छात्रवृत्ति घोटाला : मंजूनाथ ही करेंगे जांच!

हाईकोर्ट ने दिये आदेश

  • समाज कल्याण विभाग में छात्रवृत्ति घोटाले के आरोपी अनुराग शंखधर की गिरफ्तारी पर रोक की मांग खारिज
  • राज्य आंदोलनकारी रविन्द्र जुगरान और अन्य ने हाईकोर्ट में दायर की थी जनहित याचिका 
  • याचिका में समाज कल्याण विभाग पर लगाया था वर्ष 2003 से अब करोड़ों के घोटाले का आरोप

नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने समाज कल्याण विभाग में छात्रवृत्ति घोटाले के आरोपी अनुराग शंखधर की गिरफ्तारी पर रोक की मांग को खारिज करते हुए उन्हें एक सप्ताह के भीतर जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने के निर्देश दिए हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए पूर्व में सरकार ने कहा था कि वह मामले की जांच आईपीएस की अध्यक्षता वाली एसआईटी से कराना चाहती है, जिस पर कोर्ट ने कहा कि दो जिलों के घोटाले की जांच एसआईटी के अध्यक्ष मंजूनाथ ही करेंगे जो सीधे हाईकोर्ट को रिपोर्ट करेंगे। अन्य जिलों की जांच सरकार चाहे तो संजय गुंज्याल की अध्यक्षता वाली एसआईटी से करा ले। 
बाद में सरकार ने पुन: प्रार्थनापत्र देकर सभी जिलों में घोटाले की जांच मंजूनाथ से ही कराने की सहमति मांगी। उच्च न्यायालय ने पूरी जांच मंजूनाथ से ही कराए जाने के लिए संशोधन प्रार्थनापत्र पर सरकार को तीन सप्ताह के भीतर शपथपत्र पेश करने को कहा। हाईकोर्ट ने कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है और वह इसकी तह तक जाना चाहता है। मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। 
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सरकार द्वारा पूर्व में गठित एसआईटी के अध्यक्ष टीसी मंजूनाथ ने अपने शपथपत्र में कहा कि इस घोटाले के आरोपी अनुराग शंखधर जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं, जबकि राज्य सरकार ने अपने संशोधन प्रार्थनापत्र में कहा कि यह मामला पूरे प्रदेश से जुड़ा है, इसलिए सरकार इस मामले की जांच आईपीएस अधिकारी से कराना चाहती है।
इसी से जुड़े मामले में अनुराग शंखधर ने अपनी गिरफ्तारी पर रोक के लिए याचिका दायर की थी। कोर्ट ने इस पर कोई राहत न देते हुए उन्हें एक सप्ताह के भीतर जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने हो कहा। गौरतलब है कि राज्य आंदोलनकारी देहरादून निवासी रविन्द्र जुगरान और अन्य ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि समाज कल्याण विभाग द्वारा 2003 से अब तक अनुसूचित जाति व जनजाति के विद्यार्थियों का छात्रवृत्ति का पैसा नहीं दिया गया, जिससे स्पष्ट होता है कि वर्ष 2003 से अब तक विभाग द्वारा करोड़ों रुपयों का घोटाला किया गया है।
याचिकाकर्ता का कहना था कि ऐसे संस्थानों को भी छात्रवृति दी गई, जिनमें विद्यार्थियों के फर्जी प्रवेश थे। याची ने मामले में सीबीआई जांच की मांग भी की। वर्ष 2017 में इसकी जांच के लिए पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा एसआईटी गठित की गई थी। तीन माह के भीतर जांच पूरी करने को भी कहा था लेकिन इस पर आगे कोई कार्यवाही नहीं हो सकी। याचिकाकर्ता का कहना था कि इस मामले में सीबीआई जांच की जाए।

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