सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की EVM और VVPAT मिलान की याचिका, ECI को दिया अहम सुझाव

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के वोटों का वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों से 100 फीसदी सत्यापन की मांग वाली सभी याचिकाएं खारिज कर दीं। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की दो जजों की पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया। कोर्ट ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग भी खारिज कर दी। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि उम्मीदवार चाहे तो चुनाव परिणाम घोषित होने के सात दिन के भीतर रिजल्ट की दोबारा जांच की मांग कर सकता है। ऐसी स्थिति में माइक्रो कंटोलर की मेमोरी की जांच इंजीनियर के द्वारा की जाएगी।

ईवीएम-वीवीपैट मिलान पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला…

● सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि वीवीपैट का 4 करोड़ डाटा सही पाया गया है। यही तर्क आयोग के पक्ष में फैसला आने में मददगार रहा।

● याचिका में ईवीएम के परिणाम और वीवीपैट के 100 फीसदी मिलान की बात कही गई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।

● सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 45 दिन तक ईवीएम-वीवीपैट का डाटा सुरक्षित रखा जाए। इस दौरान यदि कोई उम्मीदवार परिणाम पर सवाल उठाता है तो जांच की जाएगी। इसका खर्च उम्मीदवार वहन करेगी।

● एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) संस्था और कुछ अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल कर वीवीपैट पर्चियों का ईवीएम से 100 प्रतिशत मिलान की मांग की थी।

● चुनाव आयोग ने पीठ के समक्ष कहा था कि ईवीएम और वीवीपैट में किसी तरह की छेड़छाड़ संभव नहीं है। आयोग ने मशीनों की सुरक्षा, उन्हें सील करने और उनकी प्रोग्रामिग के बारे में भी शीर्ष कोर्ट को अवगत कराया था।

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