‘उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों से वसूलो 16 करोड़ रुपये’

हाईकोर्ट का हथौड़ा 

  • उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में प्रदेश सरकार को दिया छह माह में सभी बकाया वसूल करने का आदेश 
  • पूर्व के सभी सीएम को ताउम्र मुफ्त आवास और अन्य सुविधाएं देने के सरकारी फैसले को अवैध बताया 
नैनीताल। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के उस फैसले को अवैध और असंवैधानिक करार दिया है, जिसके तहत पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन मुफ्त आवास और अन्य सुविधाएं देने का प्रावधान किया गया था। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि छह माह के भीतर इन पूर्व मुख्यमंत्रियों को सारा बकाया जमा कराना होगा। सिर्फ किराया ही नहीं, अन्य मदों में खर्च किए गए करीब 13 करोड़ रुपये की वसूली भी इनसे की जाए।
कोर्ट ने यह आदेश दून स्थित एक एनजीओ की याचिका पर दिया है। पूर्व मुख्यमंत्रियों पर बकाया किराए की रकम राज्य सरकार ने तय कर ली है और उसे बतौर हलफनामे कोर्ट के समक्ष रखा है। सबसे ज्यादा 1.12 करोड़ रुपये का बकाया पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत एनडी तिवारी पर है। उनके बाद भगत सिंह कोश्यारी पर 47.57 लाख, रमेश पोखरियाल पर 40.95 लाख और विजय बहुगुणा पर 37.50 लाख बकाया है। इनके अलावा अन्य खर्चों में सबसे ज्यादा बकाया भगतसिंह कोश्यारी पर करीब तीन करोड़, भुवन चंद्र खंडूरी पर 2.8 करोड़, एनडी तिवारी पर 2.3 करोड़, निशंक पर 2.1 करोड़, विजय बहुगुणा पर 1.1 करोड़ और नित्यानंद स्वामी पर 1.5 लाख रुपये बाकी हैं।  इन अलग-अलग खर्चों में मुख्य तौर पर बिजली, पानी, फ्यूल, फोन बिल, यात्राओं पर खर्च और स्टाफ की सैलरी पर हुए खर्च शामिल हैं। अन्य मदों पर खर्च हुए करीब 13 करोड़ रुपये की वसूली भी पूर्व मुख्यमंत्रियों से की जाएगी। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश रंगनाथन और जस्टिस रमेश चंद्र खुल्बे की पीठ ने की। कोर्ट ने सरकार से एक बार और किराए की गणना करने को कहा है और इसके बाद छह महीने के अंदर इस किराये की वसूली का आदेश दिया है। 

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