दून में नहीं, सवाड़ गांव में बनाया जाये सैनिक धाम

  • क्षेत्रीय पंचायत प्रतिनिधियों, पूर्व सैनिकों और जनता ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को भेजा ज्ञापन

थराली से हरेंद्र बिष्ट।
राज्य के सैनिक बाहुल्य गांव में शुमार सवाड़ गांव में सैनिक धाम बनाए जाने की मांग को लेकर क्षेत्रीय पंचायत प्रतिनिधियों, पूर्व सैनिकों एवं क्षेत्रीय जनता ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को एक ज्ञापन भेजा हैं।
मुख्यमंत्री को भेजे गए एक ज्ञापन में कहा गया हैं कि विकासखंड देवाल के अन्तर्गत सवाड़ गांव राज्य के उन गिने-चुने गांव में शुमार हैं। जिनमें आजादी से पहले, आजादी के दौरान एवं आजादी के बाद देश की रक्षा करने के लिए सैकड़ों की संख्या में वीर योद्धाओं ने तमाम अन्य क्षेत्रों में जाने के बजाय देश सेवा के लिए सेना को पहली वरीयता देते आए हैं।

इतिहास गवाह हैं कि इस गांव के वीर जवानों में देश की रक्षा का जज्बा किस कदर भरा हुआ हैं, इसका उदाहरण आजादी से पूर्व  द्वितीय विश्व युद्ध के बाद आजादी के लिए लड़ी गई लड़ाई एवं उसके बाद जब-जब भी देश के ऊपर संकट के बादल छाए तों इस गांवों में जन्मे वीर अग्रणीय भूमिका में रहे। बताया हैं कि 1914 से 1919 में लड़े गए प्रथम विश्व युद्ध में इस गांव के 22, वर्ष 1939 से 1945 तक लड़े गए द्वितीय विश्व युद्ध में 30 एवं आजादी के लिए लड़ी गई लड़ाई में 17 वीर योद्धाओं ने भाग लेकर पूरे उत्तराखंड का नाम रोशन कर इतिहास के पन्नों में नाम दर्ज किया हैं। आजादी के बाद 1962, 1965 एवं 1971 में हुए युद्ध में भी इस गांव के कई सैनिकों ने भाग लिया। ब्लू स्टार, कारगिल युद्ध सहित तमाम अन्य आपरेशनों में भी इस गांव के वीर सैनिक अपने प्राणों की परवाह किए बगैर देश की रक्षा में जुटे रहे। इस गांव के अब तक 6 वीर सैनिकों ने देश की हिफाजत के लिए अपने प्राणों की आहुति भी दी हैं।

ज्ञापन कहा गया हैं कि 2008 से सवाड़ ग्राम पंचायत एवं गांव के पूर्व सैनिक युवाओं में देश प्रेम का जज्बा कायम रखने के लिए प्रति वर्ष 7 दिसंबर को अपने संसाधनों  से अमर शहीद सैनिक मेले का आयोजन करते आ रहे हैं।चार बार अलग-अलग मुख्यमंत्री, 8 बार कैबिनेट मंत्री एवं सांसद इस मेले का उद्घाटन कर चुके हैं। किंतु सरकार द्वारा आज तक इस मेले को अपेक्षित सहयोग नही दिया जा रहा हैं। जिससे क्षेत्रीय लोगों में हताशा व्याप्त होती जा रही हैं।
सीएम को भेजे ज्ञापन में प्रश्न उठाया गया हैं कि देहरादून में जहां पर पहले से ही ऐतिहासिक शहीद स्थल एवं आईएमए जैसे प्रतिष्ठित प्रतिष्ठान मौजूद हैं, वहीं पर सैनिक धाम बनाएं जाने का निर्णय लिया जाना इस पहाड़ी राज्य के साथ न्याय नहीं है। सैन्य बाहुल्य सवाड़ गांव के लोगों की मांग हैं कि सैनिक धाम पहाड़ी क्षेत्र के उन गांवों में बनाया जाना चाहिए जिनकी सैनिक पृष्ठ भूमि हों। इससे जहां युवाओं में देश प्रेम का जज्बे को कायम रखते हुए उन्हें सेना में जाने के लिए प्रेरित किया जा सकता हैं।वही रोजगार के नए अवसर पैदा कर पलायन जैसी समस्या से निजात पाया जा सकता हैं।ज्ञापन के जरिए सवाड़ के ग्रामीणों ने सवाड़ में सैनिक धाम बनाएं जाने की सीएम से विचार करने की मांग की हैं।
ज्ञापन में सवाड़ जिला पंचायत वार्ड की जिपंस आशा धपोला, क्षेपंस दीक्षा देवी, ग्राम प्रधान कंचना देवी, भूतपूर्व सैनिक संगठन के अध्यक्ष गोविंद सिंह बिष्ट, पूर्व सैनिक नंदन सिंह खत्री, काम सिंह मेहरा, इंद्र सिंह बिहारी, केदार सिंह मेहरा, बलवंत सिंह बगरी, लक्ष्मण सिंह मेहरा, पान सिंह धपोला, भगत सिंह धपोला, दान सिंह, नव युवक मंगल दल के अध्यक्ष प्रमोद धपोला, महिला मंगल दल अध्यक्षा बसंती देवी आदि के हस्ताक्षर हैं।
करीब एक करोड़ की लागत से सवाड़ गांव में बने सैनिक संग्राहालय/ विश्राम गृह सवाड़ गांव के वीर सैनिकों की गाथा को बयान करने को तैयार हो चुका हैं। सवाड़ वार्ड की जिपंस आशा धपोला ने बताया कि 2013 में तत्तकालीन संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री अमृता रावत ने शहीद मेले के उद्घाटन के मौके पर सवाड़ में सैनिक संग्राहलय एवं विश्राम गृह के निर्माण की घोषणा की थी जिस पर कार्रवाई करते हुए अब जाकर संग्राहलय का निर्माण कार्य पूरा हो सका हैं। इस संग्रहालय में सवाड़ के साथ ही क्षेत्र के अन्य वीर शहीदों की स्मृतियों को संजोया जाएगा।

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