साजिशों को दरकिनार कर आगे बढ़ती त्रिवेंद्र सरकार

  • ढाई साल में ही प्रदेश के साथ—साथ पूरे देश में ईमानदार नेता के रूप में उभरे त्रिवेंद्र
  • प्रदेश के सर्वांगीण विकास के साथ ही पलायन रोकने और रोजगार की दिशा में गढ़े कई आयाम
  • राज्य में पहली बार देहरादून इन्वेस्टर्स समिट में हुए 1 लाख 24 हजार करोड़ के एमओयू साइन
  • जिसमें 40 हजार करोड़ का निवेश पर्वतीय क्षेत्रों के लिए किये जाने की योजनायें भी हो रहीं साकार
  • अभी तक 17 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट धरातल पर उतरे, जिनमें 46 हजार लोगों को मिलेगा रोजगार
  • राज्य बनने से लेकर 2017 तक हुए थे केवल 40 हजार करोड़ के निवेश

देहरादून। त्रिवेंद्र सिंह रावत की भाजपा सरकार ने ढाई साल के कम समय में ही उत्तराखंड के विकास के लिए जो प्रतिबद्धता दिखाई है और उससे आगे बढ़कर पलायन रोकने और रोजगार के अवसर पैदा करने में जो ठोस कदम उठाये हैं, वे अब रंग दिखाने लगे हैं। देश-विदेश से आए निवेशकों की बड़ी तादाद और उनकी दिलचस्पी ने देवभूमि में विकास की नई असीम संभावनाओं के द्वार यहां के युवाओं के लिये खोल दिये हैं। इसके पीछे नींव के पत्थर की तरह मुख्यमंत्री के प्रयास भले ही सतह पर अभी उतने नजर न आ रहे हों, पर उन पर बन रही विकास की इमारत ने उनके धुर विरोधियों की बोलती बंद कर दी है।
दिलचस्प बात यह है कि उत्तराखंड बनने के इतिहास में त्रिवेंद्र सरकार एक इकलौती सरकार है जिस पर एक भी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगाया जा सका है। अपनी इसी ईमानदारी के कारण मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की छवि प्रदेश के साथ-साथ पुरे देश में भी एक ईमानदार नेता के रूप में बनी है। त्रिवेंद्र रावत ने भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार करते हुए पहली बार ज़ीरो टॉलरेंस और आनलाइन सिस्टम को लागू करने की नीति को सख्ती से लागू किया जिससे सरकारी विभागों के कामकाज में पारदर्शिता आई और उनका राजस्व बढ़ा। प्रदेश के आमजन के लिए सीएम हेल्पलाइन नं० 1905 शुरू करवाई गई जिससे घर बैठे ही समस्याओं का समाधान सुनिश्चित हो सके।
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों की कतार से भी त्रिवेंद्र रावत एकदम जुदा नजर आये क्योंकि उन्होंने कोरी घोषणायें नहीं कीं बल्कि उनसे संबद्ध शासनादेश भी तुरंत जारी करवाये और खुद आगे बढ़कर उनकी मॉनीटरिंग भी की, जिससे वे सभी कार्यरूप में ढलती चली गईं। राजधानी देहरादून में डाट काली मंदिर सहित तीन नए फ्लाईओवर का तय समय से पहले और तय बजट से कम बजट में तैयार होना इसका जीता-जागता उदाहरण है। इसी दिशा में देहरादून में इन्वेस्टर्स समिट के सफल आयोजन के बाद अब हरिद्वार में औद्योगिक शिखर सम्मेलन की सफलता ने साबित कर दिया है कि त्रिवेंद्र सरकार निवेशकों और उद्यमियों की अपेक्षाओं पर खरी उतर रही है। उत्तराखंड के चहुंमुखी विकास की दिशा में ये दोनों सम्मेलन अभी तक के सबसे बड़े और उपलब्धि भरे आयोजन साबित हुए है, जिनके सकारात्मक परिणाम आने शुरू हो चुके हैं।

युवाओं की सबसे बड़ी समस्या रोजगार को त्रिवेंद्र रावत ने एक चुनौती के रूप में लिया और वह हमेशा युवाओं को यह बात समझाते रहे कि परीक्षा की तैयारी रखें व ईमानदारी से मेहनत करते रहें क्यूंकि प्रदेश में आगामी दिसंबर माह तक लगभग 15 से 20 हजार सरकारी नौकरियों की बरसात होने वाली है। जो युवा इस सुनहरे मौके के लिये तैयार होंगे, वे बाजी मार ले जाएंगे। ढाई साल के कार्यकाल में त्रिवेंद्र सरकार ने प्रदेश भर के स्कूलों में कक्षा 1 से 12वीं तक एनसीईआरटी की पुस्तकें लागू करवाई। युवाओं के लिए प्रदेश में सीपेट, ड्रोन एप्लीकेशन आदि केंद्र खोले जिनका लाभ आज प्रदेश के युवाओं को मिल रहा है। इसके साथ ही सरकारी नौकरियों के करीब 18 हजार पदों पर भर्ती प्रक्रिया जारी कर दी गई है। रोजगार के नये अवसरों के लिये कोस्टगार्ड भर्ती केंद्र, लॉ यूनिवर्सिटी तथा साइंस सिटी बनाने का कार्य प्रगति पर है साथ ही पैठाणी में प्रोफेशनल कॉलेज, हरिद्वार व किच्छा में मॉडल कॉलेजों की स्थापना की जा रही है।
त्रिवेंद्र सरकार ने पर्यटन को भी नई दिशा दी है। राज्य को  पर्यटन प्रदेश के रूप में विकसित करने के लिये सरकार ने पर्यटन से जुड़ी गतिविधियों को एमएसएमई का दर्जा दिया है। चाहे वह सी प्लेन की कनेक्टिविटी से प्रदेश को जोड़ना हो या प्रदेश में 13 जिलों में 13 टूरिस्ट डेस्टिनेशन को बढ़ावा देना सरकार गंभीरता से इन योजनाओं के लिए कृत संकल्प दिख रही है। टिहरी झील में सी-प्लेन संचालन के लिए एमओयू किया गया है तथा पिथौरागढ़ में ट्यूलिप गार्डन का निर्माण जारी है। इसके साथ ही सभी 13 जिलों में 13 नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन योजना पर भी काम शुरू हो गया है। होम स्टे जैसी योजनाओं से बेरोजगारों को स्वरोजगार के लिये बेहतरीन अवसर प्रदान किये गये हैं, एडवेंचर के प्रति युवाओं की विशेष रुचि को देखते हुए एडवेंचर टूरिज्म के लिए भी अलग निदेशालय की तैयारी चल रही है। फिल्मों और धारावाहिकों की शूटिंग के लिए 66वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरूस्कार में मोस्ट फ़िल्म फ्रेंडली स्टेट का पुरूस्कार त्रिवेंद्र सरकार को मिल चुका है।
त्रिवेंद्र सरकार ने आम प्रदेशवासियों के लिये जिस तरीके से देश में सबसे पहले अटल आयुष्मान योजना का प्रदेश का शुभारंभ किया, वह पूरे देश में एक मिसाल है। जिसका फायदा हर तबके और हर गरीब व्यक्ति को बिना किसी बाधा के मिल रहा है। जिसमें पांच लाख रुपये तक का इलाज सरकार वहन कर रही है। इससे उत्तराखंड, प्रदेश के सभी लोगों को नि:शुल्क इलाज देने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। अटल आयुष्मान योजना से 23 लाख परिवारों को नि:शुल्क इलाज मिल रहा है। अब तक करीब 72 हजार लोगों ने इस योजना के तहत अपना इलाज कराया है। इसके साथ एक हज़ार से ज्यादा डॉक्टरों की पर्वतीय क्षेत्रों में तैनाती करते हुए दुर्गम क्षेत्रों में एयर एंबुलेंस सेवा को भी शुरू कर दिया गया है ताकि जरूरतमंद लोगों को समय पर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराई जा सके।
