अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना में मचाई लूट!

खूब चांदी काट रहे निजी अस्पताल

  • कहीं फुंसी की सर्जरी के नाम पर हड़पा क्लेम तो कहीं बिना ऑपरेशन ही लाखों डकारे
  • पांच मरीजों को पेनक्रियाटिक्स की फर्जी बीमारी दर्शाकर हड़पा इलाज का क्लेम 
  • योजना के ऑडिट में पकड़ में आये ऐसे मामले, 10 अस्पतालों पर हुई कार्रवाई

देहरादून। अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के तहत निजी अस्पताल जमकर चांदी काटने के साथ ही सरकार को करोड़ों का चूना लगा रहे हैं। कहीं जरा सी फुंसी की बड़ी सर्जरी दर्शाकर तो कहीं मरीज का ऑपरेशन किए बगैर ही लाखों रुपये डकारने में लगे हैं। योजना के ऑडिट में ऐसे मामले पकड़ में आ रहे हैं। इस तरह के घोटालों में अब तक 10 अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है। जबकि अन्य कई के खिलाफ कार्रवाई चल रही है। 
गौरतलब है कि पिछले दिनों एक मरीज का दून अस्पताल में गैंगरीन से ग्रस्त होने पर पैर काट दिया गया था। इसके बाद वह मरीज इलाज के लिए दून स्थित विनोद ऑर्थो क्लीनिक में चला गया। वहां वह 17 दिन भर्ती रहा। विनोद ऑर्थो क्लीनिक ने इस बात का फायदा उठाया और मरीज के पैर के ऑपरेशन का भी क्लेम ले लिया। इस मामले में दिल्ली और राज्य की संयुक्त टीम ने जांच की तो यह घोटाला मामला सामने आया। इस अस्पताल का यह अकेला मामला नहीं था, जिसमें इस तरह से क्लेम की रकम हड़पी गई। 
राज्य स्वास्थ्य अभिकरण के अध्यक्ष दिलीप कोटिया ने बताया कि निजी अस्पतालों के इस तरह के कारनामे लगातार पकड़ में आ रहे हैं। कुछ अस्पतालों के खिलाफ जल्द ही कार्रवाई की जा सकती है। प्रदेश में चार अस्पतालों की जांच अभी जारी है। 
अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के तहत निजी अस्पताल किस तरह सरकार के करोड़ों रुपये हड़पने में लगे हैं, इसकी बानगी देखिये—  एक मरीज हाथ में फुंसी होने पर दून स्थित अस्पताल में पहुंचा था। अस्पताल के डॉक्टरों ने मरीज का इलाज किया और पट्टी कर भेज दिया, लेकिन जांच में पता चला कि इस मरीज की फुंसी के इलाज में ही अस्पताल ने 45 हजार रुपये का क्लेम ले लिया। इलाज के दौरान कई जांच होनी दर्शाई गईं। दूसरी ओर जबकि टीम ने जांच में पाया था कि यह एक सामान्य फुंसी थी।   
विनोद ऑर्थो क्लीनिक के डॉक्टरों ने एक ‘रिकार्ड’ बनाते हुए एक मरीज कूल्हे के ऑपरेशन इतने शानदार ढंग से किया कि वह ऑपरेशन के दो दिन बाद ही बाइक पर फर्राटा भरने लगा। दरअसल, सात मई को कूल्हे में दर्द की शिकायत के चलते एक मरीजज का इमरजेंसी में भर्ती होना बताया गया था, जिसका ऑपरेशन किया गया। जांच टीम जब अस्पताल पहुंची तो पता चला कि मरीज अस्पताल में नहीं है और थोड़ी देर में पुन: इलाज के लिए आने वाला है। कुछ देर बाद ही मरीज बाइक पर सवार होकर अस्पताल पहुंच गया। टीम ने इस इलाज को भी संदेहास्पद और फर्जी माना है। 
विनोद ऑर्थो क्लीनिक की ओर से ही एक मरीज के हाथ का ऑपरेशन कर उसमें प्लेट फिट करने संबंधी क्लेम के लिए आवेदन किया गया। जांच टीम ने मरीज के एक्स-रे की जांच की तो उसमें रॉड डाली जानी दिखाई दे रही थी। जबकि उसकी रिपोर्ट में प्लेट फिट किए जाने का जिक्र था। ऐसे में प्राथमिक जांच में ही पता चल गया कि यह एक्स-रे किसी और का है।  
इसी तरह अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के तहतके तहत घोटाले में रामनगर के बृजेश अस्पताल को एक और कारण नोटिस जारी किया गया है। उस पर आरोप है कि यहां एक मरीज को बिना उचित जांच के ही आईसीयू में रखा गया, जिससे इलाज में देरी हुई और उसकी मौत हो गई। क्रियान्वयन समिति ने अस्पताल प्रबंधन से इस नोटिस का 15 दिन में जवाब मांगा है। 
इससे पहले आयुष्मान कार्डधारकों से पैसे वसूलने के आरोप में एक जून को बृजेश अस्पताल को नोटिस जारी किया गया था। 
बाद में इस अस्पताल के खिलाफ अन्य शिकायतों पर भी उत्तराखंड स्वास्थ्य अभिकरण ने जांच की तो नए तथ्य सामने आए। पता चला कि बृजेश अस्पताल में गत आठ फरवरी को एक मरीज गंभीर हालत में भर्ती किया गया था। अस्पताल के एमडी डॉ. बृजेश अग्रवाल ने उसकी दो जांचे सिटी थोरेक्स और सीबीसी कराने को कहा। इस पर मरीज की हालत बिगड़ी तो सिटी थारेक्स नहीं कराया गया, केवल सीबीसी जांच ही कराई गई। इस जांच रिपोर्ट पर खुद डॉ. बृजेश ने ही हस्ताक्षर किए।अटल आयुष्मान योजना के निदेशक (प्रशासन) डॉ. अभिषेक त्रिपाठी ने बताया कि डॉ. बृजेश पैथोलॉजिस्ट नहीं हैं, ऐसे में ये दस्तख्त ही शक के घेरे में हैं। यानी जांच कराई भी है या नहीं, इसके बारे में भी कोई जानकारी नहीं है। गंभीर मरीज की भर्ती के दौरान उचित जांच भी नहीं कराई गई। इससे उसकी हालत बिगड़ती चली गई और रात में साढ़े दस बजे मरीज की मौत हो गई। इस मामले में बृजेश अस्पताल की लापरवाही सामने आई है। यदि समय पर मरीज को इलाज मिलता तो उसकी जान बचाई जा सकती थी। इस  मामले में अब फिर बृजेश अस्पताल को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। 
बृजेश अस्पताल में ही पांच और मरीजों के मामले में इस अस्पताल ने लगभग 65 हजार रुपये का फर्जी क्लेम योजना के तहत पा लिया। दरअसल, पांच मरीजों का पेनक्रियाटिक्स बीमारी के तहत दर्शाकर यह क्लेम लिया गया, जबकि रक्त जांच के नमूनों की रिपोर्ट सामान्य थी। इस तरह अस्पताल ने पहले भी कई मरीजों का गलत इलाज दर्शाकर योजना के तहत क्लेम की रकम हड़पी है। डॉ. त्रिपाठी के अनुसार अस्पताल के अगले सभी क्लेम तत्काल प्रभाव से रोक दिए गए हैं। 

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