रूस-यूक्रेन युद्ध : 250 छात्रों संग रोमानिया पहुंची गढ़वाल की आकांक्षा ने बताये हालात

  • करीब 300 भारतीय छात्रों का यूक्रेन से निकलना हुआ मुश्किल, ऋषिकेश की जिया ने बयां किया दर्द

देहरादून। यूक्रेन और रूस के बीच चल रही घमासान लड़ाई के बीच 250 भारतीय छात्रों को इंडियन एंबेसी ने सुरक्षित रोमानिया पहुंचा दिया है, जहां से इन सभी को जल्द एयर लिफ्ट कर दिया जायेगा। यूक्रेन में पढ़ रही श्रीनगर गढ़वाल की आकांक्षा कुमारी ने बताया कि वो अपने सभी साथियों के साथ सुरक्षित रोमानिया पहुंच चुकी है।
आकांक्षा ने बताया कि पिछले दो दिन उसने ओर उसके सभी साथियों ने बहुत कष्ट में गुजारे। वे दो दिन से बंकर में ही थे। एटीएम वहां काम नहीं कर रहे थे। खाने-पीने की भी कमी आ गयी थी लेकिन अब सब ठीक है वे रोमानिया से जल्द अपने देश भारत आने वाले है।
परिजनों ने बताया कि आकांक्षा शुक्रवार को आने वाली थी, लेकिन हवाई अड्डों के युद्ध से प्रभावित होने और यातायात की समस्या होने की वजह से यात्रा रद्द हो गई थी। आकांक्षा और रोहित वर्मा यूक्रेन के चेर्नवित्सी शहर में स्थित बूकोवियान स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी से मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं। रोहित एमबीबीएस तृतीय और आकांक्षा द्वितीय वर्ष में अध्ययनरत हैं। रोहित की भी शुक्रवार को वतन वापसी का टिकट था, लेकिन बुकिंग रद्द हो गई।
उधर यूक्रेन के सुमी शहर में फंसे 300 भारतीय छात्र-छात्राएं घर वापसी को लेकर आशंकित हैं। यूक्रेन की सीमा से हंगरी एयरपोर्ट की दूरी करीब 900 किलोमीटर है। हंगरी हवाई अड्डा पहुंचने में करीब 18 से 20 घंटे का समय लगता है। सुमी शहर में मिलिट्री स्कूल को रूसी सेना ने निशाना बनाया है। यहां यूक्रेनी सैनिकों के मारे जाने की खबर भी आ रही है।
उधर ऋषिकेश के सोमेश्वर नगर की रहने वाली जिया बलूनी पुत्री राकेश बलूनी यूक्रेन के सूमी शहर के सुमी स्टेट यूनिवर्सिटी से एबीबीएस की पढ़ाई कर रही हैं। जिया एमबीबीएस की चौथे वर्ष की छात्रा हैं। जिया ने बताया कि कॉलेज के हास्टल में उनके साथ करीब 300 भारतीय छात्र और छात्राएं हैं। जिया ने बताया कि सुमी शहर यूक्रेन के पश्चिमी भाग में है।
उन्होंने बताया कि यहां सबसे निकटम हंगरी हवाई अड्डा यूक्रेन की सीमा पर है। सुमी से हंगरी हवाई अड्डे की दूरी 900 किलोमीटर है। हवाई अड्डे तक पहुंचने में करीब 18 से 20 घंटे का समय लगता है। जिया ने बताया कि सुमी शहर में मिलिट्री स्कूल पर रूसी सेना ने हमला किया था। ऐसे में उनके सहित सभी भारतीय छात्र अपनी सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित हैं।
हालांकि भारतीय दूतावास के अधिकारी लगातार उनके संपर्क में हैं, लेकिन यूक्रेन के आखिरी छोर पर होने के चलते उन लोगों तक सबसे आखिरी में मदद पहुंचने का अंदेशा है। जिया ने बताया कि फिलहाल हास्टल में खाद्यान्न की कमी नहीं है। उनको हास्टल से निकलने की मनाही है। सप्ताह में एक बार ही वे जरूरी सामान लेने के लिए हास्टल से बाहर निकल रहे हैं। उन्होंने बताया कि अभिभावक भी लगातार फोन कर सभी बच्चों का हालचाल पूछ रहे हैं। जिया ने भारत सरकार से सुमी में फंसे 300 छात्रों की देश वापसी के लिए प्रभावी कदम उठाने की अपील की है। 

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