देवभूमि मायूस
- ग्रीन बोनस मिलने का सपना टूटा, अब सरकार को 15वें वित्त आयोग से उम्मीद
- मुख्यमंत्री ने नीति आयोग के समक्ष की थी ग्रीन बोनस की जोरदार पैरोकारी
- नीति आयोग ने भी हिमालयी राज्यों को वित्तीय अनुदान देने पर जताई थी सहमति
- 2021 के हरिद्वार महाकुंभ और राष्ट्रीय खेलों के लिए भी बजट में कोई प्रावधान नहीं
देहरादून। मोदी सरकार-2 के बजट से उत्तराखंड को बहुत उम्मीदें थीं कि अब डबल इंजन की सरकार रफ्तार पकडे़गी, लेकिन उत्तराखंड को राहत के नाम पर झुनझुना पकड़ाया गया है। इसके साथ ही उत्तराखंड का ग्रीन बोनस मिलने का सपना टूट गया है। गौरतलब है कि बजट पेश होने से पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत नीति आयोग के समक्ष ग्रीन बोनस की जोरदार पैरोकारी कर आए थे। नीति आयोग ने भी पर्यावरणीय सेवाओं के एवज में हिमालयी राज्यों को वित्तीय अनुदान दिए जाने पर अपनी सहमति जताई थी, लेकिन बजट में ग्रीन बोनस का जिक्र तक नहीं हुआ।
भौगोलिक विषमताओं और पर्यावरणीय दबाव के बीच विकास की चुनौती का सामना कर रहे उत्तराखंड को इस बात से भी बहुत निराशा हुई है कि वर्ष 2021 में प्रस्तावित हरिद्वार महाकुंभ और राष्ट्रीय खेलों के लिए बजट में प्रावधान नहीं हुआ। प्रदेश को सबसे बड़ा झटका ग्रीन बोनस न मिलने से लगा। पिछले करीब एक दशक से प्रदेश में काबिज रही तमाम सरकारों ने इस मांग को केंद्र के समक्ष बेहद गंभीरता के साथ उठाया। गौरतलब है कि हिमालयी राज्यों को ग्रीन बोनस देने की पैरोकारी करने वालों में केंद्र में कैबिनेट मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक भी शामिल रहे हैं। राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी भी ग्रीन बोनस की लगातार वकालत कर रहे हैं। मगर पर्यावरणीय संरक्षण के दबाव में विकास की भारी कीमत चुका रहे उत्तराखंड को फिलहाल केंद्रीय बजट में कोई राहत नहीं मिली।
ऐसे में अब उत्तराखंड की उम्मीदें नीति आयोग और 15वें वित्त आयोग पर टिक गई हैं। ये दोनों आयोग हिमालयी राज्यों को पर्यावरणीय सेवाओं के एवज में केंद्रीय सहायता दिए जाने पर सैद्धांतिक रूप से सहमत हैं। इस बारे में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि अभी वित्त आयोग और नीति आयोग की रिपोर्ट आने वाली है। नीति आयोग हमारी मांग से सहमत है। हमने सभी विषयों पर अपन पक्ष काफी मजबूती से रखा है और इन पर केंद्र सरकार बहुत गंभीरता से विचार कर रही है। जिसके जल्द ही सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेंगे।