फिर बोले मलिक :कुतिया भी मर जाती तो नेता शोक संदेश भेजते हैं, किसान आंदोलन में 250 मर गए, कोई बोला तक नहीं!

  • मेघालय के राज्यपाल सतपाल मलिक ने मीडिया से बातचीत में कहा-  यह गलत रास्ता है। किसानों को दबाकर भेजना, अपमानित करके दिल्ली से भेजना।

झुंझुनूं। पिछले 110 दिनों से जारी किसान आंदोलन पर नेताओं के रुख को लेकर मेघालय के राज्यपाल सतपाल मलिक ने फिर कड़ी टिप्पणी की है। मंगलवार को झुंझुनूं में मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘किसान आंदोलन का लंबा चलना किसी के हित में नहीं है। कुतिया भी मर जाती है तो उसके लिए हमारे नेताओं का शोक संदेश आता है, लेकिन 250 किसान मर गए। कोई बोला तक नहीं। यह हृदयहीनता है। किसान अपना घर बार छोड़कर आए थे। हादसों में मरने वालों के लिए भी आप संवेदना भेजते हो। उनको नहीं भेज रहे हो।’
मलिक ने कहा, ‘मेरा मानना है कि किसान आंदोलन का जल्द ही हल हो जाएगा। सब अपनी-अपनी जगह ठीक हैं। यह मामला जल्द निपट सकता है। एमएसपी ही मुद्दा है। जिसे कानूनी कर देंगे तो यह हल हो जाएगा। हालांकि आंदोलन इतना समय नहीं चलना चाहिए। कृषि मुद्दे पर सरकार और किसानों का रुख ओपन है। बातचीत के जरिए इसे सुलझाया जा सकता है।’
किसान आंदोलन में सरकार और किसानों के बीच मध्यस्थ बनने के सवाल पर मलिक ने कहा कि वे संवैधानिक पद पर हैं। बिचौलिया नहीं बन सकते। उन्होंने कहा कि कृषि कानून पर किसान एकजुट हैं।
गौरतलब है कि सत्यपाल मलिक किसानों के समर्थन में पहले भी अपनी मुखर राय रखते रहे हैं। दो दिन पहले ही उन्होंने कहा था कि सरकार एमएसपी की कानूनी गारंटी दे। मलिक ने राकेश टिकैत की गिरफ्तारी रुकवाने का भी दावा किया था। कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के समर्थन में मलिक ने कहा कि अगर केंद्र सरकार फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देती है, तो किसानों को राहत मिलेगी। मलिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से अपील करते हुए कहा कि किसानों का अपमान न किया जाए।
इससे पहले मलिक ने यूपी के बागपत में कृषि कानूनों का विरोध करने वाले सिख किसानों का जिक्र करते हुए कहा कि मैं सिखों को जानता हूं। वे 300 साल तक कोई बात नहीं भूलते। मिसेज गांधी (इंदिरा गांधी) ने जब ऑपरेशन ब्लू स्टार कराया तो अपने फार्म हाउस पर एक महीने तक महामृत्युंजय मंत्र जाप कराया था। मैं एक किसान परिवार से हूं। इसलिए उनकी समस्याओं को समझ सकता हूं। उन्होंने कहा कि मैं किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए किसी भी हद तक जाऊंगा। यह गलत रास्ता है। किसानों को दबाकर भेजना, अपमानित करके दिल्ली से भेजना। पहले तो ये जाएंगे नहीं। ये जाने के लिए नहीं आए। गवर्नर को चुप रहना पड़ता है। सिर्फ दस्तखत करने पड़ते हैं। किसी बात पर बोलना नहीं पड़ता। मैं जरूर बोलता हूं। किसानों के मामले में मैंने देखा कि क्या-क्या हो रहा है। तब मैंने पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह दोनों से कहा कि मेरी दो प्रार्थना हैं। एक कि इन्हें दिल्ली से खाली हाथ नहीं भेजना। दूसरा इनके ऊपर बल प्रयोग नहीं करना। जिस दिन टिकैत की गिरफ्तारी का शोर मचा था, तो 11 बजे मैंने इसे रुकवाया और कहा कि यही मत करना।

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