धोखेबाज चीन की एक और चाल : बिना गोली चलाए ही भारतीय जवानों से खाली कराईं दो चोटियां!

दुष्ट चीन की कारस्तानी

  • गलवान के बाद भी बाज नहीं आ रहा चीन, बिना गोली चलाए ही दर्द से तड़प उठे भारतीय सैनिक
  • चीन की सेना द्वारा भारतीय सैनिकों के खिलाफ लद्दाख में कई नए घातक हथियारों के इस्‍तेमाल का खुलासा

नई दिल्ली। गलवान घाटी में रात के अंधेरे में भारतीय सैनिकों पर कटीले डंडे से हमला कर 20 जवानों को शहीद करने वाली चीन की सेना के भारतीय सैनिकों के खिलाफ लद्दाख में कई नए घातक हथियारों के इस्‍तेमाल का खुलासा हुआ है।
अंतरराष्‍ट्रीय मामलों के चीन के एक विशेषज्ञ ने दावा किया है कि चीन की सेना ने पूर्वी लद्दाख में भारतीय सैनिकों को पीछे धकलने के लिए रेडिएशन पैदा करने वाली बेहद घातक किरणों को छोड़ा था। अगर यह सच है तो दुनिया में शत्रु सेना के खिलाफ इस हथियार का यह पहला मामला है। उधर चीनी विशेषज्ञ का दावा है कि बिना एक भी गोली चलाए हुए इस हमले के बाद भारतीय सैनिक दो चोटियों से पीछे हट गए।
चीन की राजधानी पेइचिंग की रेनमिन यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर जिन कानरोंग ने बताया कि चीन के इस घातक हथियार में माइक्रोवेब किरणों का इस्‍तेमाल किया जाता है। इसकी चपेट में आते ही सैनिकों को भीषण दर्द और टिके रहने में बहुत परेशानी होने लगती है। इस तरह के हथियारों का इस्‍तेमाल कुछ उसी तरह से है जैसे परंपरागत हथियारों जैसे बंदूक चलाना है। हालांकि भारत और चीन के बीच वर्ष 1996 में हुई संधि के मुताबिक इस तरह के घातक हथियारों का इस्‍तेमाल प्रतिबंध‍ित है, लेकिन चीन पर भरोसा करना खुद को ही धोखा देना है। गलवान में भारतीय जवानों की निर्मम हिंसा के बाद भी भारतीय सैनिकों का मनोबल न तोड़ पाने वाली चीनी सेना ने भारतीय जवानों के खिलाफ इस क्रूर हथियार का इस्‍तेमाल किया और बिना गोली चलाए दो चोटियों पर काबिज भारतीय सैनिकों को हटाकर चीन ने कब्‍जा कर लिया।

ब्रिटिश अखबार द टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक प्रोफेसर जिन ने एक लेक्‍चर के दौरान माइक्रोवेब वेपन के इस्‍तेमाल का दावा किया। उन्‍होंने दावा किया कि इस हथियार की मदद से चीन ने बिना कोई गोली चलाए दो ऐसी चोटियों पर कब्‍जा कर लिया जिन पर भारतीय सैनिकों ने कब्‍जा कर लिया था। जिन ने कहा, ‘हमने इसे बहुत प्रचारित इसलिए नहीं किया क्‍योंकि हमने बहुत खूबसूरत तरीके से इस समस्‍या का समाधान कर लिया।’ उन्‍होंने दावा किया कि भारत को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा। प्रो. जिन ने कहा कि चीनी सैनिकों ने पहाड़ी के नीचे से माइक्रोवेब वेपन का इस्‍तेमाल चोटी के ऊपर बैठे भारतीय सैनिकों पर किया। माइक्रोवेब गन के इस्‍तेमाल के 15 म‍िनट बाद ही भारतीय सैनिक उल्‍टी करने लगे और उन्‍हें चोटी को छोड़कर पीछे हटना पड़ गया।
द टाइम्‍स ने कहा कि दुनिया में इस तरह के हथियार का अपने शत्रु सेना पर इस्‍तेमाल का यह पहला उदाहरण है। चीन के अलावा अमेरिका इलेक्‍ट्रोमैग्‍नेटिक रेडियशन वेपन का इस्‍तेमाल कर चुका है। चीन का यह हथियार न केवल इंसानों को तड़पने के लिए मजबूर कर सकता है, बल्कि इलेक्‍ट्रानिक और मिसाइल सिस्‍टम को भी तबाह कर सकता है। इस तरह के हथियारों को डायरेक्‍ट एनर्जी वेपन भी कहा जाता है। कुछ देश इलेक्‍ट्रोमैग्‍नेटिक रेडियशन की बजाय साउंड वेब का इस्‍तेमाल करते हैं। इससे पहले कई अन्‍य देशों में इस तरह के हथियार के इस्‍तेमाल की अटकलें लग चुकी हैं।
इसी तरह वर्ष 2016 में क्‍यूबा में अमेरिकी दूतावास के अधिकारियों ने शिकायत की थी कि उन्‍हें उल्‍टी, नाक से खून और बेचैनी हो रही है। इस मामले के बाद इसे हवाना सिंड्रोम कहा जाने लगा था। कहा जाता है कि अमेरिकी अधिकारियों के खिलाफ छिपकर सोनिक वेपन का इस्‍तेमाल किया गया था। अमेरिकी अधिकारियों ने इसी तरह की घटनाओं की शिकायत चीन और रूस में भी की है। उन्‍होंने कहा कि दूतावास की इमारत के कुछ कमरों में उन्‍हें इस तरह की दिक्‍कत का सामना करना पड़ा। बता दें कि भारत और चीन के बीच लद्दाख में जारी गतिरोध को खत्‍म करने के लिए बातचीत का दौर जारी है। सूत्रों के मुताबिक दोनों देशों के बीच सेना को हटाने पर काफी हद तक सहमति हो गई है, लेकिन चीन की ओर से अभी तक इसका विधिवत ऐलान नहीं किया गया है।

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