सब गोलमाल है
- फॉरेंसिक ऑडिट के दौरान उद्योग जगत में घपले—घोटालों का खुलासा
- दिसंबर 2016 से लेकर दो साल में घोटालों में लिप्त मिलीं 1,484 कंपनियां
नई दिल्ली। लगता है कि हमारे देश में उद्योग जगत में घपले-घोटालों की बाढ़ आई हुई है। इसका खुलासा दिवालिया कानून के तहत हो रही जांच के दौरान हुआ है। जिसमें दो सौ कंपनियों की फॉरेंसिक ऑडिट से एक लाख करोड़ रुपये से अधिक रकम के घपले का पता चला है। इन्सॉल्वंसी एंड बैंकरप्ट्सी कोड (आईबीसी) के तहत कॉर्पोरेट इन्सॉल्वंसी रेजॉलुशन(सीआईआर) का सामना कर रहीं इन कंपनियों से फर्जी लेनदेन की भी आशंका है। आरबीआई ने जिन दर्जनभर हाई प्रोफाइल मामलों को आईबीसी के तहत रेजॉलुशन के लिए नामित किया, उनमें ज्यादातर घपलों में लिप्त पाई गई हैं। इसलिए सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) जैसी एजेंसियां भी इनकी अलग से जांच कर रही हैं। अब कंपनी मामलों का मंत्रालय इन कंपनियों के प्रमोटरों, डायरेक्टरों और कुछ कंपनियों के ऑडिटरों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी में है।
गौरतलब है कि कॉर्पोरेट मिनिस्ट्री पर ही आईबीसी को लागू करने की जिम्मेदारी है। इन कंपनियों में ऑडिट में पैसे को इधर से उधर किए जाने के अलावा फर्जी लेनदेन के साथ-साथ कुछ अन्य गड़बड़ियां भी पकड़ी गई हैं, जिनमें बैंकों का सहारा भी लिया गया। फॉरेंसिक ऑडिट के तहत धोखाधड़ी और घपलों के आंकड़े और साक्ष्य जुटाने के लिये किसी संस्था या कंपनी के खातों और लेनदेन की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से की जाती है। जांच एजेंसी ने जेपी इन्फ्राटेक जैसे मामलों में इस बात से पर्दा उठाते हुए बताया कि इसकी मूल कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स ने बैकों से लोन लेने के लिए जेपी इन्फ्राटेक के पास पड़ी जमीन का किस तरीके से इस्तेमाल किया। इसी तरह एमटेक ऑटो और भूषण स्टील के मामलों में गड़बड़ियां सामने आई हैं।
आईबीसी के तहत लाए गए ज्यादातर मामलों में नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) द्वारा नियुक्त रेजॉलुशन प्रोफेशनल्स फॉरेंसिक ऑडिट कर रहे हैं। कुछ मामलों में कर्जदाताओं ने इन्सॉल्वंसी प्रोसेस के लिए कंपनियों को एनसीएलटी में भेजे जाने से पहले उनकी फॉरेंसिक ऑडिट की थी। उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2016 में सीआईआर का प्रावधान लागू होने के बाद से दिसंबर 2018 तक 1,484 मामले आईबीसी के तहत कार्रवाई के लिए लाए जा चुके हैं। इनमें 900 मामलों को निपटाना बाकी है।