मोदी कैबिनेट की आज मिलेगी एनपीआर को मंजूरी!

इसमें सभी देशवासियों की होगी कुंडली

  • मोदी सरकार की अब राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर लाने की तैयारी, इसमें होगा देश के नागरिकों का डाटा
  • एनपीआर के लिए डाटा तभी इकट्ठा किया गया था, जब 2011 की जनगणना के लिए जुटाए गए थे आंकड़े
  • इस डाटा को वर्ष 2015 में अपडेट किया गया, अगले साल अप्रैल से देशभर में लागू हो सकता है एनपीआर
  • अप्रैल से सितंबर 2020 तक जनगणना के लिए आंकड़े जुटाने के दौरान एनपीआर डाटा को भी किया जाएगा अपडेट

नई दिल्ली। अब सरकार राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) लाने की तैयारी कर रही है। इसमें देश के सभी नागरिकों का डाटा होगा। एनपीआर के अपडेशन के लिए फंड को आज मंगलवार को कैबिनेट की मंजूरी मिल सकती है। सूत्रों का कहना है कि अगले साल अप्रैल से एनपीआर देशभर में लागू किया जा सकता है।
गौरतलब है कि एनपीआर के लिए डाटा 2010 में तभी इकट्ठा किया गया था, जब 2011 की जनगणना के लिए आंकड़े जुटाए गए थे। इस डाटा को 2015 में अपडेट किया गया था। इसका डिजिटलाइजेशन भी पूरा हो गया है।
रजिस्ट्रार जनरल और सेंसस (जनगणना) कमिश्नर के मुताबिक असम को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अप्रैल से सितंबर 2020 तक जनगणना के आंकड़े जुटाए जाएंगे। इसी दौरान एनपीआर को भी अपडेट किया जाएगा। इसके लिए इसी साल अगस्त में नोटिफिकेशन भी जारी किया गया था।
उन्होंने बताया कि एनपीआर को नागरिकता कानून 1955 और नागरिकता (नागरिकों का रजिस्ट्रेशन और राष्ट्रीय पहचान पत्र का मसला) नियम 2003 के तहत स्थानीय स्तर पर यानी उपजिला, जिला और राज्य स्तर पर बनाया जाएगा। देश के हर नागरिक के लिए इसमें नाम दर्ज कराना जरूरी है। इसका मकसद देश में रह रहे नागरिकों का समग्र डेटाबेस तैयार करना है। यह डाटाबेस जनसांख्यिकीय और बायोमीट्रिक आधार पर बनाया जाएगा।
गौरतलब है कि एनआरसी और एनपीआर में मूलभत फर्क है। राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर यानी एनआरसी- इसके जरिए अवैध नागरिकों की पहचान होगी। जबकि एनपीआर में छह महीने या उससे ज्यादा वक्त से एक क्षेत्र में रहने वाले किसी भी निवासी को एनआरपी में रजिस्ट्रेशन कराना होगा या ऐसा व्यक्ति जो अगले छह महीने के लिए उस जगह रहने की इच्छा रखता है, उसे भी इसके तहत अपनी जानकारी देनी होगी।

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