गम में डूबा सिंहल द्वीप
- देश की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति ने की आज आधी रात से आपातकाल लगाने की सिफारिश
- राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने धमाकों की जांच के लिए बनाई तीन सदस्यीय समिति
- आठ विस्फोटों में से सात जगह हुए आत्मघाती हमले, 290 लोगों की मौत, 500 घायल
कोलंबो। पिछले एक दशक में हुए इस सबसे दर्दनाक हमलों के आरोप में श्रीलंका पुलिस ने 24 लोगों को गिरफ्तार किया है। जिनका हाथ आठ बम धमाकों में 290 लोगों की जान में बताया जा रहा। रविवार सुबह हुए सीरियल ब्लास्ट के बाद श्रीलंका गम और खौफ में डूबा है। राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने आज आधी रात से देश में आपातकाल लागू करने का ऐलान किया है। इस बीच श्रीलंकाई सरकार ने पहली बार इन हमलों के लिए नेशनल तौहीद जमात (एनटीजे) का नाम लिया है। सरकार के प्रवक्ता राजीथा सेनारत्ने ने आठ लगातार धमाकों के लिए स्थानीय इस्लामी चरमपंथी संगठन एनटीजे को जिम्मेदार ठहराया है।
श्रीलंका की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की ओर से सोमवार को देश में आधी रात से आपातकाल लगाने की सिफारिश की गई है। देशभर में फिर से कर्फ्यू भी लगाया जाएगा। यह सोमवार रात आठ बजे से लेकर मंगलवार तड़के चार बजे तक लगा रहेगा।
राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने विस्फोटों की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय समिति नियुक्त की है। स्थानीय समाचार पत्र डेली मिरर के अनुसार इस समिति में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश विजित माललगोडा भी शामिल हैं। राष्ट्रपति ने समिति को धमाकों से संबंधित सभी मामलों की जांच करने और दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
सीरियल ब्लास्ट में मरने वाले लोगों का आंकड़ा 290 तक पहुंच गया है। इसमें चार जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) के कार्यकर्ताओं समेत सात भारतीय भी शामिल हैं। ये जेडीएस नेता किसी कार्यक्रम में हिस्सा लेने श्रीलंका गए थे और वहां होटल में ठहरे हुए थे। घटना में गंभीर रूप से घायल होने के कारण मरने वाले लोगों का आंकड़ा बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
श्रीलंका पुलिस इस हमले में संदिग्ध भूमिका निभाने वाले 24 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। श्रीलंका सरकार में मंत्री सेनारत्ने के अनुसार इस बात की भी जांच की जा रही है कि क्या एनटीजे को कहीं बाहर से मदद मिल रही थी।
सुरक्षाबलों को सर्च ऑपरेशन के दौरान दो जिंदा बम और मिल चुके हैं। इन्हें बाद में डिफ्यूज कर दिया गया।