अमेठी की ‘हवा’ में सस्पेंस!

हॉट सीट का हाल

  • गत लोकसभा चुनाव में हारने के बावजूद स्मृति ईरानी ने राहुल को दी थी कड़ी टक्कर
  • इस चर्चित सीट पर इस बार भी कांग्रेस अध्यक्ष का कड़ा मुकाबला करने की ‘चुनौती’  

कांग्रेस की पहली पसंद में शुमार रही अमेठी की सीट पहले से ही काफी चर्चित रही है। गत लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को कड़ी चुनौती दी थी, लेकिन वह चुनाव जीतने में कामयाब नहीं हो पाई थीं। स्मृति ने राहुल की जीत का अंतर बहुत कम कर दिया था। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी केरल के वायनाड के साथ ही अमेठी लोकसभा क्षेत्र से एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं। उधर भाजपा ने लगातार दूसरी बार स्मृति ईरानी को ही यहां से मुकाबले में उतारा है। गौरतलब है कि वर्ष 2014 के चुनाव में राहुल ने 1.07 लाख वोटों से स्मृति को हराया था। इस बार अमेठी की ‘हवा’ में सस्पेंस है। राहुल ने आज दल-बल के साथ यहां से पर्चा भरा है। कल यहां से स्मृति पर्चा भरेंगी। राहुल ने पर्चा भरने से पहले बहन प्रियंका गांधी, जीजा रॉबर्ट वाड्रा और उनके दोनों बच्चे रिहान और मियारा के साथ तीन किमी लंबा रोड शो करके शक्ति प्रदर्शन किया। राहुल इस बार दो लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने कुछ दिन पहले केरल के वायनाड सीट से भी नामांकन किया है। 
राहुल के दो सीटों से चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद से ही अमेठी की ‘हवा’ में सस्पेंस तैरने लगा है। ऐसी भी चर्चायें हैं कि वह वायनाड से इसलिए चुनाव लड़ रहे हैं क्योंकि उनकी अमेठी में स्थिति कमजोर है। अमेठी सीट गांधी परिवार की वजह से हमेशा चर्चा में रही है। वर्ष 1967 से लेकर अब तक यहां सिर्फ दो बार ऐसा हुआ है जब कांग्रेस ने लोकसभा का चुनाव न जीता हो। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में अमेठी से अपनी सियासी पारी का आगाज करने वाले राहुल यहां जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं। आमतौर पर बाकी पार्टियां कांग्रेस को इस सीट पर वॉकओवर देती आई हैं लेकिन वर्ष 2014 में भाजपा ने यहां से स्मृति इरानी को उतारकर मुकाबले को रोमांचक बना दिया था। हालांकि आम आदमी पार्टी (आप) की ओर से कुमार विश्वास भी मैदान में उतरे लेकिन वह चौथे स्थान पर रहे। वर्ष 2014 से पहले हुए दो लोकसभा चुनावों के दौरान राहुल ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को करीब तीन लाख वोटों के अंतर से मात दी थी। वर्ष 2014 में स्मृति ने उन्हें कड़ी टक्कर दी और राहुल की जीत का अंतर घटकर करीब 1 लाख 7 हजार वोट पहुंच गया। इस बार चुनाव में उत्तर प्रदेश में सपा, बसपा और रालोद ने हाथ मिला लिया है। कांग्रेस इस गठबंधन में शामिल नहीं है लेकिन सपा, बसपा और रालोद के गठबंधन ने अमेठी और रायबरेली सीट पर अपने प्रत्याशी न उतारने का ऐलान किया है। ऐसे में मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होना है। 
वर्ष 2004 में राहुल के चुनाव में उतरने से पहले उनकी मां सोनिया गांधी यहां से सांसद रहीं। फिर वह अमेठी से रायबरेली चली गईं। सोनिया से पहले उनके पति और राजीव गांधी यहां से चार बार सांसद बने। राजीव के राजनीति में आने से पहले उनके छोटे भाई संजय गांधी भी अमेठी से सांसद रहे हैं। एक बार संजय गांधी अमेठी से ही चुनाव हारे भी थे। वर्ष 1977 की ‘जनता लहर’ में संजय को भारतीय लोक दल के रवींद्र प्रताप सिंह ने 75 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था।

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