तो जनता ही जिम्मेदार!
- सभी दलों ने बीते लोस चुनाव में 88 ऐसे प्रत्याशी उतारे, जिन पर दर्ज हैं महिला अपराध के केस
- लोकसभा में चुनकर आए इनमें से ऐसे 19 19 सांसदों में से तीन पर लगे हुए हैं दुष्कर्म के आरोप
- लोकसभा चुनाव में भाजपा ने ऐसे सबसे ज्यादा 15 उम्मीदवार और कांग्रेस नौ प्रत्याशी उतारे
- वर्ष 2014 से 2019 के बीच विस चुनावों में 63 ऐसे विधायक चुने गए, जिन पर नारी अपराध के मामले दर्ज
नई दिल्ली। हैदराबाद में वेटरनरी डॉक्टर से सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मुद्दे पर संसद में ज्यादातर नेताओं ने घंटों बहस की। निर्भया मामले के सात साल बीत जाने के बाद भी गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सख्त कानून की कमी बताई और कहा कि सब साथ आएं तो और कठोर कानून बनाने को तैयार हैं।
दूसरी ओर इसी साल हुए लोकसभा चुनाव के वक्त सभी राजनीतिक दलों का रुख एक जैसा था। सभी पार्टियों ने 88 ऐसे उम्मीदवार उतारे, जिन पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मुकदमे चल रहे थे। भाजपा इसमें भी अव्वल रही। उसने ऐसे 15 उम्मीदवारों को टिकट दिया, इनमें से 10 जीतकर संसद में ही बैठे हैं। दूसरे पायदान पर कांग्रेस थी, जिसने नौ ऐसे नेताओं को टिकट दिया, उनमें से पांच जीत गए। महिलाओं के खिलाफ अपराध के आरोपी 88 उम्मीदवारों में से 19 अभी लोकसभा में हैं। इनमें से तीन पर दुष्कर्म के आरोप हैं। 38 निर्दलीय उम्मीदवारों पर भी ऐसे मामले थे, लेकिन सब के सब चुनाव हार गए।
ये आंकड़े 7928 उम्मीदवारों के शपथपत्रों के आधार पर तैयार हुई एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक हैं। 31 विधानसभा चुनाव में भी 443 उम्मीदवारों पर महिलाओं से अपराध के मामले थे पिछले पांच सालों में 29 राज्यों और दो केन्द्र शासित प्रदेशों में विधानसभा चुनाव हुए। कुल 40,690 उम्मीदवार मैदान में थे। इनमें 443 उम्मीदवारों पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले थे। ऐसे सबसे ज्यादा 49 उम्मीदवार भाजपा के थे। कांग्रेस के ऐसे 41 प्रत्याशी थे। इन 443 उम्मीदवारों में से 63 विधायक बने। इनमें भाजपा के 13 और कांग्रेस के 14 विधायक हैं।
पार्टी दागदार जीते विधायक
भाजपा 49 13
कांग्रेस 41 14
बसपा 22 0
माकपा 16 1
शिवसेना 11 2
सपा 9 0
आप 7 0
वाईएसआरसीपी 7 5
तृमूकां 5 5
बीजद 6 6
(सोर्स : लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनावों में प्रत्याशियों के शपथपत्रों के एनालिसिस पर आधारित एडीआर रिपोर्ट।)