भारत के ‘मिशन शक्ति’ के पक्ष में उतरा अमेरिका!

खुशखबरी

  • अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने कहा, अंतरिक्ष में पेश आ रहे खतरों को लेकर भारत चिंतित और उस लिहाज से यह अहम 
  • नासा ने भारत द्वारा अपने ही एक उपग्रह को मार गिराए जाने को ‘भयानक’ बताते हुए मलबे को लेकर जताई थी चिंता 

वॉशिंगटन। अमेरिका ने एक बार फिर भारत के ‘मिशन शक्ति’ अभियान का बचाव करते हुए उसका समर्थन किया है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि अंतरिक्ष में पेश आ रहे खतरों को लेकर भारत चिंतित है और उस दृष्टि से यह अहम है। गौरतलब है कि भारत ने गत 27 मार्च को जमीन से अंतरिक्ष में मार करने वाली एंटी-सैटलाइट मिसाइल से अपने एक उपग्रह को मार गिराने के साथ ही ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कर ली है। इससे अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत एंटी-सैटलाइट क्षमता रखने वाला चौथा देश बन गया है। 
इस बारे में अमेरिकी कूटनीतिक कमान के कमांडर जनरल जॉन ई हीतेन ने सीनेट की शक्तिशाली सशस्त्र सेवा समिति से कहा, ‘भारत के एसैट से पहली सीख यह सवाल है कि ऐसा क्यों किया गया और मुझे लगता है कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह अंतरिक्ष से अपने देश के समक्ष पेश आ रहे खतरों को लेकर चिंतित है।’ उन्होंने भारत के इस एंटी सैटेलाइट मिसाइल परीक्षण की जरूरत और इससे अंतरिक्ष में फैले मलबे पर कहा, ‘इसलिए उन्हें लगता है कि भारत के पास अंतरिक्ष में अपना बचाव करने की क्षमता होनी चाहिए।’
गौरतलब है कि नासा ने भारत द्वारा अपने ही एक उपग्रह को मार गिराए जाने को ‘भयानक’ बताया था। नासा के अनुसार इससे अंतरिक्ष की कक्षा में उपग्रह के करीब 400 टुकड़े फैल गए जिससे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) को खतरा है। उधर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अंतरिक्ष में अमेरिकी संपत्तियों की सुरक्षा और वहां देश का प्रभुत्व स्थापित करने के लिहाज से सेना की नयी शाखा ‘स्पेस फोर्स’ की स्थापना करना चाहते हैं लेकिन अमेरिकी कांग्रेस इसे लेकर संशय की स्थिति में है। संसद का कहना है कि अंतरिक्ष के क्षेत्र में इकलौती सेना होने का क्या मतलब है। ट्रंप अमेरिकी उपग्रहों की रक्षा, अंतरिक्ष में संवेदनशीलता से निपटने और कक्षा में अमेरिका का प्रभुत्व स्थापित करने के लिए सेना की नई शाखा स्थापित करने पर जोर दे रहे हैं।

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