उत्तराखंड : सीएम ने कोरोना पर काबू पाने में सबको पीछे छोड़ा!

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने केंद्र की गाइडलाइन सख्ती से पालन करवाकर नहीं बढ़ने दिए मामले

देहरादून। देश में काेरोना से एक लाख मौतें हो चुकी हैं। सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों तक कोरोना फैल चुका है। लेकिन इनमें कुछ ऐसे राज्य भी शामिल हैं, जहां कोरोना के शुरुआती केस आने के बाद कड़े कदम उठाए गए और नए केस और मौतों पर काबू पाने की कोशिश की गई। उत्तराखंड, गोवा और केरल इसका उदाहरण हैं।
गौरतलब है कि उत्तराखंड में कोरोना का पहला मामला 15 मार्च को सामने आया था। बीते 2 अक्टूबर को इसके 202 दिन पूरे हुए हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के प्रयासों के चलते अन्य राज्यों से तुलना में उत्तराखंड के आंकड़े ज्यादा राहत देने वाले हैं। जहां शुरुआती 170 दिनों कुल 269 लोगों की मौत हुई थी, वहीं पिछले 30 दिनों में 342 लोगों की जान चली गई। हालांकि सकारात्मक पहलू यह है कि इन 30 दिनों में टेस्टिंग भी तेजी से बढ़ाई गई हैं और रिकवरी रेट में भी तेजी आई है।

हालांकि शुरुआती दौर से ही उत्तराखंड में मुख्यमंत्री ने कोरोना संक्रमण की रोकथाम में अन्य राज्यों से बेहतर काम किया और उनकी अपील पर इसमें सबसे अहम भूमिका पहाड़ी जनपदों के लोगों और अफसरों ने निभाई थी। उत्तराखंड में कुल 13 जिले हैं, जिनमें से नौ पहाड़ी जिले हैं और चार मैदानी जिले। मैदानों की तुलना में पहाड़ों पर कोरोना का संक्रमण काफी हद तक सीमित रहा है। राज्य में अब तक कोरोना के जो 49 हजार मामले सामने आए हैं, इनमें से 36,907 मामले सिर्फ इन चार मैदानी जिलों के ही हैं।
पहाड़ों में लोगों ने स्वतः ही कोरोना से निपटने के लिए कदम उठाए, जिसके नतीजे भी साफ देखने को मिले हैं। व्यापार मंडल के लोगों प्रशासन से छूट मिलने के बाद भी दुकानें सीमित समय के लिए ही खोली और लॉकडाउन का असली असर पहाड़ी कस्बों में ही नजर आया। अनलॉक के दौरान भी शाम होते ही पहाड़ी कस्बे पूरी तरह सुनसान हो जाते थे और ये एक बड़ा कारण है कि पहाड़ों में संक्रमण अब तक अनियंत्रित नहीं हुआ।
उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति भी कोरोना की रोकथाम में उपयोगी साबित हुई। सीमांत राज्य होने के चलते प्रदेश में सिर्फ वे ही लोग दाखिल हुए, जिन्हें उत्तराखंड ही आना था। दूसरे राज्यों जैसा दबाव उत्तराखंड पर नहीं था। प्रवासी इन राज्यों की सीमाओं से होते हुए अपने-अपने प्रदेश लौट रहे थे। प्रदेश की नाकेबंदी भी उत्तराखंड में अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा मजबूत रही। सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर जो गाइडलाइन समय-समय से जारी होती रही, प्रदेश ने उन्हीं का सख्ती से अनुपालन किया है

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