- कौन सुनेगा फरियाद : पंजाब प्रांत के रहीम यार खान शहर में हिंदू किशोरी के अपहरण, जबरन धर्मांतरण व निकाह के खिलाफ परिजनों और स्थानीय लोगों का प्रदर्शन
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में एक प्रभावशाली मुस्लिम द्वारा एक हिंदू किशोरी के अपहरण, जबरन धर्मांतरण और निकाह के विरोध में स्थानीय अल्पसंख्यक हिंदुओ ने विरोध प्रदर्शन किया। आंदोलन कर रहे लोगों ने हिंदू लड़की को सुरक्षित वापस लाने के लिए इमरान सरकार पर दबाव बनाने को हाइवे पर जाम भी लगाया।
गौरतलब है कि पिछले महीने पंजाब प्रांत के रहीम यार खान नामक शहर से नैना नाम की 17 साल की किशोरी को अगवा किया गया था। आरोप है कि इलाके के मुस्लिम और प्रभावशाली ताहिर तामरी ने अपने पिता और भाइयों की मदद से इसे अंजाम दिया। पिछले महीने भी दो हिंदू लड़कियों को अगवा कर जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया था।
नैना के पिता रघुराम की तरफ से गत पांच अप्रैल को दर्ज की गई रिपोर्ट के मुताबिक 13 मार्च को छह लोग उनकी बेटी को जबरन उठाकर ले गये और मुख्य आरोपी ताहिर तामरी उनकी बेटी को कराची ले गया। 14 मार्च को कराची में जमातुल सईद गुलशन-ई-मईमार में एक समारोह में उनकी बेटी को जबरन इस्लाम कुबूल कराया गया। और नैना को नूर फातिमा नाम देकर आरोपी से निकाह कराया गया।
नैना के पिता ने बताया कि उनकी बेटी को इस्लाम कुबूल कराने का वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किया गया।
रिपोर्ट दर्ज कराने के बावजूद दो हफ्तों में पुलिस किशोरी को ढूंढने में नाकामयाब होने से के बाद अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के लोगों ने लियाकतपुर में हाईवे जाम कर दिया। वे दो दिन से प्रदर्शन कर रहे हैं, जबकि कुछ लोग लियाकतपुर प्रेस क्लब के बाहर स्लोगन लिखी तख्तियां लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इन प्लेकार्ड पर लिखा है, ‘हिंदू लड़कियों का अपहरण कर धर्मांतरण कराना बंद करो।’
प्रदर्शन के दौरान युवती के माता-पिता ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि उन्हें न्याय नहीं मिला तो वे अपने घर को आग लगा देंगे। हालांकि पुलिस ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि उन्हें न्याय दिलाने के लिए पूरा प्रयास किया जाएगा। रहीम यार खान के टॉप पुलिस ऑफिसर उमर फारुक सलामत ने कहा कि उन्होंने किशोरी की बरामदगी के लिए एक पुलिस टीम को कराची भेजा है।
गौरतलब है कि पिछले महीने भी सिंध प्रांत के शहर में दो हिंदू लड़कियों रवीना और रीना को अगवा कर जबरन इस्लाम कुबूल कराया गया था, इसके बाद मुस्लिम पुरुषों के साथ उनकी शादी कर दी गई थी। उस घटना के बाद भी अल्पसंख्यक हिंदुओं ने प्रदर्शन कर अपना विरोध जताया था, लेकिन उनकी बच्चियां आज तक उनको वापस नहीं मिल सकी हैं।