कई सवाल छोड़ गया आतंकी हमला
- अब तक पता नहीं,आत्मघाती हमलावर कहां से लाया इतनी उच्च कोटि का विस्फोटक
- जीरो जोन में नो एंट्री होने के कड़े इंतजाम के बावजूद वहां कार से कैसे पहुंचा आदिल
- देश को झकझोरने वाले इस हमले में भारत के 40 वीर सपूतों की गई थी जान
- राहुल गांधी ने भी पुलवामा हमले को लेकर केंद्र सरकार पर उठाए हैं कई सवाल
पुलवामा। पुलवामा आतंकवादी हमले के आज एक साल पूरे हो गए। पूरे देश को झकझोर कर रख देने वाले इस भीषण हमले में भारत के 40 वीर सपूतों को जान गंवानी पड़ी थी। आज इन सीआरपीएफ के जांबाज शहीदों को पूरे देश में जहां नमन किया जा रहा है, वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस हमले को लेकर कई सवाल उठाए हैं। सालभर बीत जाने के बाद अभी भी एनआईए की जांच जारी है और कई गंभीर सवाल अनसुलझे बने हुए हैं।
पुलवामा आतंकी हमले की जांच कर रही एनआईए अभी तक यह पता नहीं लगा सकी है कि आत्मघाती हम हमलावर ने कार में रखने के लिए इतने उच्च कोटि के विस्फोटक को कहां से हासिल किया। इसके साथ ही जीरो जोन में नो एंट्री होने के कड़े इंतजाम के बावजूद आत्मघाती हमलावर आदिल वहां कार से कैसे पहुंच गया। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष आज ही के दिन 14 फरवरी को जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी आदिल अहमद डार ने अपनी विस्फोटकों से लदी कार से पुलवामा के नजदीक श्रीनगर हाइवे पर सीआरपीएफ की बस से टक्कर मार दी थी। इस भीषण हमले में सीआरपीएफ के 40 जांबाज सपूतों को जान गंवानी पड़ी थी।
द हिंदू ने एक सरकारी अधिकारी के हवाले से अपनी रिपोर्ट में कहा कि इतने उच्च श्रेणी के विस्फोटकों को बाजार से नहीं खरीदा जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘ये युद्ध में इस्तेमाल होने वाले विस्फोटक आमतौर पर सैन्य ठिकानों पर पाए जाते हैं।’ फॉरेंसिक विशेषज्ञों की रिपोर्ट के मुताबिक पुलवामा हमले में 25 किलो प्लास्टिक विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था। एनआईए के एक अधिकारी ने कहा कि जिन विस्फोटकों को कार में रखा गया था, उनमें अमोनियम नाइट्रेट, नाइट्रोग्लीसरीन और आरडीएक्स शामिल था।’
पुलवामा हमले की जांच के दौरान कई बाधायें सामने आईं। हालत यह रही कि एनआईए चार्जशीट फाइल तक नहीं कर सकी क्योंकि हमले के सभी संदिग्धों की मौत हो गई है। इस हमले के दो संदिग्ध मुदसिर अहमद और सज्जाद भट की पिछले साल सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मौत हो गई। पिछले साल जून में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने राज्यसभा में दावा किया था कि पुलवामा हमला ‘खुफिया तंत्र की चूक’ नहीं है।
इस विनाशकारी हमले के बाद जैश-ए-मोहम्मद ने एक वीडियो जारी करके हमले की जिम्मेदारी ली। उसने कहा कि इस आत्मघाती हमले को आदिल अहमद डार ने अंजाम दिया जो पुलवामा के काकापोरा का रहने वाला था। वीडियो में डार भी अत्याधुनिक हथियारों के साथ दिखाई दिया था और उसने कहा था, ‘जब तक यह वीडियो आप तक पहुंचेगा, मैं जन्नत में रहूंगा।’ डार के वीडियो को जैश के प्रवक्ता मोहम्मद हसन ने जारी किया था लेकिन वह पाकिस्तान में है।
इसी तरह जिस कार से जवानों पर हमला किया गया, उसे वर्ष 2011 में पहली बार बेचा गया था और बाद में कई बार बेचा गया। पुलवामा हमले के 10 दिन पहले ही उसे सज्जाद भट ने खरीदा था। एनआईए ने कहा कि मुदसिर अहमद खान ने विस्फोटकों को मुहैया कराया था। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि विस्फोट के बाद गाड़ी का ‘इंजन ब्लॉक’ नहीं मिला था। उन्होंने कहा कि या तो यह विस्फोट में नष्ट हो गया या पास ही में स्थित नदी में गिर गया।
अधिकारी ने कहा, ‘कई सवाल अभी भी अनसुलझे हैं, क्योंकि हमले में मददगार रहे सभी संदिग्धों की मौत हो गई है।’ एक अन्य अधिकारी ने कहा कि संदिग्धों की मौत के कारण पूरी साजिश का पता नहीं चल पा रहा है। अभी तक यह पता नहीं चल पा रहा है कि कहां से विस्फोटक आया। एनआईए ने कहा है कि कार से मिले डीएनए के नमूने डार के पिता से मिल रहे हैं। उल्लेखनीय है कि गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून के तहत जांच एजेंसी को 90 दिनों के अंदर कोर्ट में चार्जशीट दायर करना होता है। हालांकि अगर संदिग्धों की मौत हो गई है तो इस अवधि को बढ़ाया जा सकता है।