कोलकाता। भाजपा में अपने ‘कद’ को लेकर नाराज चल रहे मुकुल रॉय ने आखिरकार तृणमूल कांग्रेस में घर वापसी कर ही ली। आज शुक्रवार को वह अपने बेटे शुभ्रांग्शु के साथ ममता की पार्टी में शामिल हुए। ममता की मौजूदगी में उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी ने मुकुल और उनके बेटे की तृणमूल में वापसी कराई। मुकुल ने कहा कि घर वापस आकर अच्छा लग रहा है।
हालांकि उनकी घर वापसी के कयास तभी शुरू हो गए थे, जब वे भाजपा की बैठकों से किनारा करने लगे थे, लेकिन कारण बताया था पत्नी की तबीयत का। उनकी नाराजगी को समझते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पत्नी का हालचाल लेने के जरिए ही उनसे फोन पर करीब 10 मिनट बातचीत की थी, लेकिन 3 जून को हुई इस वार्ता के 7 दिन बाद मुकल ने फाइनली यही फैसला किया कि वह तृणमूल में वापस लौटेंगे।
नवंबर 2017 में तृमूकां छोड़कर भाजपा जॉइन करने वाले मुकुल रॉय अभी भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही उन्होंने पार्टी से दूरी बनानी शुरू कर दी थी। सूत्रों ने बताया कि उन्होंने दो-तीन दिन पहले ही दीदी से मिलने के लिए अपॉइंमेंट ले लिया था।
मुकुल रॉय को भाजपा ने कृष्णनगर उत्तर सीट से चुनावी मैदान में उतारा था। उन्होंने टीएमसी की उम्मीदवार कौशानी मुखर्जी को 35 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। मुकुल रॉय के बेटे शुभ्रांग्शु रॉय को भी भाजपा ने टिकट दिया था, लेकिन वह हार गए। मुकुल और उनके बेटे के टीएमसी में शामिल होने के कयास चुनावी नतीजों के बाद से ही लगाए जा रहे थे। बीते कुछ दिनों से वे पार्टी की बैठकों में भी शामिल नहीं हो रहे थे। पार्टी ने वजह बताई थी कि उनकी पत्नी की तबीयत ज्यादा खराब है इसलिए वे बैठक में नहीं आ रहे। वहीं उनके बेटे शुभ्रांग्शु ने भी कुछ दिनों पहले अपनी फेसबुक पोस्ट के जरिए भाजपा को निशाने पर लिया था।
तृणमूल के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि मुकुल रॉय को भाजपा ने उचित सम्मान नहीं दिया इसलिए वह दोबारा टीएमसी में वापसी कर रहे हैं। शुभेंदु अधिकारी का कद जिस तेजी से भाजपा में बढ़ा है, वैसा सम्मान मुकुल को नहीं मिला। ये भी उनकी बेचैनी की एक वजह है, जबकि टीएमसी में मुकुल रॉय का कद कभी नंबर-2 का हुआ करता था।
मुकुल रॉय के अलावा भाजपा के करीब 33 विधायक-सांसद ऐसे हैं, जो दोबारा टीएमसी में शामिल होना चाहते हैं। इनमें राजीव बनर्जी, सोवन चटर्जी, सरला मुर्मु, पूर्व विधायक सोनाली गुहा और फुटबॉलर से राजनेता बने दीपेंदू विश्वास जैसे नेता शामिल हैं।
हालांकि टीएमसी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि दीदी सभी को शामिल करने के मूड में नहीं हैं, क्योंकि इससे पार्टी में असंतोष बढ़ेगा। पार्टी के एक धड़े का मानना है कि जिन्होंने चुनाव के पहले गद्दारी की, अब उन्हें दोबारा पार्टी में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।
भाजपा में जाने के पहले तक राजीव बनर्जी भी ममता के खास रहे हैं और टीएमसी के टिकट पर जीतते रहे हैं, लेकिन भाजपा में आने के बाद वे चुनाव हार गए। जबकि तृणमूल का एक धड़ा चाहता है कि जो हारने के बाद वापस आना चाहते हैं, उन्हें तो बिल्कुल ही नहीं लिया जाना चाहिए। हालांकि ममता बनर्जी ने अभी इस बारे में कोई फैसला नहीं लिया है।
मुकुल रॉय के चुनावी प्रबंधन का ही कमाल था कि भाजपा ने 2018 में हुए पंचायत चुनाव में कई सीटों पर अच्छा परफॉर्म किया था। इसके बाद लोकसभा में पार्टी ने 18 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया था। इसके पीछे भी मुकुल रॉय का बड़ा रोल रहा। टीएमसी में वह जब तक रहे, उन्होंने पर्दे के पीछे से ही चुनावी रणनीति बनाने का काम किया। दीदी के साथ वह शुरुआत से जुड़े थे।

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