गंगोत्री घाटी में मंडरा रहा हिमखंड दरकने का खतरा!

भारी बर्फबारी का साइड इफेक्ट

  • दो दिन पूर्व चांगथांग व झाला के पास हिमखंड टूटने से बंद हुआ था गंगोत्री हाईवे झाला में तो हाईवे खुला, चांगथांग ग्लेशियर वाले हिस्से में अभी चल रहा है काम
  • गंगोत्री घाटी में गंगोत्री धाम से भोजवासा के बीच तीस ग्लेशियर प्वाइंट बने खतरा  
  • भारी हिमपात के चलते 12वें दिन हल्के वाहनों के लिए खुली थल-मुनस्यारी सड़क

देहरादून। इस बार बीते दिसंबर माह से ही गंगोत्री घाटी में भीषण बर्फबारी से क्षेत्र में हिमखंड दरकने का खतरा बढ़ता जा रहा है। मंगलवार को चांगथांग के साथ ही झाला के पास विशाल हिमखंड टूटने से गंगोत्री हाईवे अवरुद्ध हो गया था। हालांकि बीआरओ ने झाला में तो हाईवे बहाल कर दिया है, लेकिन धराली से तीन किमी आगे चांगथांग ग्लेशियर वाले हिस्से में अभी काम चल रहा है।
गौरतलब है कि गंगोत्री घाटी में पछियारी, सेना कैंप के पास डकरोल्या, सुक्की, सोनगाड, डबराणी, चांगथांग एवं गंगोत्री धाम में भैरोंझाप के साथ ही डबराणी से भोजवासा के बीच तीस से अधिक ग्लेशियर प्वाइंट हैं। वर्ष 2002 में गंगोत्री गंगा बाग के पास आए 40 फीट मोटाई वाले हिमखंड ने करीब 84 घंटे तक गंगा भागीरथी का प्रवाह अवरुद्ध कर दिया था। तब भारी बर्फबारी के कारण तपोवन में रह रहे नेपाली बाबा और इजराइली माई लापता हो गए थे और गंगोत्री त्रिकुटी गुफा में साधनारत स्वामी योगानंद की दम घुटने से मौत हो गई थी। कई साधुओं को गुफाओं से सुरक्षित निकाल लिया गया था।
तब भोजवासा स्थित स्नो एंड एवलांच स्टडी सेंटर ने वहां 16 फीट बर्फबारी दर्ज की थी। इसके अलावा धराली से करीब तीन किमी आगे चांगथांग में कमोबेश हर साल आने वाला हिमखंड गंगोत्री हाईवे को अवरुद्ध कर देता है। इस बार दिसंबर से ही भारी बर्फबारी का दौर शुरू होने से गंगोत्री घाटी में हिमखंड टूटने का खतरा बढ़ गया है। जानकारों के मुताबिक भारी बर्फबारी के बाद धूप खिलने पर यह खतरा बढ़ जाता है। इस बार अभी तक डबराणी से गंगोत्री के बीच छह स्थानों पर हिमखंड टूटने से गंगोत्री हाईवे अवरुद्ध हो चुका है।
थल मुनस्यारी सड़क में 12वें दिन आज गुरुवार को हल्के वाहनों के लिए खुली। बुधवार को मुनस्यारी के ग्रामीण क्षेत्रों की बिजली आपूर्ति भी बहाल कर दी गई है। वाहनों की आवाजाही शुरू होने से लोगों को कुछ राहत मिली है। विगत चार जनवरी की रात से रातापानी से मुनस्यारी तक जबरदस्त हिमपात हुआ था। इसके चलते थल-मुनस्यारी सड़क पर चार से पांच फीट बर्फ जम गई थी। भारी बर्फ जमा होने से पिछले 12 दिनों से वाहनों का आवागमन बंद था।
लगातार तीन दिन तक बर्फबारी के बाद लोनिवि की ओर से बर्फ हटाने का काम किया जा रहा था। इसके लिए जेसीबी और रोबोट लगाए गए थे, लेकिन सड़क पर भारी बर्फ जमा होने से सड़क के दोनों ओर बर्फ के ऊंचे टीले बन जा रहे थे। इससे सड़क खोलने में बाधा आ रही थी। बुधवार को सड़क में जमी बर्फ हटा ली गई। इसके बाद हल्के वाहनों का आवागमन शुरू हुआ। हालांकि मुनस्यारी से कालामुनि की पहाड़ी तक बर्फ के ऊपर पाला गिरने से वाहनों के फिसलने का खतरा बना हुआ है। आज बृहस्पतिवार से भारी वाहनों की आवाजाही शुरू होने की उम्मीद है। 

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