रोजगार के अवसर खोलने व प्रदेश में आय के स्रोत बढ़ाने की दिशा में भी त्रिवेंद्र सरकार हमेशा प्रयासरत रही। राज्य में गत वर्ष पहली बार देहरादून में इन्वेस्टर्स समिट का सफल आयोजन से 1 लाख 24 हजार करोड़ के एमओयू साइन किए गये। जिसमें 40 हजार करोड़ का निवेश पहाड़ी क्षेत्रों के लिए किये जाने की योजना है। 17 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट धरातल पर उतरे। जिनमें 46 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।
पहाड़ के दुर्गम गांवों को खुशहाल करने का भी खुले मन से प्रयास किया गया। जिसके तहत उन्हें सड़क मार्ग से जोड़ने के लिये वर्ष 2022 तक 355 पुलों का निर्माण का लक्ष्य है।  इसके साथ-साथ 1723 किमी मार्गों का नवनिर्माण, 2045 किमी में पुनर्निर्माण तथा 176 पुलों का निर्माण करके त्रिवेंद्र सरकार ने अपनी मंशा को साफ़-साफ़ जाहिर कर दिया है। अभी तक 303 गावों को सीधे सड़क से जोड़ा गया है, टिहरी का बहुप्रतीक्षित डोबरा चांठी पुल लगभग तैयार है और नये वर्ष के शुरू में ही इस पर आवागमन शुरू हो जाएगा। प्रदेश भर में सड़क निर्माण के लिए 15 हजार से ज्यादा शासनादेश जारी कर दिये गये है। 670 न्याय पंचायतों में ग्रोथ सेंटर की स्थापना की जा रही है तथा सौभाग्य योजना से राज्य के दो लाख से अधिक घरों तक बिजली पहुंचा दी गई है। पहाड़ी क्षेत्रों में सौर ऊर्जा में 600 करोड़ के निवेश के साथ 148 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए 208 परियोजनाएं स्वीकृत की है। इसके अलावा पिरूल से बिजली बनाने के लिए 21 नई परियोजनाओं को भी मंजूरी दी है।
किसानों की दशा सुधारने के लिये भी त्रिवेंद्र सरकार का सकारात्मक रवैया रहा है। इस दिशा में किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य हासिल करने के ठोस प्रयास जारी हैं। पारंपरिक फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में उम्मीद से ज्यादा बढ़ोतरी के साथ ही मार्केटिंग के लिए 10 करोड़ का रिवाल्विंग फंड मंजूर किया गया है। 10 हजार जैविक क्लस्टर बनाने पर काम जारी है। सभी किसानों को एक लाख रुपये तक ब्याज मुक्त ऋण की सुविधा दी गई है और  फार्म मशीनरी बैंक से कृषि उपकरणों की खरीद पर 80% छूट दी जा रही है।
त्रिवेंद्र सरकार ने पहाड़ से पलायन रोकने के लिये ठोस पहल की है। सबसे ज्यादा पलायन प्रभावित पौड़ी में कैबिनेट की ऐतिहासिक बैठक में खेती में सुधार, ग्रामीण विकास और कौशल विकास को प्राथमिकता देने और स्वरोजगार के लिए स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने की योजनाओं को मूर्त रूप देने का काम सरकार युद्धस्तर पर कर रही है। इसकी तरह अगली कैबिनेट की बैठक अल्मोड़ा जिले की समस्याओं का निदान करने के लिये प्रस्तावित है।
