अकूत संपत्ति बनाई, बच्चों को ‘सेट’ किया!

  • जेल से बिहारवासियों के लिखी राजद सुप्रीमो लालू की चिट्ठी पर जदयू ने कसा तंज 
  • कहा, आपको उसी संविधान के तहत सजा सुनाई गई, जिसे बचाने की आप दे रहे हैं दुहाई
  • कहा, उस ‘लालटेन युग’ और ‘जंगलराज’ भूलकर अब नए बिहार की पटकथा लिख रहे लोग

सुप्रीम कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद मायूस राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू यादव ने बिहार के लोगों को लिखे पत्र में लिखा है,’आपकी कमी खल रही है इसलिए जेल से ही आप सब के नाम पत्र लिखा है। आशा है आप इसे पढ़िएगा और लोकतंत्र और संविधान को बचाइएगा।’ इस पर तंज कसते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने भी पत्र लिखकर जवाब दिया है। जदयू ने लालू को संबोधित पत्र में उन पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि लोकतंत्र के उत्सव में जब आप शामिल होने के ही योग्य नहीं हैं तो इस पर लिखने या अफसोस जताने से क्या लाभ? पत्र में लालू के शासनकाल का जिक्र करते हुए कहा कि अब लोग उस ‘लालटेन युग’ और ‘जंगल राज’ को भूलकर नए बिहार की पटकथा लिख रहे हैं।
पत्र में जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने लिखा, यहां के लोग बिहार के गौरवशाली अतीत को लौटाने के लिए बेचैन हैं। इसकी पटकथा सुशासन की इस सरकार ने लिखी है। वैसे, आपकी छटपटाहट उस कालखंड का परिणाम है, जिसके लिए अदालत ने भी उस काल को ‘जंगल राज’ कहा था। पत्र में कहा गया है, ‘आप कोई स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई या फिर अल्पसंख्यकों या सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने के कारण जेल नहीं गए हैं, बल्कि आपको सरकारी धन में घोटाला करने का दोषी पाया है। ऐसे में आपको सजा तो होनी ही थी।
आपने राजनीतिक जीवन में परिवार के लिए अकूत बेनामी संपत्ति बनाई। अपने पुत्रों को भी राजनीति में सेट कर ही दिया तो फिर अब काम क्या शेष रह गया? आप तो राजनीतिक गुरु बन अपने पुत्रों को भी अपने रास्ते पर चलने के लिए ट्रेंड कर चुके हैं।’
नीरज ने पत्र में कहा, ‘आपकी करनी के कारण देश की सर्वोच्च अदालत आपको जमानत तक देने को तैयार नहीं हैं। आप को उसी संविधान के तहत सजा सुनाई गई है, जिसे बचाने की आप दुहाई दे रहे हैं।’
पत्र के अंत में लालू को नसीहत देते हुए कहा गया कि संविधान पर विश्वास करना सिखिए। गौरतलब है कि बुधवार को लालू ने बिहार के लोगों को पत्र लिखकर कहा था कि इस चुनाव में सब कुछ दांव पर है। 44 वर्षों में पहला चुनाव है, जिसमें मैं आपके बीच नहीं हूं। चुनावी उत्सव में आप सब के दर्शन न होने का अफसोस है। आपकी कमी खल रही है इसलिए जेल से ही आप सब के नाम पत्र लिखा है। आशा है आप इसे पढि़एगा और लोकतंत्र और संविधान को बचाइएगा।’

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