‘तोंद वाले नेताजी, मूंछ वाले अंकलजी को करें अंदर’

  • मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को दिया तीन महीने के अंदर यौनशोषण के  दोनों आरोपियों को पकड़ने का आदेश  

नई दिल्ली। बिहार के मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले में उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के दौरान अदालत ने बच्चियों के बयान के आधार पर सीबीआई को मूंछ वाले अंकलजी और तोंद वाले नेताजी की पहचान करके उन्हें तीन महीने के अंदर पकड़ने को कहा है। दो बच्चियों ने इन दोनों व्यक्तियों पर यौन शोषण करने का आरोप लगाया है। न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और एमआर शाह की  पीठ ने सीबीआई की उस याचिका को भी खारिज कर दिया जिसमें उसने जांच के लिए छह महीने का और वक्त समय मांगा था।
शीर्ष अदालत ने सीबीआई को निर्देश दिया है कि वह तीन महीने में अपना कार्य खत्म करे। पीठ के समक्ष स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता माधवी दीवान ने कहा कि एजेंसी ने दो शवों को निकाला है और वह मृतकों की पहचान के लिए फोरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। दीवान ने उन आरोपों को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि एजेंसी प्रभावशाली लोगों पर हत्या का आरोप न लगाकर उन्हें बचाने की कोशिश कर रही है। 
उन्होंने पीठ को बताया कि 11 लड़कियों के गायब होने को लेकर जांच चल रही है। जिन्हें कथित तौर पर मुख्य आरोपी बृजेश ठाकुर ने मार दिया था। मामले से जुड़े 21 आरोपियों का यौन शोषण, दुष्कर्म मामले में ट्रायल चल रहा है। अदालत पटना की सामाजिक कार्यकर्ता निवेदिता झा की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। झा ने वकील फौजिया शकील के जरिये अदालत में याचिका दाखिल करके सीबीआई जांच पर सवाल उठाए थे। 
उन्होंने कहा कि पीड़िताओं ने अपने बयान में कहा है कि उन्हें होटलों में भेजा जाता था। बाहरी लोग और बृजेश के दोस्तों ने उनके साथ दुष्कर्म किया है जो बालिका गृह आया करते थे। एजेंसी उन लोगों को पकड़ने में नाकामयाब रही है। झा ने आरोप लगया कि पीड़िताओं ने अपने बयान में तोंदवाले नेताजी अंकल और मूंछवाले अंकलजी का जिक्र किया था जो बालिका गृह आया करते थे लेकिन एजेंसी उन्हें ढूंढ नहीं पाई है। जबकि जांच एजेंसी ने अपने हलफनामे में दावा किया था कि मुख्य आरोपी बृजेश ठाकुर और उसके साथियों ने 11 लड़कियों की कथित रूप से हत्या की थी। एजेंसी ने यह भी बताया था कि एक श्मशान भूमि से उसने ‘हड्डियों की पोटली’ बरामद की है।

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