सिस्टम पर सवाल : जेल में बंद रेपिस्ट, किलर नेता पा रहे लाखों की दो-दो पेंशन!

  • किसी भी मामले में सजा होने पर सभी सुविधाओं से हाथ धो बैठते है। सरकारी कर्मी, लेकिन दागी नेताओं का है यह विशेषाधिकार

पटना। बिहार की जेलों में बंद रेप, हत्या और भ्रष्टाचार के दोषी नेताओं को पेंशन के रूप में लाखों रुपये मिल रहे हैं। करीब आधा दर्जन ऐसे नेता हैं जो कभी बिहार विधानसभा के सदस्य थे, लेकिन अब जेलों में बंद हैं। ये भ्रष्टाचार से लेकर रेप और हत्या तक के मामलों में जेल में बंद हैं। इनमें से कई पर आरोप तय भी हो चुके हैं और कई सजा भी काट रहे हैं तो कुछ जमानत पर जेल से बाहर हैं।
इन पूर्व विधायकों पर सरकार सालाना करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। चारा घोटाला में सजा पाने वाले लालू प्रसाद, पूर्व सांसद जगदीश शर्मा, मर्डर केस में सजा काट रहे पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह, आनंद मोहन, विजय कृष्ण और रेप केस में जेल में बंद राजवल्लभ यादव को सरकार हर महीने पेंशन दे रही है। कुल मिलाकर दागियों को हर महीने 54.72 लाख रुपए का भुगतान पेंशन के तौर पर किया जा रहा है।
लालू को हर माह मिलती है 89 हजार रुपए पेंशन : चारा घोटाला के मामले में सजा पाने वाले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव फिलहाल जमानत पर हैं। उन्हें हर महीने 89 हजार रुपए की पेंशन बिहार विधानसभा से मिलती है। इसके अलावा लोकसभा से भी पेंशन मिलती है। 950 करोड के चारा घोटाले का मामला 1996 में सामने आया था। इसमें जानवरों के चारा, दवाओं और पशुपालन से जुड़े उपकरणों के पैसों में हेराफेरी की गई थी। बिहार पुलिस ने 1994 में डोरंडा, देवघर, चाईबासा जैसे कई कोषागारों से फर्जी बिलों के जरिए करोड़ों रुपए की अवैध निकासी के मामले दर्ज किए थे। चारा घोटाले के 6 अलग-अलग मामलों में से 4 में लालू प्रसाद को 13.5 साल की सजा सुनाई जा चुकी है।
मर्डर के दोषी प्रभुनाथ सिंह को मिल रही 62 हजार पेंशन : राजद के बाहुबली नेता प्रभुनाथ सिंह हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। विधायक और सांसद रह चुके प्रभुनाथ सिंह सजा पाने के बाद चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित हो चुके हैं। उनके खिलाफ 40 गंभीर मामले दर्ज हैं, लेकिन उन्हें अब तक केवल 1995 के अशोक सिंह हत्याकांड में ही सजा मिली है।
रेप केस में जेल में बंद राजवल्लभ को मिलते हैं 71 हजार : वर्ष 2016 में नाबालिग से रेप के मामले में दिसंबर 2018 से जेल में बंद राजवल्लभ प्रसाद को हर महीने 71 हजार पेंशन बिहार विधानसभा से मिल रही है। राजवल्लभ बिहार के पहले ऐसे विधायक थे जिन्हें पद पर रहते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। उनकी दबंगई के कई किस्से हैं। इनमें से एक मामला 2005 का है। उस वक्त नीतीश सरकार बनी तो नवादा के पहाड़ को एक निजी कंपनी को लीज पर दे दिया गया। राजवल्लभ की दबंगई आलम ये था कि पत्थर लेकर निकल रही गाड़ियों से पैसों की वसूली होने लगी। इसका नतीजा यह हुआ कि कंपनी ने लीज छोड़ दी।
डीएम के हत्यारे आनंद मोहन को मिल रहे 47 हजार रुपए : बिहार की राजनीति में बाहुबलियों के किस्से चर्चा में रहे हैं। इन्हीं में से एक नाम पूर्व सांसद आनंद मोहन का है। आनंद मोहन गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में जेल में बंद हैं। जिलाधिकारी की हत्या के मामले में हाईकोर्ट ने आनंद मोहन को उम्रकैद की सजा सुनाई है। बिहार विधानसभा से आनंद मोहन को 47 हजार रुपए पेंशन मिल रही है। ये पेंशन पिछले 14 सालों से जारी है।
हत्यारे विजय कृष्ण को मिल रही 62 हजार रुपए पेंशन : पूर्व सांसद विजय कृष्ण 8 साल से जेल में बंद हैं। ट्रांसपोर्टर सत्येन्द्र सिंह की हत्या के मामले में विजय कृष्ण उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। सत्येंद्र सिंह की हत्या मई 2009 में हुई थी। कभी विजय कृष्ण के काफी करीबी रहे सत्येन्द्र सिंह के शव को बक्से में बंद कर गंगा में फेंक दिया गया था। हत्या के 20 दिनों के बाद शव गंगा घाट से बरामद हुआ था। इस मामले में विजय कृष्ण दोषी पाए गए थे। उन्हें 62 हजार रुपए की पेंशन मिल रही है।
गबन के दोषी जगदीश शर्मा को मिल रहे 1.25 लाख : चारा घोटाला में चाईबासा कोषागार से गबन के मामले में पूर्व सांसद जगदीश शर्मा दोषी पाए गए थे। कोर्ट ने उन्हें इस मामले में 5 साल की सजा सुनाई थी। 2019 में उन्हें सजा आधी पूरी होने के पर बेल मिल गई थी। बिहार विधानसभा के रिकॉर्ड के मुताबिक, जगदीश शर्मा को 1.25 लाख रुपए हर महीने यानी सालाना 15 लाख रुपए पेंशन मिल रही है।
आरटीआई से पता चला है कि ‘पूर्व माननीय’ दो दो पेंशन ले रहे हैं। लालू प्रसाद यादव, आनंद मोहन, जगदीश शर्मा, प्रभुनाथ सिंह और विजय कृष्ण को पूर्व सांसद के तौर पर भी पेंशन मिल रही है। जेल में बंद इन पूर्व माननीयों की पेंशन की जानकारी आरटीआई के जरिए सामने आई है। आरटीआई एक्टिविस्ट शिव प्रकाश का कहना है कि यह जनता के पैसे की बर्बादी है। शिवप्रकाश कहते हैं कि जब नौकरी करने वालों को भ्रष्टाचार के मामलों में सजा होने पर सारी सुविधाओं से हाथ धोना पड़ता है तो जनप्रतिनिधियों को ये विशेषाधिकार क्यों है?
खास बात यह है कि पूर्व विधायकों के लिए पेंशन तय करने का एक खास नियम है। इसके मुताबिक 5 साल के कार्यकाल में विधायक को पहले साल हर महीने 35 हजार रुपए मिलते हैं। इसके बाद हर साल 3-3 हजार रुपए जुड़ते जाते हैं। मतलब ये है कि जो जितने साल विधायक रहेंगे, उनकी पेंशन उतनी ही बढ़ती जाएगी। यही वजह है कि जगदीश शर्मा को 1.25 लाख रुपए पेंशन मिलती है।

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