त्रिवेंद्र सरकार ने महिलाओं के उत्थान के लिए भी विशेष प्रयास किये, जिससे भाजपा महिला उत्थान को प्राथमिकता देने वाली पार्टी बन गई है। देवभोग प्रसाद योजना से एक ओर जहाँ स्थानीय महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हुई है तो दूसरी ओर स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा मिल रहा है। त्रिवेंद्र सरकार ने महिला समूहों को उद्यमिता के लिए बिना ब्याज के पांच लाख तक का ऋण उपलब्ध कराया है। इसके साथ ही उनकी अतिरिक्त आमदनी के लिये महिला समूहों को पिरूल कलेक्शन से भी जोड़ा जा रहा है।
त्रिवेंद्र सरकार के प्रदेश के विकास में चार चांद लगाने के लिये केंद्र की मोदी सरकार भी अभूतपूर्व योगदान दे रही है। जिससे डबल इंजन की सरकार से विकास की गति में बेहद तेजी आई है। केंद्र सरकार द्वारा देहरादून-पंतनगर-पिथौरागढ़ तक सस्ती उड़ानों का तोहफा दिया गया है। चार धामों को जोड़ने वाली ऑल वेदर रोड का कार्य प्रगति पर है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन पर कार्य जारी है। हरिद्वार व हल्द्वानी में रिंग रोड की स्वीकृति मिल चुकी है। केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण कार्यों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रुचि जग-जाहिर है।
सबसे महत्वपूर्व बात यह है कि त्रिवेंद्र रावत ने मुख्यमंत्री बनने के दिन ही जीरो टॉलरेंस की नीति से सरकार चलाने का वादा किया था और उसी वादे पर वह खरे उतरे हैं। वो बात अलग है किन इन ढाई सालों में त्रिवेंद्र को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाने के लिए तमाम लोगों ने खूब षड्यंत्र भी रचे, लेकिन मुंह की खानी पड़ी। इससे प्रदेश बनने से लेकर त्रिवेंद्र सरकार के शपथ लेने तक लूट खसोट मचाने वाले ‘आस्तीन के सांप’ अपने गोरखधंधे बंद हो जाने से फुफकारने लगे हैं। त्रिवेंद्र की भ्रष्टाचारमुक्त और पारदर्शी नीतियों की वजह से ही वो लोग परेशान हैं जिनका कमीशन बंद हो गया और रोज बरसने वाली ‘कमाई’ पर रोक लग गई। इसलिए ऐसे उत्तराखंड के स्वयंभू ‘हितैषी’ गाहे-बगाहे त्रिवेंद्र के कामों में नुक्ताचीनी करने से बाज नहीं आते। इसके पीछे उनका एक ही मकसद है कि किसी प्रकार उनकी दुकानदारी पहले की तरह ‘चमक’ जाए।
राजनीतिक गलियारों से लेकर सत्ता पक्ष हो या विपक्ष या वो लोग जिनकी कमाई पगार को छोड़कर अन्य धंधों से होती थी और अब उनके गोरखधंधों पर लगाम कसी जा चुकी है तो वे सभी परेशान हैं। ऐसे लोगों ने बारंबार साजिशें रचीं कि त्रिवेंद्र रावत को किसी भी तरह और किसी भी कीमत पर कुर्सी से हटाया जाए, लेकिन हर बार ऐसे लोगों को मुंह की खानी पड़ी। हालांकि इन सब बातों से प्रदेश के विकास के लिये संकल्परत मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को कोई फर्क नहीं पड़ता। षड्यंत्र रचने वाले रच रहे हैं और आगे भी रचते रहेंगे, मगर त्रिवेंद्र रावत सिर्फ अपने काम को अंजाम देते हुए अपने उत्तराखंड प्रदेश के लिए लगातार काम कर रहे हैं। जिसको उत्तराखंड की प्रबुद्ध जनता देख भी रही है और समझ भी रही है। यही त्रिवेंद्र की असली टीआरपी भी है और पूंजी भी।

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