विरासत टैक्स को लेकर बड़ा बयान दिया है, जिस पर अब विवाद खड़ा हो गया हैं। कांग्रेस के थिंक टैंक और इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने विरासत की संपत्ति में टैक्स लगाने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में इस तरह के कानून हैं।

सैम ने कहा कि अमेरिका में कोई भी शख्स 45 प्रतिशत अपने बच्चों को हस्तांतरित कर सकता है। 55 प्रतिशत हिस्सा सरकार ले लेती है। पित्रोदा ने कहा कि आपने अपनी पीढ़ी के लिए संपत्ति बनाई है। आपको अपनी संपत्ति जनता के लिए छोड़नी चाहिए, पूरी नहीं, आधी, जो मुझे उचित लगती है। उन्होंने कहा कि भारत में इस तरह का कानून नहीं है लेकिन ऐसा नियम यहां भी बनना चाहिए।

सैम ने कहा कि अमेरिका में विरासत टैक्स लगता है। यदि किसी के पास 100 मिलियन डॉलर की संपत्ति है और जब वह मर जाता है तो वह केवल 45% अपने बच्चों को हस्तांतरित कर सकता है। 55% सरकार द्वारा हड़प लिया जाता है। यह एक दिलचस्प कानून है। जब हम धन के पुनर्वितरण के बारे में बात करते हैं तो हम नई नीतियों और नए कार्यक्रमों के बारे में बात कर रहे हैं। जो लोगों के हित में हैं न कि अति-अमीरों के हित में।

सैम पित्रोदा ने कांग्रेस के मैनिफेस्टो पर सफाई देते हुए कहा कि किसी के घर से कुछ नहीं उठाया जाएगा। पित्रोदा ने कहा कि ये एक नीतिगत मुद्दा है। कांग्रेस पार्टी एक नीति बनाएगी जिसके माध्यम से धन वितरण बेहतर होगा। पित्रोदा ने कहा कि हमारे पास भारत में न्यूनतम वेतन नहीं है। अगर हम देश में न्यूनतम वेतन के साथ आते हैं और कहते हैं कि आपको इतना पैसा गरीबों के लिए देना होगा तो ये गलत नहीं है।

अमीर लोग अपने चपरासियों, नौकरों और घरेलू नौकरों को पर्याप्त वेतन नहीं देते हैं, बल्कि वे उस पैसे को दुबई और लंदन में छुट्टियों पर खर्च करते हैं। जब आप धन के वितरण के बारे में बात करते हैं, तो ऐसा नहीं है कि आप एक कुर्सी पर बैठते हैं और कहो मेरे पास इतना पैसा है और मैं इसे सभी को बांट दूंगा। ऐसा सोचना नासमझी है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सैम पित्रोदा के बयान पर सफाई दी है। उन्होंने कहा कि सैम दुनिया भर में कई लोगों के लिए एक गुरु, मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक रहे हैं। लोकतंत्र में एक व्यक्ति अपने व्यक्तिगत विचारों पर चर्चा करने, व्यक्त करने और बहस करने के लिए स्वतंत्र है। इसका मतलब यह नहीं है कि पित्रोदा के विचार हमेशा कांग्रेस की स्थिति को प्रतिबिंबित करते हैं।

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