अब आया जूतों और थप्पड़ों का ‘मौसम’!


विरोध जताने के बने हथियार

  • वर्ष 2008 में बगदाद में पत्रकार मुंतधार अल जैदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश पर फेंक कर मारे थे दोनों जूते 
  • चीनी राष्ट्रपति मा यिंग झियू के नाम नौ बार जूते खाने का रिकॉर्ड दर्ज, जिसे अब तक कोई तोड़ नहीं पाया
  • मनमोहन सिंह, लाल कृष्ण आडवाणी, राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, चिदंबरम सहित कई बड़े नेताओं ने भी खाये जूते  
  • गुजरात के सुरेंद्रनगर में आयोजित जन आक्रोश रैली में हार्दिक पटेल भी बने जनता के गुस्से का शिकार, पड़ा थप्पड़
  • बीते रोज भाजपा नेता जीवीएल नरसिम्हा राव पर भाजपा मुख्यालय में एक शख्स ने फेंक कर मारा था जूता

देहरादून। लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां चरम पर हैं तो कहीं से जूताकांड की गूंज सुनाई दे रही है तो कहीं थप्पड़कांड का शोर मच रहा है। शरद त्रिपाठी का ‘जूताकांड’, जीवीएल नरसिम्हा राव पर ‘जूता वार’ के बाद आज गुजरात के सुरेंद्रनगर में एक जनसभा के दौरान हार्दिक पटेल पर एक शख्स ने थप्पड़ जड़ दिया। इस घटना के बाद जनसभा में हड़कंप मच गया। 
इस समय अहम सवाल यह है कि आखिर जूता चलता क्यों है? खासकर नेताओं पर ही क्यों चलता है? आज तक जितने जूते जितने नेताओं पर चले हैं, उन सबकी वजह अलग—अलग है लेकिन सबकी बुनियाद में एक अहम बात है वह है लोगों का आक्रोश। अधिकतर जूता कांडों की वजह पूर्व में सरकारों और उनसे जुड़े नेताओं के खुद के कर्म है वहीं कुछ व्यक्तिगत भी। जब किसी व्यक्ति को कहीं से न्याय नहीं मिल पाता तो हारकर वह जूते का सहारा लेता है। इसके बाद सबको पता चल जाता है। 

सुरेंद्रनगर में हार्दिक पटेल जन आक्रोश सभा को संबोधित कर रहे थे। इसी बीच एक शख्स अचानक उनके पास मंच पर आता है और जोर से थप्पड़ मारता है। इस घटना के बाद सभा स्थल पर हंगामा शुरू हो गया। थप्पड़कांड के बाद हार्दिक ने भाजपा को इस हमले के लिए दोषी ठहराते हुए कहा,’भाजपा मुझ पर हमले करवा रही है। वह चाहती है कि मुझे मार दिया जाए। इन हमलों पर हम चुप नहीं रहेंगे।’

हालांकि जूताकांड पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश पर जूता फेंके जाने के साथ खबरों की सुर्खियां बना। वर्ष 2008 में जॉर्ज बुश बगदाद में एक प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे, इस दौरान एक पत्रकार मुंतधार अल जैदी ने अपने दोनों जूते उन पर फेंक कर मारे थे। हालाँकि जूते बुश को छू नहीं पाए, लेकिन दुनिया भर में इसकी धमक सुनाई दी।
इसके बाद कई अन्य देशों ने व्यवस्था से त्रस्त लोगों ने इस ‘हथियार’ को हाथों-हाथ अपनाया। ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर, चीनी राष्ट्रपति मा यिंग झियू, पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ व कई अन्य प्रसिद्ध हस्तियां जूता वार झेल चुकी हैं। इनमें चीनी राष्ट्रपति मा यिंग झियू के नाम नौ बार जूते खाने का रिकॉर्ड दर्ज है, जिसे अब तक कोई नेता तोड़ नहीं पाया है।

मनमोहन सिंह : पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर साल 2009 में जूता फेंका गया था।
राहुल गांधी : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी भी इस कांड के शिकार हो चुके हैं। वर्ष 2012 में देहरादून में एक रैली के दौरान उनपर जूता फेंका गया था।

लाल कृष्ण आडवाणी : आडवाणी के ‘जिन्ना प्रेम’ से दुखी उनकी ही पार्टी के कार्यकर्ता ने उन पर जूते फेंके थे।
पी चिदंबरम : यूपीए सरकार में वित्त मंत्री और गृह मंत्री रहे पी चिदंबरम पर वर्ष 2009 में नई दिल्ली में एक प्रेस वार्ता के दौरान जूते फेंके गए थे।
अरविंद केजरीवाल : दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल को सबसे अधिक बार ऐसे ‘वार’ का शिकार होना पड़ा है। उनको जूता कांड के साथ ही थप्पड़ कांड, मिर्च स्प्रे कांड का भी शिकार होना पड़ा है। केजरीवाल के ऊपर कई बार काली स्‍याही भी फेंकी जा चुकी है। 

जतिन राम मांझी : अल्प समय के लिए बिहार के मुख्यमंत्री रहे जतिन राम मांझी को 2015 में जूताकांड का शिकार होना पड़ा था।
दिनेश मोहनिया : आप विधायक दिनेश मोहनिया खुलेआम सड़क पर थप्‍पड़ खा चुके हैं। पिछले साल कुछ लोग पानी की सप्‍लाई में हो रही दिक्‍कत को लेकर विधायक दिनेश मोहनिया से मिलने गए थे। इस दौरान तीखी बहस शुरु हो गई। फिर क्‍या था, एक महिला ने विधायक जी के गाल पर जोरदार थप्‍पड़ जड़ दिया।
भूपिंदर सिंह हुड्डा : यह पब्लिक है, सब जानती है। कभी अपने पसंदीदा उम्‍मीदवार को सिर पर बैठाती है तो वहीं उनके ऊपर जूते फेंकने और थप्‍पड़ों मारने से पीछे नहीं हटती। हरियाणा के मुख्‍यमंत्री रहते हुए भूपिंदर सिंह हुड्डा पानीपत में एक रैली के दौरान जब खुली जीप पर सवार थे तो वहां एक युवक ने उनको थप्‍पड़ मार दिया।
शरद पवार : एनसीपी अध्‍यक्ष और यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे शरद पवार भी थप्‍पड़ खाने वालों में शामिल हैं। शरद जब एक सभा से निकल रहे थे, तभी पीछे से आए एक सिख युवक ने पवार के गाल पर जोरदार थप्‍पड़ रसीद दिया। थप्‍पड़ इतना जोरदार था कि शरद पवार लड़खड़ा गए।

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