मोदी कैबिनेट ने एनपीआर को दी हरी झंंडी

केंद्र सरकार का अहम फैसला

  • आज मंगलवार को केंद्रीय कैबिनेट ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर अपडेट करने को दी मंजूरी
  • इसके तहत देशभर के नागरिकों का डेटाबेस किया जाएगा तैयार, पर यह नहीं होगा नागरिकता का सबूत
  • कैबिनेट ने इस योजना के संचालन के लिए 8,700 करोड़ रुपये के बजट आवंटन पर भी लगाई मुहर
  • अगले वर्ष अप्रैल से सितंबर माह तक चलाया जाएगा एनपीआर को अपडेट करने का काम

नई दिल्ली। आज मंगलवार को मोदी कैबिनेट ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने को मंजूरी दे दी है। इसके तहत देशभर के नागरिकों का डेटाबेस तैयार किया जाएगा। हालांकि यह नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जाएगा। इसका इस्तेमाल सरकार अपनी योजनाओं को लागू करने के लिए करती है। कैबिनेट ने इस पूरी कवायद के लिए 8,700 करोड़ रुपये के बजट आवंटन पर भी मुहर लगा दी है।
केंद्रीय कैबिनेट में किये गये अहम फैसले के अनुसार 2021 की जनगणना से पहले 2020 में एनपीआर अपडेट किया जाएगा। इससे पहले 2011 की जनगणना से पहले 2010 में भी जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट किया गया था। अप्रैल, 2020 से सितंबर, 2020 तक एनपीआर को अपडेट करने का काम किया जाएगा। नेशनल पॉप्युलेशन रजिस्टर (एनपीआर) के तहत 1 अप्रैल, 2020 से 30 सितंबर, 2020 तक नागरिकों का डाटाबेस तैयार करने के लिए देशभर में घर-घर जाकर जनगणना की तैयारी है। देश के सामान्य निवासियों की व्यापक पहचान का डाटाबेस बनाना एनपीआर का मुख्य लक्ष्य है। इस डाटा में जनसांख्यिकी के साथ बायोमीट्रिक जानकारी भी होगी।
इसमें व्यक्ति का नाम, पता, शिक्षा, पेशा जैसी सूचनाएं दर्ज होंगी। एनपीआर में दर्ज जानकारी लोगों द्वारा खुद दी गई सूचना पर आधारित होगी और यह नागरिकता का प्रमाण नहीं होगी।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में 2010 में एनपीआर बनाने की पहल शुरू हुई थी। तब 2011 में जनगणना के पहले इस पर काम शुरू हुआ था। अब फिर 2021 में जनगणना होनी है। ऐसे में एनपीआर पर भी काम शुरू हो रहा है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here